scorecardresearch
Thursday, 20 November, 2025
होमदेशजयपुर में ‘वोट चोरी’, बेरोज़गारी और किसान मुद्दों को लेकर यूथ कांग्रेस का प्रदर्शन, चले वाटर कैनन

जयपुर में ‘वोट चोरी’, बेरोज़गारी और किसान मुद्दों को लेकर यूथ कांग्रेस का प्रदर्शन, चले वाटर कैनन

पत्र में कहा गया कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद राहुल गांधी ने न तो कोई औपचारिक शिकायत दायर की है और न ही शपथपत्र दिया है, जिससे उनकी “बिना आधार वाली टिप्पणी” की जवाबदेही तय हो सके.

Text Size:

जयपुर: राजस्थान यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास के बाहर प्रदर्शन किया. उनका आरोप था कि राज्य में “वोट चोरी”, किसानों की समस्याएं और बेरोज़गारी बढ़ रही है. प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया.

प्रदर्शन के दौरान इंडियन यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय भानु चिब ने कहा कि संगठन देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को “बर्बाद नहीं होने देगा”. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का कोई भी युवाकर्मी डरने वाला नहीं है.

पत्रकारों से बात करते हुए चिब ने कहा, “हम नहीं डरते. हम देश की लोकतंत्र को नष्ट नहीं होने देंगे. भारत का हर युवा—यूथ कांग्रेस का हर सदस्य—लोकतंत्र बचाने के लिए पूरा प्रयास करेगा…”

इस बीच, दिन में पहले 272 प्रमुख नागरिकों—जिनमें 16 जज, 123 रिटायर्ड नौकरशाह, 14 राजदूत और 133 सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी शामिल हैं—ने एक खुला पत्र जारी किया. इसमें विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर “राष्ट्रीय संवैधानिक संस्थाओं पर लगातार हमले” करने का आरोप लगाया गया है.

पत्र में कहा गया कि नीतियों पर “सार्थक विकल्प” देने के बजाय, कांग्रेस नेता “बिना सबूत के आरोप” लगाने में लगे हुए हैं. पत्र ने पूर्व में की गई कथित टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा कि सेना के शौर्य पर सवाल उठाना हो या न्यायपालिका की निष्पक्षता पर, अब चुनाव आयोग इस “सिस्टेमेटिक और साज़िशनुमा हमले” का निशाना बना है.

खुले पत्र में लिखा है, “लोकसभा में विपक्ष के नेता ने बार-बार चुनाव आयोग पर हमला किया है, यह दावा करते हुए कि उनके पास वोट चोरी का पक्का सबूत है और 100 प्रतिशत प्रमाण है. उन्होंने बेहद आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया, कहते हुए कि उनके पास ‘एटम बम’ है, और उसके फटते ही चुनाव आयोग के पास छिपने की जगह नहीं बचेगी.”

पत्र में कहा गया कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद राहुल गांधी ने न तो कोई औपचारिक शिकायत दायर की है और न ही शपथपत्र दिया है, जिससे उनकी “बिना आधार वाली टिप्पणी” की जवाबदेही तय हो सके.

खुले पत्र में आगे लिखा गया कि कई समूह—जिनमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, अन्य राजनीतिक दल, वामपंथी एनजीओ, विचारधारा से प्रभावित शोधकर्ता और कुछ ‘ध्यान आकर्षित करने वाले’ लोग शामिल हैं—चुनाव आयोग पर हमले कर “राजनीतिक हताशा को संस्थागत संकट का रूप देने की कोशिश कर रहे हैं.”

पत्र के अनुसार, यह व्यवहार “इंपोटेंट रेज”—यानी लगातार चुनावी हार और जनता से जुड़ाव टूटने की वजह से उत्पन्न गुस्से—का उदाहरण है.

पत्र ने कांग्रेस और अन्य दलों पर यह भी आरोप लगाया कि वे चुनाव आयोग की आलोचना “चुनिंदा रूप से” करते हैं—जब चुनाव परिणाम उनके पक्ष में आते हैं, तो वे चुप रहते हैं; लेकिन जब परिणाम अनुकूल न हों, तो चुनाव आयोग को ही कटघरे में खड़ा कर देते हैं.

share & View comments