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Monday, 18 November, 2024
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न्यायालय ने डीएएमईपीएल को 4,600 करोड़ रुपये भुगतान करने के आदेश को बरकरार रखा

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नयी दिल्ली, पांच मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें उसने दो समान मासिक किस्तों में दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) को ब्याज के साथ 4,600 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करने का दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) को निर्देश दिया था।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने यह आदेश पारित किया।

उच्च न्यायालय ने 10 मार्च को डीएमआरसी को डीएएमईपीएल को ब्याज के साथ 4,600 करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान करने का निर्देश दिया था। अदालत ने कहा था कि पहली और दूसरी किस्त का भुगतान इस साल 30 अप्रैल और 31 मई को या उससे पहले किया जाएगा।

अदालत ने कहा था कि 11 मई, 2017 का मध्यस्थता निर्णय अंतिम है और इसे महज कागजी निर्णय के रूप में कायम रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा था कि डीएमआरसी का कर्तव्य है कि वह यदि आवश्यक हो तो केंद्र सरकार की अनुमति लेने के बाद अपने फंड को डायवर्ट करे या कर्ज को बढ़ाए।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान डीएमआरसी ने 1678.42 करोड़ रुपये का भुगतान किया और जिस दिन याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा गया था, उस दिन भी डीएमआरसी के वकील ने कहा था कि 600 करोड़ रुपये ‘एस्क्रो अकाउंट’ में जमा किए जाएंगे।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि डीएमआरसी के हलफनामे के अनुसार 14 फरवरी, 2022 तक, उसके पास ‘कुल डीएमआरसी कोष’ के तहत उपलब्ध कुल धनराशि 1,452.10 करोड़ रुपये है, ‘कुल परियोजना कोष’ के तहत 2,681.29 करोड़ रुपये और ‘कुल अन्य कोष’ के तहत 1,560 करोड़ रुपये है।

हालांकि, डीएमआरसी के 10 जनवरी, 2022 के हलफनामे में धनराशि के विवरण के अनुसार 514 करोड़ रुपये कर्मचारियों के वेतन, चिकित्सा और सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों के लिए है और 114 करोड़ रुपये स्मार्ट कार्ड पर सुरक्षा जमा राशि का हिस्सा है, जो यात्रियों को वापसी योग्य है।

पिछले साल, डीएमआरसी ने अदालत से कहा था कि चूंकि वह वित्तीय संकट का सामना कर रही है, इसलिए अचानक दायित्व उठाने से जनहित प्रभावित होगा और इसलिए अधिकारी इसका समाधान निकाल रहे हैं।

एक मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने मई 2017 के अपने फैसले में डीएएमईपीएल के पक्ष में फैसला सुनाया था। डीएएमईपीएल सुरक्षा मुद्दों पर एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो लाइन के संचालन से पीछे हट गई थी और उसके दावे को स्वीकार कर लिया गया था कि संरचनात्मक विसंगति के कारण लाइन पर परिचालन व्यवहार्य नहीं है।

मध्यस्थता निर्णय दोनों पक्षों के बीच एक समझौते से संबंधित था, जिस पर 25 अगस्त, 2008 को हस्ताक्षर किए गए थे। समझौते के तहत, डीएमआरसी को डिपो को छोड़कर, सिविल कार्यों को पूरा करना था, और परियोजना प्रणाली कार्यों सहित शेष काम का दायित्व डीएएमईपीएल पर था। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (आर-इंफ्रा) और स्पेनिश निर्माण कंपनी के संयुक्त उद्यम डीएएमईपीएल में दोनों कंपनियों की क्रमश: 95 और पांच प्रतिशत की हिस्सेदारी थी।

भाषा आशीष सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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