उत्तरकाशी, 31 जुलाई (भाषा) बालक राम नौटियाल ने जब अपने गांव लौटने और खेती करने के लिए शहर की अपनी नौकरी छोडी तो वह इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं थे कि उनका फैसला ठीक है । लेकिन अब चार साल बाद उन्हें इस बात का कोई पछतावा नहीं है क्योंकि उनके खेतों में उग रही गेंदे की फसल से वह लाखों में कमा रहे हैं ।
उत्तरकाशी के लोगों को पहले विवाह, सार्वजानिक समारोहों या धार्मिक रस्मों के वास्ते फूल खरीदने के लिए ऋषिकेश और देहरादून आना पड़ता था, लेकिन अब उनके गृह जिले में ही उन्हें फूल मिल जाते हैं ।
नौटियाल (29) ने 2018 में जौलीग्रांट हवाई अड्डे की अपनी नौकरी छोड़ी थी और चिन्यालीसौड प्रखंड में स्थित अपने खूबसूरत गांव तुल्यादा लौट आए थे । उन्होंने बताया कि उस समय उनका मुख्य इरादा गांव में अपने बूढे़ होते माता—पिता का हाथ बंटाना था लेकिन अब फूलों की खेती उनका पूर्ण कालिक व्यवसाय बन चुका है ।
यमुनोत्री के विधायक संजय डोभाल कहते हैं, ‘ उसकी सफलता देखिए । उत्तरकाशी के लोग अब उस सदियों पुरानी मान्यता पर सवाल उठाने लगे हैं कि रोजी—रोटी कमाने के लिए शहरी इलाकों में जाना जरूरी है ।’
विधायक ने कहा कि उत्तराखंड की पहाड़ियों पर कई प्रकार के फूल उगते हैं लेकिन उनकी व्यवसायिक खेती पहाड़ पर रहने वाले लोगों के लिए आजीविका कमाने का विकल्प कभी नहीं था । हालांकि, नौटियाल ने सिद्ध कर दिया है कि यह संभव है ।
ऐसे समय में जब उत्तराखंड के पहाड़ों से लगातार पलायन और गांवों में कम हो रही जनसंख्या प्रशासन और सरकार के लिए चिंता का कारण बना हुआ है, वे नौटियाल की सफल कहानी को यहां से चले गए लोगों के सामने पेश कर सकते हैं ।
गांव लौटकर नौटियाल ने अपने खेत में पहले टमाटर, बैगन, खीरा और नींबू बोए और उनकी फसल इतनी शानदार हुई कि उन्होंने बागवानी में अवसर तलाशने का फैसला लिया ।
नौटियाल की सब्जी और फलों की स्थानीय बाजार में हमेशा से ही बढिया मांग रही लेकिन जब उनके एलोवेरा के जूस दुकानों में आए तो इसने अधिकारियों का ध्यान अपनी ओर खींचा । अधिकारियों ने नौटियाल के आग्रह पर उनके लिए एक पॉलीहाउस स्थापित किया और एक कंपोस्ट पिट की व्यवस्था की ।
नौटियाल ने फूलों को उगाना एक साल पहले शुरू किया और पहले ही सीजन में उन्हें इससे अच्छी आमदनी हुई । इसके बाद उन्होंने आधा हेक्टेअर भूमि को दोगुना करते हुए एक हेक्टेअर भूमि पर गेंदे के फूल उगाए, और अब सभी त्योहारी सीजन और समारोहों में नैटियाल के फूलों की मांग रहती है ।
उत्तरकाशी जिले के लोग नौटियाल के फूल खरीदने आते हैं क्योंकि वे सस्ते होने के साथ ही ताजा भी होते हैं । देहरादून और ऋषिकेश में 70—90 रू प्रति किलो के हिसाब से बिकने वाले फूल तुल्यादा में केवल 50—60 रू प्रति किलो मिल जाते हैं ।
विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अधिकारी पंकज नौटियाल ने कहा, ‘ बालक राम नौटियाल एक प्रगतिशील युवा किसान है जो खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहा है । गेहूं और चावल उगाने की जगह उसका जोर फूल और औषधीय पौधे उगाने पर है ।’
नौटियाल को उम्मीद है कि अब अपने औद्योनिकी व्यवसाय में वे अपने गांवों के कई युवाओं को रोजगार दे सकेंगे ।
उन्होंने कहा, ‘ मैने गेंदे उगाना शुरू किया और मेरी आमदनी दोगुनी हो गयी । बाजार में मेरे फूलों की मांग बढ़ रही है । मुझे विश्वास है कि जल्द ही मैं अपने गांव के कई युवाओं को रोजगार भी दे सकूंगा ।’
भाषा सं दीप्ति दीप्ति रंजन
रंजन
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