scorecardresearch
Monday, 30 September, 2024
होमदेशन्यायालय ने जमीयत की याचिका पर जहांगीरपुरी में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान रोकने का आदेश दिया

न्यायालय ने जमीयत की याचिका पर जहांगीरपुरी में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान रोकने का आदेश दिया

Text Size:

नयी दिल्ली, 20 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, राष्ट्रीय राजधानी के हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी इलाके में अधिकारियों द्वारा चलाए जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान पर रोक लगा दी। न्यायालय ने दंगों के मुस्लिम आरोपियों के मकानों को तोड़े जाने संबंधी जमीयत उलमा-ए-हिंद की याचिका पर संज्ञान लेने के बाद यह आदेश दिया।

प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूर्वाह्न में मकानों को गिराए जाने के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। पीठ ने दिन में उस समय फिर हस्तक्षेप किया जब उसे बताया गया कि अधिकारी इस आधार पर कार्रवाई नहीं रोक रहे हैं कि उन्हें कोई आधिकारिक सूचना नहीं प्राप्त हुई है। पीठ में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं।

पीठ ने मुस्लिम संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे की दलीलों पर गौर करते हुए सर्वोच्च अदालत के महासचिव को निर्देश दिया कि वह उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) के महापौर और दिल्ली के पुलिस आयुक्त को हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी में विध्वंस रोकने के उसके सुबह के आदेश से तत्काल अवगत कराएं।

इसके साथ ही दो वकील शाहरुख आलम और कवलप्रीत कौर जमीयत के समान याचिका के साथ दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंचे और कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाने का अनुरोध किया।

उच्च न्यायालय ने सुबह करीब 10.30 बजे तत्काल अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया और दिन में याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया। लेकिन बाद में उच्च न्यायालय को सर्वोच्च अदालत द्वारा पारित अंतरिम आदेश के बारे में सूचित किया गया जिसमें विध्वंस अभियान को तत्काल रोकने का आदेश दिया गया था।

उच्चतम न्यायालय में दवे ने कहा, ‘मुझे इसका फिर से उल्लेख करते हुए खेद है… सुबह मैंने इस मामले का जिक्र किया था। (रोक) आदेश की सूचना देने के बावजूद वे (अधिकारी) विध्वंस को नहीं रोक रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें आधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं मिली है। मैं महासचिव से पुलिस आयुक्त और उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर और आयुक्त को आदेश के बारे में बताने का अनुरोध करता हूं।”

उन्होंने तत्काल आ‍वश्यक कार्रवाई करने की अपील करते हुए कहा, “अन्यथा बहुत देर हो जाएगी।”

इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “ठीक है। सर्वोच्च अदालत के महासचिव के माध्यम से तत्काल इसकी सूचना दें।”

वरिष्ठ अधिवक्ता दवे ने कहा कि न्यायालय के आदेश की सुबह मीडिया द्वारा व्यापक रूप से रिपोर्ट की गई और इसके बाद भी अधिकारी उस पर अमल नहीं कर रहे हैं।

इससे पहले पूर्वाह्न में, दवे ने अतिक्रमण हटाने के लिए एनडीएमसी और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) सहित नागरिक निकायों के विशेष संयुक्त अभियान के खिलाफ जमीयत की याचिका का उल्लेख किया और कहा कि ‘पूरी तरह से अनधिकृत और असंवैधानिक विध्वंस’ का आदेश दिया गया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि कार्रवाई बुधवार को दोपहर दो बजे शुरू होने वाली थी लेकिन उसे सुबह नौ बजे ही शुरू कर दिया गया और कथित उल्लंघनकर्ताओं को कोई अनिवार्य नोटिस नहीं दिया गया है।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल भी मुस्लिम संगठन की ओर से पेश हुए और उन्होंने एक अन्य याचिका का उल्लेख किया जिसमें केंद्र और मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश सहित कुछ राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे दंगों के आरोपियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही में इमारतों को गिराने जैसी ‘कार्रवाई जल्दी नहीं करें।’’

पीठ ने आदेश दिया, ‘‘श्री दुष्यंत दवे द्वारा उल्लेख किए जाने पर, हम मामले को कल यानी 21 अप्रैल को (अन्य याचिका के साथ) किसी उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का रजिस्ट्री को निर्देश देते हैं… यथास्थिति, जो आज मौजूद है, अगले आदेश तक बनी रहेगी।’

इससे पहले उच्च न्यायालय जहांगीरपुरी में अतिक्रमण रोधी अभियान के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया था। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने वकीलों को उनकी याचिकाएं दायर करने का निर्देश दिया और कहा, ‘‘ मैं कुछ नहीं कह रहा हूं (विध्वंस कार्य रोकने के लिए), लेकिन उन्हें (अधिकारियों को) तैयार रहना चाहिए (निर्देशों के लिए)।’’ पीठ में न्यायमूर्ति नवीन चावला भी शामिल थे।

सुबह जब इस मामले का जिक्र किया गया तो अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय पहले ही मामले पर गौर कर रहा है। उसके बाद कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाएं दायर होने के बाद दिन में इन पर सुनवाई की जाएगी। साथ ही, उन्होंने पाया कि ‘‘ कोई नई कार्रवाई नहीं की जा रही’’ और अभियान पहले से ही जारी था।

बाद में पीठ को एक वकील ने सूचित किया कि उच्चतम न्यायालय ने वहां यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है और साम्प्रदायिक अपराधों के आरोपी को कथित रूप से निशाना बनाते हुए नागरिक निकायों की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है।

इसके बाद एक जनहित याचिका सहित याचिकाएं उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए नहीं आईं।

पीड़ित पक्षों में से एक की ओर से पेश हुईं वकील ने अदालत से दोपहर दो बजे तक निवासियों को ‘‘सुरक्षा’’ प्रदान करने का आग्रह किया।

भाषा अविनाश उमा

उमा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments