चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की तरफ जीरा तहसील स्थित मालब्रोस शराब फैक्टरी बंद करने की घोषणा किए जाने के करीब एक पखवाड़े बाद भी इस संबंध में लिखित आदेश आने का इंतजार है.
मंसूरवाल गांव—जहां मालब्रोस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड का कारखाना है—के निवासी पिछले साल जुलाई से इस यूनिट के बाहर स्थायी तौर पर धरना दे रहे हैं, जिनका आरोप था कि कारखाने की वजह से आसपास के क्षेत्रों में मिट्टी, पानी और हवा प्रदूषित हो रही थी.
आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने छह महीने से जारी विरोध के आगे झुकते हुए आखिरकार 17 जनवरी को घोषणा की कि कारखाने को तुरंत बंद कर दिया जाएगा.
मान ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘जो कोई भी अपने निजी स्वार्थी और व्यावसायिक लाभों के लिए पंजाब की जमीन, हवा और पानी को खराब करने की कोशिश करेगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा. वो चाहे कोई भी क्यों ने हो.’
बंद किए जाने की घोषणा के बावजूद जीरा सांझा मोर्चा के तत्वावधान में कारखाने के बाहर जमे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री का लिखित आदेश जारी होने से पहले अपना आंदोलन खत्म करने से साफ इनकार कर दिया है.
जीरा सांझा मोर्ची की तरफ से बुधवार को जारी एक वीडियो मैसेज में कहा गया, ‘हम मुख्यमंत्री से अनुरोध कर रहे हैं कि 17 जनवरी की अपनी घोषणा के संबंध में लिखित आदेश जारी करें. चूंकि 3 फरवरी को पंजाब कैबिनेट की बैठक होने वाली, इसलिए हमारा सीएम से आग्रह है कि इस घोषणा को कैबिनेट एजेंडे का हिस्सा बनाएं और इसे पारित कराएं.’
हालांकि, इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) फैक्टरी बंद करने संबंधी विस्तृत लिखित आदेश कब जारी करेगा, लेकिन सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सीएमओ चार विशेषज्ञ समितियों के निष्कर्षों पर अंतिम रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है, जिन्हें फैक्टरी की तरफ से कथित तौर पर पर्यावरणीय क्षति पहुंचाने संबंधी आकलन के लिए गठित किया गया था.
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समितियों की अंतिम रिपोर्ट ‘जल्द आने वाली है’
पिछले साल 22 दिसंबर को पंजाब सरकार ने मालब्रोस फैक्टरी की तरफ से प्रदूषण फैलाए जाने संबंधी आरोपों की जांच के लिए चार विशेषज्ञ समितियों का गठन किया था.
चार समितियों में से पहली को मानव स्वास्थ्य (वायु प्रदूषण) पर संभावित नुकसान के आकलन का जिम्मा सौंपा गया था, दूसरी को मवेशियों को संभावित नुकसान का आकलन करना था. तीसरी फसलों (मिट्टी को होने वाली क्षति) पर इसके असर का आकलन करने के लिए और चौथी समिति जल प्रदूषण के आकलन के लिए थी. कुछ प्रदर्शनकारियों को भी इन समितियों में बतौर सदस्य शामिल किया गया था.
फिरोजपुर (जिसके तहत ही जीरा आता है) के डिप्टी कमिश्नर राजेश धीमान—जो समितियों के कामकाज पर नजर रखने वाले नोडल अधिकारी भी हैं—ने दिप्रिंट को बताया, ‘सभी चार समितियों ने नमूने जुटाने का अपना काम पूरा कर लिया है. तीन समितियां पहले ही अपनी रिपोर्ट दे चुकी हैं, जो मिट्टी और मानव तथा पशु स्वास्थ्य से जुड़ी हैं. इन्हें आगे विश्लेषण के लिए पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेज दिया गया है.’
उन्होंने बताया, ‘जल प्रदूषण से संबंधित रिपोर्ट अभी तैयार की जा रही हैं. अगले सप्ताह तक, सभी समितियों के निष्कर्षों का एक साथ विश्लेषण किया जाएगा और एक अंतिम रिपोर्ट पेश की जाएगी.’
मालब्रोस फैक्टरी मालिक और शिरोमणि अकाली दल के पूर्व विधायक दीप मल्होत्रा को आप के दिल्ली नेतृत्व का करीबी माना जाता है. मल्होत्रा ने प्रदर्शनकारियों को हटाने और फैक्टरी फिर से चालू कराने के उद्देश्य से पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की ओर रुख किया था.
हाई कोर्ट के आदेश के बाद फिरोजपुर प्रशासन ने पिछले साल दिसंबर में प्रदर्शनकारियों को कारखाने के मेन गेट के बाहर से हटाने की कोशिश भी की थी. इसके दौरान पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़पें हुईं और तीन दिनों के दौरान भारतीय किसान यूनियन के विभिन्न गुटों के समर्थन के साथ प्रदर्शनकारियों की भीड़ सैकड़ों से बढ़कर हजारों में हो गई.
जनवरी में हाई कोर्ट ने अपने आदेशों के पालन में फिरोजपुर प्रशासन के नाकाम रहने पर स्वत: संज्ञान लिया और पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया.
इस पर अगली सुनवाई 13 फरवरी को होनी है. जबकि मालब्रोस फैक्टरी से जुड़े मुख्य मामले—जो कारखाना फिर से खोलने और इससे होने वाले प्रदूषण से निपटने से जुड़ा है—में सुनवाई 28 फरवरी को होगी.
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को कारखाना बंद होने के कारण शराब कारोबारी को वित्तीय नुकसान की भरपाई के तौर पर 20 करोड़ रुपये अपनी रजिस्ट्री में जमा कराने का आदेश भी दिया था.
(अनुवादः रावी द्विवेदी | संपादनः ऋषभ राज)
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