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Friday, 22 November, 2024
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अमेरिका और चीन से नहीं, भारत से दोस्ती करे पाकिस्तान: हुसैन हक्कानी

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भारत और पाकिस्तान को एक दूसरे के प्रति अपने नजरिए को बदलना चाहिए, तभी वे अपने आपसी विवादों से छुटकारा पा सकते है, अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत.

मुंबईः पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक हुसैन हक्कानी ने शुक्रवार को कहा कि भारत और पाकिस्तान को अपने आपसी विवादों को सुलझाने के लिए पहले दोस्ती करने की जरूरत है. अपने बयान में उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले ही इसकी पहल की थी लेकिन उनके इस प्रयास को अक्सर दरकिनार कर दिया गया.

हक्कानी ने कहा कि “मुझे लगता है कि इसकी पहल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को श्रेय दिया जाना चाहिए जिन्होंने लाहौर में इसकी पहल की थी. लेकिन दुर्भाग्य से पठानकोट और ऐसे ही अन्य हमलों ने इनकी इस पहल पर पानी फेर दिया था”.

मुंबई में दिप्रिंट के कार्यक्रम ‘ओटीसी’ में दिप्रिंट के प्रमुख संपादक शेखर गुप्ता से बात करते हुए हक्कानी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को सबसे पहले व्यापार और यात्रा जैसे मुद्दों पर सहमत होना चाहिए उसके बाद कश्मीर जैसे विवादित मुद्दों को सुलझाना चाहिए.

अमेरिकी सहायता का निलंबन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नए साल में किए गए एक ट्वीट में पाकिस्तान को अमेरिका से मिलने वाली सहायता को समाप्त करने का संकेत दिया गया था. इस पूर्व राजनायिक का कहना है कि अमेरिका के इस रुख के पीछे विशाल सरकारी तंत्र और कई एजेंसियों का हाथ है.

हक्कानी ने कहा कि “ट्रंप को मनमानी करना पसंद है. लेकिन, मुझे ये बताया गया था कि अमेरिका की इस कार्यवाही के लिए कई अमेरिकी सरकारी एजेंसियों से परामर्श लिया गया. इस मुद्दे पर कई लोगों ने तर्क दिया कि अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दरकिनार करना जरूरी है. जबकि कई अन्य लोगों ने कहा कि यह जरूरी है कि हमें पाकिस्तान को सुधारने के लिए प्रयास करना चाहिए”.

आगे उन्होंने कहा कि अमेरिकी सहायता के निलंबन से पाकिस्तानी सरकार को सबक लेकर सशक्त होना चाहिए और यह निलंबन पाकिस्तान को अपनी नीतियों और सुधारों पर ध्यान केन्द्रित करने का न्यौता देता है.

हक्कानी ने कहा कि “क्या हमारे देश में जिहादी संगठनों का होना हमारे लिए फायदेमंद है? क्या चीन पर पाकिस्तान की निर्भरता सही है? खास बात तो यह है कि पहले हम अमेरिका की छत्र छाया में थे और अब चीन के दामन में छुपते जा रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. हमें अपने बारे में सोचना चाहिए। हमें सबसे पहले अपने पड़ोसियों से अच्छे संबंध स्थापित करने चाहिए”.

दृष्टिकोण में परिवर्तन

हक्कानी ने कहा है कि “भारत और पाकिस्तान को अपने आपसी विवादित मुद्दों पर पारदर्शी समाधान के लिए एक दूसरे के प्रति “कौन” नहीं बल्कि “क्या” की नीति का पालन करने की जरूरत है. “क्या” ही दोनों पक्षों में परिवर्तन ला सकता है.

उन्होंने कहा कि “भारत को उस मानसिकता या तथ्य को बदलने की जरूरत है जो लोगों को बताता है कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसे नहीं बनाया जाना चाहिए था, और पाकिस्तान के बारे में बात की जाए तो हमें पाकिस्तान में इस प्रचार को समाप्त करना होगा कि भारत पाकिस्तान का एक बड़ा दुश्मन है और इसे मिटाना चाहता है”.

उन्होंने, भारत में चिकित्सा वीजा की माँग करने वाले पाकिस्तानी परिवार के लिए ट्वीट पर, भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा दिखाई गई तत्पतरता की सराहना भी की. लेकिन आगे उन्होंने कहा कि आम तौर पर ऐसी नौबत नहीं आनी चाहिए.

हक्कानी ने कहा कि “सुषमा स्वराज बहुत ही अच्छा काम करती हैं जब पाकिस्तानी परिवारों द्वारा चिकित्सा वीजा की माँग पर वह तत्परता से कार्यवाई करती हैं और उन्हें जारी करती हैं. लेकिन अगर वास्तव में कहा जाए तो यह ऐसे नहीं होना चाहिए. ऐसा होना चाहिए कि, भारत आने वाले पाकिस्तानी बिना किसी डर और कठिनाई के साथ भारत आयें. इसी तरह दोनों देशों के लोग एक दूसरे के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर सकें”.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से भारत के विदेश संबंधों की प्रशंसा करते हुए, हक्कानी ने कहा कि चीन को एकमात्र प्रमुख शक्ति माने बिना इस क्षेत्र के नेतृत्व और विकास के लिए प्रधानमंत्री के प्रयासों से अच्छी उम्मीद की जा सकती है.

उन्होंने बताया कि “मेरा मानना है कि यह वही समय है जब भारत वास्तव में एक उभरती हुई शक्ति के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त कर रहा है और इस समय अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों से जुड़ना वाकई में बहुत मायने रखता है. प्रधानमंत्री मोदी संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे शीर्ष देशों के नेताओं के साथ संपर्क में हैं. वह एशियाई देशों जैसे कि इज़राइल से भी बात कर रहे हैं और पाकिस्तान का भी दौरा किया था”.

“मैं चाहता हूँ कि दक्षिण एशियाई सभ्यता विश्व स्तर पर अपनी सही जगह प्राप्त करे, और अगर ऐसा हो रहा है तो आलोचना और विवाद के लिए कोई स्थान नहीं है.”

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