नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आरोप लगाया है कि हाल में देश भर में हिंसा की घटनाएं ‘छिटपुट सांप्रदायिक दंगे’ नहीं हैं, बल्कि मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए हिंदू नववर्ष तथा रामनवमी के जुलूसों का उपयोग करते हुए दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा ‘नियोजित हमले’ हैं।
माकपा के मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी के नवीनतम संस्करण में प्रकाशित संपादकीय में पार्टी ने देश भर में दो धार्मिक समुदायों के बीच हिंसा का जिक्र करते हुए कहा है कि यह मुस्लिम विरोधी अभियान को ‘नए स्तर’ पर ले जाने का एक तरीका है।
इसमें कहा गया है, ‘अप्रैल के महीने में हिंदुत्ववादी ताकतों द्वारा मुसलमानों पर हमलों में तीव्र वृद्धि देखी गई है। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) संगठनों ने योजनाबद्ध और संगठित तरीके से दो अप्रैल को हिंदू नववर्ष और 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस का मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए उपयोग किया है।’’
संपादकीय में कहा गया है, ‘देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यप्रणाली एक समान रही है – हथियारों के साथ जुलूस निकाले जाते हैं और जैसे ही वे मुस्लिम इलाकों से गुजरते हैं, मस्जिद के बाहर भड़काऊ नारे लगाए जाते हैं तथा झड़पें की जाती हैं। यह मुस्लिम दुकानों और घरों पर हमला करने का संकेत बन जाता है और आगजनी की जाती है।’’
इसमें आगे कहा गया है कि हिंसा की ये घटनाएं स्वतःस्फूर्त सांप्रदायिक दंगे या झड़पें नहीं हैं तथा यह तब स्पष्ट हो गया जब 10 अप्रैल को छह राज्यों – गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और गोवा में ऐसी घटनाएं हुईं। पार्टीके अनुसार रामनवमी के जुलूस के कारण इन राज्यों में करीब एक दर्जन जगहों पर हिंसा हुई।
भाषा अविनाश पवनेश
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