भोपाल, 30 अप्रैल (भाषा) मध्य प्रदेश सरकार ने खरगोन शहर में 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान हुई हिंसा के संबंध में स्थापित दावा न्यायाधिकरण के कामकाज और क्षेत्राधिकार के संबंध में सार्वजनिक और निजी संपत्ति वसूली कानून के तहत नियमों को शनिवार को अधिसूचित किया।
शिवराज सिंह चौहान सरकार ने खरगोन हिंसा में शामिल लोगों से नुकसान की वसूली के लिए सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश डॉ शिवकुमार मिश्रा की अध्यक्षता और सेवानिवृत्त सचिव प्रभात पाराशर के सदस्यता वाले दो सदस्यीय न्यायाधिकरण का गठन किया था।
मध्य प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति के नुकसान की वसूली कानून के तहत नियमों की राजपत्र अधिसूचना के अनुसार, कार्यवाही के किसी भी चरण में किसी भी पक्षकार की मृत्यु की दशा में मुआवजे का दावा समाप्त नहीं होगा और उसकी संपत्ति से वसूली की जा सकेगी।
नियमों के अनुसार प्रदेश सरकार तीन अधिकारियों की एक समिति भेजेगी और न्यायाधिकरण के अध्यक्ष न्यायाधिकरण की सहायता के लिए समिति में से दावा आयुक्त (क्लेम कमिश्नर) नियुक्त कर सकते हैं।
अधिसूचना में बताया गया है कि हिंदी न्यायाधिकरण के कामकाज की भाषा होगी। न्यायाधिकरण खुली (आन कैमरा) सुनवाई के बारे में निर्णय ले सकता है जिसमें गवाह शपथ के तहत सबूत देगें।
यह कानून विरोध प्रदर्शन और दंगों के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार लोगों और संगठनों से नुकसान की वसूली का प्रावधान करता है। इसे पिछले साल दिसंबर में मध्य प्रदेश विधानसभा द्वारा पारित किया गया था।
अधिकारियों ने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश मिश्रा और सेवानिवृत्त सचिव पाराशर के दो सदस्यीय न्यायाधिकरण के तीन माह के अंदर अपना काम पूरा करने की उम्मीद है।
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