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रविवार, 8 जून, 2025
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अदालत ने डीयू के दृष्टिबाधित प्रोफेसर के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया

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नयी दिल्ली, दो जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) अपने दृष्टिबाधित प्रोफेसर के खिलाफ आगे कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगा, जिन पर छात्रावास में निर्धारित अवधि से अधिक समय तक रहने के लिए छह लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया है।

न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने जुर्माना लगाए जाने के खिलाफ शर्मिष्ठा अत्रेजा की याचिका पर नोटिस जारी किया और विश्वविद्यालय से चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई एक अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा, ‘‘अगली सुनवाई तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।’’

याचिकाकर्ता कला संकाय में दर्शनशास्त्र की प्रोफेसर हैं और उन्हें पिछले महीने डीयू से एक पत्र मिला था जिसमें अगस्त 2021 से मार्च 2024 तक उनके छात्रावास में रहने के लिए छह लाख रुपये से अधिक की मांग की गई थी।

मांग को अनुचित और निरस्त करने योग्य बताते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनसे वसूली जाने वाली राशि के संबंध में कोई ब्योरा नहीं दिया गया है, खासकर तब जब वह परिसर की अनाधिकृत निवासी नहीं थीं।

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के तहत प्रशासन उन्हें उचित आवास प्रदान करने के लिए बाध्य है। अदालत को यह भी बताया गया कि प्रोफेसर के वेतन से 33,000 रुपये की राशि पहले ही वसूल की जा चुकी है।

भाषा

शफीक प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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