मुंबई, 25 अप्रैल (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने ‘हनुमान चालीसा’ विवाद के सिलसिले में गिरफ्तार निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा द्वारा दायर उस रिट याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 353 के तहत दर्ज दो प्राथमिकी में से एक को रद्द करने का अनुरोध किया था।
राणा दंपति को हनुमान चालीसा के पाठ को लेकर विवाद के संबंध में विभिन्न आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया है।
न्यायमूर्ति पी. बी. वराले और न्यायमूर्ति एस. एम. मोदक की पीठ ने कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है।
पीठ ने हालांकि कहा कि अगर पुलिस दूसरी प्राथमिकी के आधार पर राणा दंपति को गिरफ्तार करने या उनके खिलाफ कोई अन्य दंडात्मक कार्रवाई करने का फैसला करती है, तो उन्हें 72 घंटे का पूर्व नोटिस देना होगा।
खार पुलिस ने अमरावती से सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा के खिलाफ मुंबई में दो प्राथमिकी दर्ज की थीं। विभिन्न धर्मों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने के आरोप में पुलिस ने 23 अप्रैल को पहली प्राथमिकी दर्ज की थी। बाद में इस प्राथमिकी में राजद्रोह का आरोप भी जोड़ दिया गया था। खार पुलिस ने 24 अप्रैल को एक लोक सेवक को ड्यूटी करने से रोकने के आरोप में राणा दंपति के खिलाफ आईपीसी की धारा 353 के तहत दूसरी प्राथमिकी दर्ज की थी।
दूसरी प्राथमिकी के अनुसार, जब राणा दंपति को गिरफ्तार किया गया और पुलिस वाहन में बैठने के लिए कहा गया, तो उन्होंने पुलिस से बहस की और ‘‘कुछ धक्का-मुक्की’’ हुई।
राणा दंपति फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। उन्होंने सोमवार सुबह अधिवक्ता रिजवान मर्चेंट के माध्यम से उच्च न्यायालय का रुख कर दूसरी प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया।
मर्चेंट ने उच्च न्यायालय को बताया कि सभी अपराध एक ही घटना का हिस्सा थे और पुलिस द्वारा दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई थीं- ताकि पहली प्राथमिकी में जमानत मिलने पर राणा दंपति को दूसरी प्राथमिकी में गिरफ्तार किया जा सके।
विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) प्रदीप घरात ने दलील दी कि दोनों प्राथमिकी दो अलग-अलग घटनाओं का परिणाम थीं- पहली (हनुमान चालीसा के पाठ) की घोषणा पर आधारित थी, और दूसरी तब दर्ज की गई थी जब दंपति ने गिरफ्तारी का विरोध किया था।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘ये दो अलग-अलग घटनाएं हैं और हमें राहत देने का कोई कारण नहीं दिखता है।’’पीठ ने हालांकि कहा कि अगर पुलिस दूसरी प्राथमिकी के आधार पर राणा दंपति को गिरफ्तार करने या उनके खिलाफ कोई अन्य दंडात्मक कार्रवाई करने का फैसला करती है, तो उन्हें 72 घंटे का पूर्व नोटिस देना होगा।
पीठ ने कहा कि राणा दंपति को सार्वजनिक हस्ती होने के नाते अधिक जिम्मेदारी से काम करना चाहिए था। पीठ ने कहा कि ‘मातोश्री’ के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने के संबंध में दंपति के सार्वजनिक बयानों के बाद महाराष्ट्र सरकार कानून और व्यवस्था की समस्याओं को लेकर सही थी।
एसपीपी घरात ने दलील दी कि राणा दंपति को पता था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अप्रैल को मुंबई का दौरा कर रहे हैं और उनकी योजना ‘‘विस्फोटक स्थिति’’ का कारण बनेगी, क्योंकि मस्जिदों में लाउडस्पीकर के मुद्दे को लेकर स्थिति पहले से ही तनावपूर्ण थी।
भाषा
देवेंद्र दिलीप
दिलीप
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