(नीलाभ श्रीवास्तव)
नयी दिल्ली, 15 जनवरी (भाषा) केन्द्र सरकार की क्षेत्रीय संपर्क योजना ‘उड़ान’ के तहत द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों में संचालित 60 से ज्यादा हवाई अड्डों को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की आतंकवाद-रोधी सुरक्षा कवर के तहत लाने के लिए करीब 1,650 कर्मियों को तैनात करने की योजना है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।
सुरक्षा संबंधी इस प्रस्ताव को अभी केन्द्रीय गृह मंत्रालय से अंतिम मंजूरी मिलना शेष है। नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) ने नागर विमानन मंत्रालय और सीआईएसएफ की सलाह से इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया है। यह प्रस्ताव देश भर के छोटे-छोटे हवाई अड्डों से उड़ान भरने वाले यात्रियों की सुरक्षा के लिए ‘‘बेहद जरूरी उपाय’ से संबंधित है।
क्षेत्रीय संपर्क योजना के तहत आने वाले शिमला जैसे छोटे हवाई अड्डों की सुरक्षा सीआईएसएफ के जिम्मे है, जबकि अन्य कई हवाई अड्डों की सुरक्षा राज्य पुलिस या उनकी विशेष सशस्त्र इकाइयां कर रही हैं। इस संबंध में कोई समान नीति नहीं है।
केन्द्र सरकार ने उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) योजना की शुरुआत 21 अक्टूबर, 2016 को की थी। इसका लक्ष्य द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों में रहने वालों के लिए हवाई संपर्क बढ़ाना और हवाई यात्रा को सस्ता बनाना है।
‘पीटीआई-भाषा’ को प्राप्त ताजा ब्लूप्रिंट के अनुसार, उड़ान योजना के तहत आने वाले प्रत्येक हवाई अड्डे पर 57 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जाएगा, इनमें से 27 सशस्त्र बल सीआईएसएफ से होंगे, जबकि शेष निजी सुरक्षा एजेंसियों से आउटसोर्स किए जाएंगे।
गौरतलब है कि सीआईएसएफ फिलहाल देश के 66 प्रमुख घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों की सुरक्षा करती है।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘सीआईएसएफ को उड़ान के तहत आने वाले हवाई अड्डों की सुरक्षा करने के लिए नये कर्मी मिलेंगे, जो सीआईएसएफ की सुरक्षा के तहत आने वाले हवाई अड्डों से हटाये गये 3,049 सुरक्षाकर्मियों के पुल से होंगे। हाल ही में सीआईएसएफ के इन सुरक्षाकर्मियों को हटाकर इनके स्थान पर 1,924 निजी सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है।’’
भाषा अर्पणा सुरेश
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