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Monday, 18 November, 2024
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असम: विपक्ष ने घर तोड़ने को ‘प्रतिशोध’ बताया, भाजपा ने थाने में आगज़नी को ‘जिहादियों’ का काम कहा

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गुवाहाटी, 23 मई (भाषा) असम में विपक्षी दलों ने नगांव जिले में एक थाने को जलाने में कथित रूप से शामिल ग्रामीणों के घरों को बुलडोज़र से गिराने और हिरासत में एक शख्स की मौत होने के बाद थाने को आग लगाने की घटनाओं की सोमवार को निंदा की।

उधर, सत्तारूढ़ भाजपा ने प्रशासन की कार्रवाई का बचाव करते हुए बटाद्रवा थाने को जलाने के लिए ‘जिहादियों’ को जिम्मेदार ठहराया है। दरअसल, पुलिस ने शुक्रवार रात को सफीकुल इस्लाम नाम के शख्स को हिरासत में लिया था जिसकी थाने में मौत हो गई थी। इसके बाद भीड़ ने शनिवार को थाने को आग लगा दी।

जिला प्रशासन ने अगले दिन यानी रविवार को इस्लाम के सालनाबोरी गांव में तोड़फोड़ अभियान चलाया और मृतक तथा उसके कई रिश्तेदारों के घर तोड़ दिए और आरोप लगाया कि उन्होंने ‘अतिक्रमण’ किया था और वे ‘भूमि के जाली दस्वातेजों’ के आधार पर वहां रह रहे थे।

प्रदेश कांग्रेस ने अपने कार्यकारी अध्यक्ष राणा गोस्वामी के नेतृत्व में सात सदस्यीय समिति को बटाद्रवा का दौरा करने और वहां की स्थिति का जायजा लेने के लिए नियुक्त किया है। इसमें बटाद्रवा के विधायक सिबामोनी बोरा भी शामिल हैं।

समिति स्थानीय लोगों से बातचीत करके घटनाओं की असली वजह का पता लगाएगी और दो दिन में रिपोर्ट जमा करेगी। पार्टी ने एक बयान में कहा, “यह जानकर हैरानी होती है कि स्थानीय लोगों के कई घरों को बुलडोजर से गिरा दिया गया है।”

ट्विटर पर कांग्रेस सांसद अब्दुल खालीक ने कहा कि उनकी पार्टी कभी भी थाने पर किसी भी तरह के हमले का समर्थन नहीं करेगी लेकिन संदिग्ध हमलावरों के घरों को तोड़ना ‘मानवाधिकारों का सीधा हनन’ है।

तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा कि थाने में आग लगाने की घटना ‘चिंता का विषय’ है जो कानून के शासन में लोगों के कम होते विश्वास को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, “यह दिखाता है कि लोगों का कानून पर से भरोसा उठ रहा है और थाने में आग लगाना कानून-व्यवस्था के लिए खतरा है। हिरासत में हुई मौत कानूनी तंत्र की पूरी तरह से लापरवाही का भी संकेत देती है।”

राज्य से पूर्व सांसद ने यह भी कहा कि पिछले साल हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद से ‘जनता और पुलिस के बीच की दूरी बढ़ गई है।”

हिरासत में मौत के बाद थाने में आगजनी की घटना को ‘अराजकता’ करार देते हुए असम जातीय परिषद के प्रमुख लुरिनज्योति गोगोई ने कहा, ”इन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता है। जब कानून का सम्मान कम हो जाता है तो ऐसी चीजें होती हैं। जब मुख्यमंत्री खुलकर मुठभेड़ का समर्थन करते हैं तो ऐसी घटनाएं होनी ही हैं।”

उन्होंने दावा किया कि बाद में तोड़फोड़ अभियान चलाना ‘सरकार की प्रतिशोधी प्रकृति’ को दर्शाता है।

गोगोई ने कहा, “जब भी यह सरकार किसी को पसंद नहीं करती है, तो वह पुलिस को उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहती है।”

थाने पर हमले को ‘संगठित आतंकवादी कृत्य’ करार देते हुए, सत्तारूढ़ भाजपा ने दावा किया कि आगजनी में ‘प्रशिक्षित जिहादी’ शामिल थे। भाजपा ने तोड़फोड़ अभियान का स्वागत किया है।

भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता रंजीव कुमार सरमा और सुभाष दत्ता ने दावा किया है कि बांग्लादेश के मुस्लिम बदमाशों ने बटाद्रवा थाने पर सुनियोजित हमले को अंजाम देने के लिए पीएफआई के शिविरों में प्रशिक्षण लिया था।

भाषा नोमान मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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