बेंगलुरु, 16 मई (भाषा) कर्नाटक सरकार द्वारा धर्मांतरण के खिलाफ अध्यादेश पारित करने के मद्देनजर, बेंगलुरु के आर्चबिशप पीटर मचाडो ने सोमवार को कहा कि सरकार अल्पसंख्यकों को दरकिनार करने के लिए कुछ समूहों के प्रभाव में थी।
राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मुलाकात के बाद मचाडो ने संवाददाताओं से कहा, “शायद, सरकार कुछ समूहों, कुछ खास श्रेणियों के लोगों के प्रभाव में है या उनके सामने मजबूर है, जो सरकार को अल्पसंख्यकों को दरकिनार करने के लिए बाध्य कर रहे हैं।”
बिशप और पादरियों सहित छह लोगों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन में गहलोत से मुलाकात की और उनसे उस अध्यादेश को मंजूरी नहीं देने की अपील की जिसे हाल ही में कैबिनेट द्वारा पारित किया गया था।
अदालत जाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर मचाडो ने कहा कि यह तय नहीं किया गया है, लेकिन यह अध्यादेश को रोकने के विकल्पों में से एक होगा।
उन्होंने कहा, “यदि अध्यादेश अधिसूचित किया जाता है, तो, हमें निश्चित रूप से विभिन्न संसाधन खोजने के तौर-तरीके देखने होंगे और कानूनी मार्ग भी उन चीजों में से एक है जिसे हम अपना सकते हैं।”
सरकार ने अध्यादेश क्यों पारित किया, इस पर आश्चर्य जताते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार एक अच्छी सरकार है।
एक सवाल का जवाब देते हुए आर्चबिशप ने कहा, “मुझे कहना होगा कि कर्नाटक सरकार पूरे भारत में एक अच्छी सरकार है। किसी तरह, आप मुझसे जो प्रश्न पूछ रहे हैं, वह मुझे उकसाने जैसा है।”
सौहार्दपूर्ण व्यवहार और उन्हें धैर्यपूर्वक सुनने के लिए राज्यपाल की सराहना करते हुए मचाडो ने कहा, “हमें विश्वास है कि राज्यपाल हमारी भावनाओं पर संज्ञान लेंगे और जहां तक संभव हो, इस अध्यादेश को मंजूरी नहीं देंगे क्योंकि हमने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि यह आवश्यक नहीं है।”
उन्होंने कहा कि ईसाई शांतिप्रिय लोग हैं और पिछले दो या तीन महीनों में धर्मांतरण की कोई घटना सामने नहीं आई है। उन्होंने कहा कि साथ ही गंभीर हमलों की कोई घटना नहीं हुई है।
आर्चबिशप ने कहा कि हो सकता है सरकार ने परेशानी पैदा करने वालों को एक संदेश भेजा, जो उन्हें लगता है कि एक अच्छा कदम है।
मचाडो ने कहा, “लेकिन, अध्यादेश को अचानक पारित करना हमारे लिए थोड़ा हैरान करने वाला और दुखद भी था क्योंकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और कर्नाटक में लोकतांत्रिक परंपराएं हैं।”
कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक पिछले दिसंबर में विधानसभा द्वारा पारित किया गया था, लेकिन यह विधान परिषद में पारित नहीं हो पाया है जहां सत्तारूढ़ भाजपा के पास बहुमत कम है।
विधेयक धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को संरक्षण प्रदान करता है और गलत जानकारी, बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव, दंडात्मक तरीकों, बहला-फुसलाकर या किसी और तरह की धोखाधड़ी के जरिये धर्मांतरण का निषेध करता है।
भाषा
प्रशांत नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.