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Saturday, 5 October, 2024
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नीट-यूजी की शुचिता यदि ‘नष्ट’ हो गई है तो पुन: परीक्षा का आदेश देना होगा: शीर्ष अदालत

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नयी दिल्ली, आठ जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि यदि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 की शुचिता ‘नष्ट’ हो गई है तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा। शीर्ष अदालत ने साथ ही राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी और सीबीआई से प्रश्नपत्र लीक होने के समय तथा लीक होने और वास्तविक परीक्षा के बीच की अवधि के बारे में जानकारी मांगी।

उच्चतम न्यायालय ने पेपर लीक के लिए अपनायी गई कार्यप्रणाली की भी जानकारी मांगी। इसके साथ ही उसने गलत कृत्य करने वालों की संख्या के बारे में भी सवाल किया जिनकी अब तक पहचाने हुई है।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘एक बात स्पष्ट है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है।’

पीठ ने कहा कि प्रश्नपत्र लीक की सीमा और भौगोलिक सीमाओं के पार लाभार्थियों का पता लगाना होगा, उसके बाद ही अदालत पांच मई को आयोजित हुई विवादास्पद मेडिकल प्रवेश परीक्षा में दोबारा परीक्षा कराने का आदेश दे सकती है।

नीट-यूजी में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर अगली सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तारीख तय करते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के जांच अधिकारी को जांच की स्थिति को दर्शाने वाली रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। सीबीआई कदाचार, ‘ओएमआर’ शीट में हेरफेर, अभ्यर्थी के बदले किसी अन्य के परीक्षा देने और धोखाधड़ी के आरोपों की जांच कर रही है।

पुनः परीक्षा के आदेश पर कानूनी स्थिति का उल्लेख करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा कि इसकी ‘जांच करनी होगी कि क्या कथित उल्लंघन प्रणालीगत स्तर पर हुआ है, क्या उल्लंघन ने पूरी परीक्षा प्रक्रिया की शुचिता को प्रभावित किया है और क्या धोखाधड़ी के लाभार्थियों को बेदाग छात्रों से अलग करना संभव है।’’

पीठ ने कहा, ‘ऐसी स्थिति में जहां उल्लंघन पूरी प्रक्रिया को प्रभावित करता है और लाभार्थियों को दूसरों से अलग करना संभव नहीं है, फिर से परीक्षा का आदेश देना आवश्यक हो सकता है।’

पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को गलत कृत्यों के लाभार्थियों की पहचान के लिए अब तक उठाए गए कदमों के बारे में खुलासा करना चाहिए।

पीठ ने एनटीए से उन केंद्रों और शहरों की पहचान करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी, जहां प्रश्नपत्र लीक हुए थे। पीठ ने साथ ही इसके लाभार्थियों की पहचान करने के लिए अपनाए गए तौर-तरीकों और अब तक पता लगायी गई उनकी संख्या के बारे में भी जानकारी मांगी।

नीट-यूजी की शुचिता सुनिश्चित करने पर चिंता व्यक्त करते हुए सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सरकार के लिए जानेमाने विशेषज्ञों की एक बहु-विषयक टीम गठित करने पर विचार करना आवश्यक होगा ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि यदि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 की शुचिता ‘नष्ट’ हो गई है और यदि इसके लीक प्रश्नपत्र को सोशल मीडिया के जरिये प्रसारित किया गया है तो दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देना होगा।

उसने कहा कि यदि प्रश्नपत्र लीक टेलीग्राम, व्हाट्सऐप और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से हो रहा है, तो यह ‘जंगल में आग की तरह फैलेगा।’’

पीठ ने कहा, ‘यदि परीक्षा की शुचिता नष्ट हो जाती है, तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा। यदि हम दोषियों की पहचान करने में असमर्थ हैं, तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा।’ पीठ ने कहा, ‘जो हुआ, हमें उसे नकारना नहीं चाहिए।’

साथ ही पीठ ने कहा, ‘यह मान लें कि सरकार परीक्षा रद्द नहीं करेगी, तो वह प्रश्नपत्र लीक के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए क्या करेगी?’

उच्चतम न्यायालय विवादों से घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 से संबंधित 30 से अधिक याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई कर रहा था। इनमें पांच मई को हुई परीक्षा में अनियमितताओं और कदाचार का आरोप लगाने वाली और परीक्षा नये सिरे से आयोजित करने का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है। हम लीक की सीमा का पता लगा रहे हैं।’ पीठ ने कहा कि इसमें कुछ ‘चेतावनी के संकेत’ हैं क्योंकि 67 उम्मीदवारों ने 720 में से 720 अंक प्राप्त किए हैं। पीठ ने कहा, ‘पिछले वर्षों में यह अनुपात बहुत कम था।’

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह जानना चाहती है कि प्रश्नपत्र लीक से कितने लोगों को लाभ हुआ और केंद्र ने उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की। पीठ ने सवाल किया, ‘गलत काम करने वाले कितने लोगों के परिणाम रोके गए हैं और हम ऐसे लाभार्थियों का भौगोलिक वितरण जानना चाहते हैं।’

पीठ राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) में सफल गुजरात के 50 से अधिक अभ्यर्थियों की एक अलग याचिका पर भी सुनवाई कर रही है, जिसमें केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी को विवादित परीक्षा रद्द करने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने दलीलें शुरू करते हुए कहा कि वे पेपर लीक, ‘ओएमआर’ शीट में हेरफेर, अभ्यर्थी की जगह किसी अन्य के परीक्षा देने और धोखाधड़ी जैसे आधारों पर परीक्षा रद्द करने का अनुरोध कर रहे हैं।

केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी ने हाल में न्यायालय में कहा था कि गोपनीयता भंग होने के किसी साक्ष्य के बिना इस परीक्षा को रद्द करने का बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इससे लाखों ईमानदार अभ्यर्थियों पर ‘‘गंभीर असर’’ पड़ सकता है।

एनटीए और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय पांच मई को आयोजित परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक से लेकर अभ्यर्थी की जगह किसी अन्य के परीक्षा देने तक बड़े पैमाने पर कथित अनियमितताओं को लेकर मीडिया में बहस और छात्रों और राजनीतिक दलों के विरोध के केंद्र में रहे हैं।

देश भर के सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एनटीए द्वारा नीट-यूजी परीक्षा आयोजित की जाती है। पेपर लीक सहित अनियमितताओं के आरोपों के कारण कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए और प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों के बीच तकरार हुई।

नीट-यूजी 2024 में कुल 67 छात्रों ने 720 अंक प्राप्त किए, जो एनटीए के इतिहास में अभूतपूर्व है। इस सूची में हरियाणा के एक केंद्र के छह छात्र शामिल हैं, जहां परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर संदेह उत्पन्न हुआ। यह आरोप लगाया गया है कि कृपांक के चलते 67 छात्रों को शीर्ष रैंक प्राप्त करने में मदद मिली।

एनटीए द्वारा एक जुलाई को संशोधित परिणाम घोषित किए जाने के बाद, नीट-यूजी में शीर्ष रैंक वाले अभ्यर्थियों की संख्या 67 से घटकर 61 हो गई।

भाषा

अमित अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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