नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय की पुनर्विचार याचिका का विरोध किया है । याचिका में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में उनके खिलाफ जारी कार्यवाही को कोलकाता से नयी दिल्ली स्थानांतरित करने के आवेदन को रद्द करने की समीक्षा करने का अनुरोध किया गया है।
अपने जवाब में केंद्र ने कहा कि पुनर्विचार याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि इसमें मार्च में पारित अदालती आदेश की समीक्षा के लिए किसी कानूनी आधार का उल्लेख नहीं है। केंद्र ने जोर दिया कि मौजूदा कार्यवाही मामले की दोबारा सुनवाई के प्रयास में दायर एक अपील है।
पिछले महीने, बंदोपाध्याय (याचिकाकर्ता) ने न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ से बर्खास्तगी आदेश पर इस आधार पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था कि उस समय उन्हें अपना पक्ष रखने का पर्याप्त अवसर नहीं मिला, जब मामला मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सिंह की तत्कालीन पीठ के समक्ष आदेश पारित करने के लिए रखा गया था।
बंदोपाध्याय ने तर्क दिया था कि उस दिन सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील के इनकार करने के बाद उनका पक्ष कनिष्ठ वकील को रखना पड़ा था जबकि केंद्र की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पक्ष रख रहे थे।
केंद्र ने अपने जवाब में कहा कि हालांकि, सुनवाई के अधिकार की बात वैध और महत्वपूर्ण है लेकिन केवल एक वरिष्ठ वकील द्वारा सुनवाई का अवसर दिया जाना कोई मौलिक अधिकार नहीं है।
केंद्र ने यह भी कहा कि फैसला सुनाने वाले मुख्य न्यायाधीश के सेवानिवृत्त होने के बाद पुनर्विचार याचिका दायर करना ”पीठ को भ्रमित” करने जैसा है।
उल्लेखनीय है कि सात मार्च को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल की अध्यक्षता वाली पीठ ने बंदोपाध्याय के खिलाफ सुनवाई कोलकाता से नयी दिल्ली स्थानांतरित करने के आदेश को चुनौती देने वाले आवेदन को खारिज कर दिया था। अदालत ने स्थानांतरण आदेश को कानूनी रूप से उचित करार दिया था।
भाषा शफीक नरेश
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