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Tuesday, 21 January, 2025
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पुरी धरोहर गलियारा परियोजना के लिए खुदाई से पहले राडार आधारित सर्वेक्षण कराया गया : सांसद

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भुवनेश्वर, 19 मई (भाषा) पुरी लोकसभा सीट से सांसद पिनाकी मिश्राा ने दावा किया है कि श्री जगन्नाथ मंदिर के पास पुरी धरोहर गलियारा परियोजना के लिए खुदाई शुरू करने से पहले ‘ग्राउन्ड पेनिट्रेटिंग राडार सर्वे’ (जीपीआरएस) कराया गया था।

हालांकि, विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नताओं और इसके राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने सांसद पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया।

जीपीआरएस की तिथि के बारे में पूछे जाने पर मिश्रा ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘कृपया उच्च न्यायालय में सरकार के हलफनामे का इंतजार करें, मैंने एक कॉपी का निचोड़ अपने ट्वीट में दिया है।’’

मिश्रा ने बुधवार को ट्वीट किया था, ‘‘जैसा कि दस्तावेज दिखाएंगे, जीपीआरएस नियम के अनुरूप किया गया। बिना जीपीआरएस के खुदाई करने का आरोप निराधार है। उच्च न्यायालय में दायर किये जाने वाले हलफनामे से सभी पहलू स्पष्ट हो जाएंगे। सबसे अधिक जरूरत अभी थोड़ा धैर्य दिखाने और दुर्भावना कम करने की है। जय जगन्नाथ।’’

मिश्रा ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “इतिहास इन लोगों की पहचान कपटी और दुर्भावना रखने वाले जोकर के रूप में पहचान करेगा, जो स्वार्थ, लालच और द्वेष के कारण पुरी मंदिर के विकास, सुरक्षा और संरक्षण कार्यों में बाधा डाल रहे थे।’’

उन्होंने अपने ट्वीट के साथ श्री मंदिर परिक्रमा परियोजना के लिये जीपीआर टेक्नोलॉजी की दो पन्नों की रिपोर्ट भी संलग्न की है।

संरक्षित क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत 12वीं शताब्दी के मंदिर के 100 मीटर के दायरे में कथित अवैध निर्माण का विरोध उस समय तेज हो गया, जब मंदिर की चहारदीवारी से 75 मीटर के भीतर, एमार मठ के पास खुदाई करते समय एक शेर की मूर्ति मिली।

इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक टीम ने खुदाई स्थल का दौरा किया और कहा कि शेर की मूर्ति गंग राजवंश की हो सकती है, जिसने 11वीं शताब्दी ईस्वी से 15वीं शताब्दी ईस्वी तक ओडिशा पर शासन किया था। इसके शासनकाल के दौरान प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर और कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया था।

प्रसिद्ध पुरातत्वविद् और इतिहासकार अनिल धीर ने एक बयान में कहा, ‘‘गलत सूचना और दुष्प्रचार के एक और प्रयास के तहत बीजद सांसद पिनाकी मिश्रा ने ट्वीट किया कि जगन्नाथ मंदिर परिक्रमा की जीपीआरएस रिपोर्ट तैयार की गई और इसे एक हलफनामे के रूप में उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा।’’ धीर ने कहा कि सांसद ने यह सुनिश्चित नहीं किया कि ‘यूटिलिटी डिटेक्शन जीपीआरएस’ केवल भूमिगत गैस, पानी और बिजली लाइनों का पता लगाने के लिए किया जाता है, ताकि प्रस्तावित खुदाई स्थल पर क्षति को रोका जा सके।’’

उच्च न्यायालय को सौंपे गए हलफनामे में एएसआई ने विशेष रूप से उल्लेख किया था कि संयुक्त निरीक्षण के दौरान, कार्यकारी एजेंसियों – ओडिशा ब्रिज कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (ओबीसीसी) और टाटा प्रोजेक्ट, दोनों ने कहा कि कोई जीपीआरएस नहीं किया गया था।

भुवनेश्वर क्षेत्र के एएसआई के पुरातत्व अधीक्षक ए के मल्लिक ने कहा कि उन्होंने ओडिशा सरकार को कई बार सतर्क किया था कि श्री जगन्नाथ मंदिर की पूरी परिधि पुरातात्विक अवशेषों से भरी हुई है और जहां भी खुदाई होगी प्राचीन कलाकृतियां सामने आएंगी।

भाषा संतोष दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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