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शनिवार, 24 मई, 2025
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एक हजार बाल मजदूरों को मुक्त कराने के लिए याचिका, अदालत ने दिल्ली सरकार को जारी किया नोटिस

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नयी दिल्ली, 15 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार से उस याचिका पर जवाब तलब किया जिसमें अधिकारियों से छापेमारी कर देशभर के विभिन्न हिस्सों से लाए गए करीब एक हजार बाल मजदूरों को मुक्त कराने का आग्रह किया गया है जिनसे कथित तौर पर बंधुआ मजदूरी कराई जा रही है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला ने दिल्ली सरकार, राजस्व विभाग, दिल्ली बाल अधिकार सरंक्षण आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता रोहतास ने जनहित याचिका में दावा किया कि उसने अधिकारियों से दिल्ली की विभिन्न संपत्तियों पर छापेमारी कर 245 बच्चों और 772 किशोरों को मुक्त कराने के लिए 18 शिकायतें दी जिनसे अति असुरक्षित और गंदे माहौल में रोजाना 12 से 13 घंटे काम कराया जा रहा है। रोहतास के मुताबिक वह गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘सहयोग केयर फॉर यू’ के काम का समर्थन करते हैं।

याचिका में कहा गया है कि अधिकांश बच्चे तस्करी करके लाए गए हैं और वे जिन नियोक्ता के लिए काम करते हैं उनके साथ ही रहते हैं एवं उन्हें अत्यंत खतरनाक परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, जो उनके स्वास्थ्य और शारीरिक विकास के लिए हानिकारक है।

दिल्ली सरकार के स्थायी अधिवक्ता (दीवानी) संतोष कुमार त्रिपाठी ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिकाकर्ता ने उन संपत्तियों का कोई उचित पता नहीं दिया है जहां बाल मजदूरों के काम करने का संदेह है। उन्होंने कहा कि पतों की पहचान किए बिना प्राधिकारियों द्वारा कार्रवाई मुश्किल हो सकती है।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि आज तक उन्हें केवल तीन उपजिलाधिकारियों (एसडीएम) के साथ बैठक के लिए पत्र प्राप्त हुआ है। त्रिपाठी ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि याचिकाकर्ता सोमवार को ही एसडीएम (मुख्यालय) से मिलें।

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘अदालत को इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रशासन तत्काल कार्रवाई करेगा और इस मुद्दे पर अदालत के पूर्व के निर्णयों को ध्यान में रखेगा।’’

भाषा धीरज माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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