नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ए. एस. बोपन्ना को विदाई दी, जो 19 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने ने निवर्तमान न्यायाधीश की ‘‘न्याय की प्रामाणिक भावना’’, समय की पाबंदी और संवेदना की सराहना की।
ग्रीष्मकालीन अवकाश के लिए बंद होने से पहले शीर्ष अदालत के अंतिम कार्य दिवस पर ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ द्वारा न्यायमूर्ति बोपन्ना के सम्मान में आयोजित विदाई समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने पांच साल के कार्यकाल में विभिन्न क्षेत्रों को लेकर 90 से अधिक निर्णय लिखे। संपत्ति से लेकर नागरिक कानून तक की सेवा, और उनका कार्यकाल सत्यनिष्ठा और कानून के शासन के प्रति अटूट समर्पण का प्रतीक है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे विचार में, न्यायमूर्ति बोपन्ना राहुल द्रविड़ के समान हैं – हमारे अपने शीर्ष न्यायालय के श्रीमान भरोसेमंद। उनके साथ मेरी बातचीत में, पीठ में और बाहर दोनों जगह, मैं निष्पक्षता और सहानुभूति के बीच संतुलन बनाए रखने की उनकी क्षमता से आश्चर्यचकित हूं।’’
न्यायमूर्ति बोपन्ना को 24 मई, 2019 को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।
समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति बोपन्ना ने कहा कि देश की शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में अपना करियर समाप्त करना उनके लिए ‘अत्यधिक संतोषजनक’ है।
उच्चतम न्यायालय के अपने कार्यकाल के बारे में उन्होंने कहा कि जिस तरह क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने हर मैच में शून्य से अपनी पारी शुरू की, उसी तरह हर दिन उनके लिए एक नया दिन और अनुभव था।
न्यायमूर्ति बोपन्ना ने कहा, ‘‘मुझे याद है कि सचिन तेंदुलकर ने क्या कहा था जब उनसे उनके शतकों के शतक के बारे में पूछा गया था। उन्होंने कहा था कि जब मैं अगली बार अगले मैच में बल्लेबाजी करने जाऊंगा तो मुझे फिर से शून्य से शुरुआत करनी होगी और ध्यान दूसरी पारी बनाने पर होगा और मैं शतक की उपलब्धि पर आराम नहीं कर सकता। मेरे लिए उच्चतम न्यायालय में भी ऐसा ही अनुभव था और हर दिन एक नया दिन और सीखने का अनुभव था।’’
विदाई समारोह में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और बार के कई सदस्य मौजूद थे।
न्यायमूर्ति बोपन्ना का जन्म 20 मई, 1959 को हुआ था और 1984 में वह एक वकील के रूप में अपना नामांकन कराया और 2006 में कर्नाटक उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए।
वह मार्च 2007 में स्थायी न्यायाधीश बने और 29 अक्टूबर, 2018 को गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए।
प्रधान न्यायधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के सदस्य के रूप में, न्यायमूर्ति बोपन्ना ने जनवरी 2022 में चिकित्सा पाठ्यक्रम में स्नातक और स्नातकोत्तर के अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) सीट में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को बरकरार रखा।
भाषा धीरज माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.