नयी दिल्ली, चार मई (भाषा) छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर के दूरदराज के इलाकों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कुछ नवनिर्मित कैंप पर नक्सलियों द्वारा ग्रेनेड लांचर से हमला किया जा रहा है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
तात्कालिक उपकरणों को ‘बैरल ग्रेनेड लांचर’ कहा जाता है और पिछले लगभग छह महीनों में इन विस्फोटकों से भरे 100-150 उपकरणों को अर्धसैनिक बलों के कैंप की तरफ दागा गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ”छत्तीसगढ़ के वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में बनाए गए नए सुरक्षा कैंप को निशाना बनाने के लिए इन कच्चे और तात्कालिक विस्फोटक उपकरणों का उपयोग करने की कुछ घटनाएं हुई हैं। अब इन हमलों की तीव्रता बढ़ गई है।”
इस तरह के हमले पहले भी बीएसएफ और आईटीबीपी जैसे अन्य केंद्रीय सुरक्षा बलों द्वारा रिपोर्ट किए गए हैं, जो क्रमशः राज्य के कांकेर और राजनांदगांव जिलों में तैनात हैं।
अधिकारी ने कहा कि हमलों से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कैंप को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है, इसके अलावा कुछ समय पहले राज्य के सुकमा जिले के एक कैंप में एक रॉकेट लांचर में विस्फोट के बाद एक जवान को उसके मामूली छर्रे से चोट लगी थी।
अधिकारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में स्थित कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी दक्षिण बस्तर के एक जिले में एक आंगनवाड़ी केंद्र में लोहे के बने लांचर मिलने के बाद स्थानीय पुलिस को सूचना दी है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर तैयार किए गए ग्रेनेड लांचर में विस्फोटक भरा जा रहा है, लेकिन खराब निर्माण के कारण वे कई बार विस्फोट करने में विफल रहते हैं।
सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि माओवादियों द्वारा हमले सुरक्षा बलों को नक्सली गढ़ में नए कैंप बनाने से रोकने के लिए किए जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों के संचालन के लिए बड़े पैमाने पर तैनात सीआरपीएफ, सशस्त्र माओवादी कैडरों द्वारा अक्सर गहरे और दूरदराज के जंगल क्षेत्रों में प्रवेश करने के अपने प्रयास के तहत पिछले कुछ वर्षों में फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (एफओबी) बना रहा है।
इसने हाल ही में छत्तीसगढ़ में इस विशिष्ट उद्देश्य के लिए लगभग पांच बटालियनों को शामिल किया है। सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि इसने पिछले दो वर्षों में छत्तीसगढ़ में लगभग 11 एफओबी स्थापित किए हैं और राज्य में ऐसे करीब पांच और ठिकाने बनाने की योजना है।
अर्धसैनिक बल के एक अधिकारी ने बताया, ”केंद्रीय बल और माओवादियों के बीच आमने-सामने की लड़ाई की घटनाओं में भारी कमी आई है। शायद यही वजह है कि नक्सली अब इन कच्चे ग्रेनेड लांचरों का इस्तेमाल कैंप पर हमला करने के लिए कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां इन उपकरणों के स्रोत और विस्फोट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले विस्फोटक का पता लगाने के लिए काम कर रही हैं।
भाषा फाल्गुनी माधव
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