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Saturday, 21 December, 2024
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मक्का में दिखाया था ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का पोस्टर, भेजा गया जेल, साउदी से लौटे कांग्रेस नेता ने बताई कहानी

रज़ा कादरी का दावा है कि मक्का में भारत जोड़ो का प्लेकार्ड पकड़े हुए उनकी तस्वीरों पर उन्हें 'राजनीतिक एजेंट' करार दिया गया था और इसकी 'शिकायत बीजेपी आईटी सेल द्वारा भेजी गई थी.' उन्होंने 8 महीने साउदी के जेल में बिताए.

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भोपाल: कथित तौर पर “राजनीतिक एजेंट” होने के आरोप में पिछले आठ महीनों से सऊदी अरब में कैद 25 वर्षीय यूथ कांग्रेस के नेता को इस महीने की शुरुआत में रिहा कर दिया गया और बीते 3 अक्टूबर को वह अपने गृह राज्य मध्यप्रदेश लौट आया.

निवाड़ी जिले के यूथ कांग्रेस अध्यक्ष रज़ा कादरी ने इस जनवरी में उमरा तीर्थयात्रा के लिए अपनी 70 वर्षीय दादी के साथ मक्का गए थे और इस काम के लिए उन्होंने झांसी के एक एजेंट से सेवा ली थी.

हालांकि, उसे 26 जनवरी को सऊदी पुलिस द्वारा पकड़ लिया गया था, जब कांग्रेस के ‘भारत जोड़ो यात्रा’ वाली के एक तख्ती के साथ उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी तेजी से शेयर की गई.

रज़ा ने दिप्रिंट को बताया कि मक्का में रहते हुए, उसने कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के साथ भारतीय ध्वज थामे हुए लोगों के एक समूह को देखा था. उसने कहा कि उसने काबा के पवित्र स्थल वाले बैनर को पकड़कर एक तस्वीर क्लिक करवाई जिसके पीछे भारत जोड़ो यात्रा का भी पोस्टर था. तस्वीरें वायरल हो गईं और इस तस्वीर को मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने भी ट्वीट किया.

रज़ा के अनुसार उसे बाद में सऊदी अधिकारियों से पता चला कि हसन खान नाम के एक व्यक्ति की शिकायत सबसे पहले सऊदी अधिकारियों को मिली थी, जिसने रज़ा को “राजनीतिक एजेंट” करार दिया था. उसने कहा कि उसे बाद में पता चला कि “बीजेपी के आईटी सेल से एक गुमनाम शिकायत भी भेजी गई थी और इसमें रज़ा के विभिन्न राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने के कई वीडियो थे”.

भूरिया ने दिप्रिंट को बताया, “जब मुझे रज़ा की तस्वीर मिली तो मैंने उसे ट्वीट किया. हमने इसे किसी भी राजनीतिक एजेंडे को ध्यान में रखते हुए शेयर नहीं किया क्योंकि भारत जोड़ो यात्रा अपने आप में एक राजनीतिक रैली नहीं थी. यह रैली दुनिया भर के लोगों को पसंद आई थी और कई लोगों ने क्रिकेट मैचों में भी इसके पोस्टर लगाए थे.”

अपनी गिरफ्तारी के बारे में बात करते हुए रजा ने कहा कि तस्वीरें वायरल होने के तुरंत बाद रात 12.30 बजे जब वह प्रार्थना से लौटे थे तो कुछ लोग उसके होटल का दरवाजा खटखटाने लगे.

रज़ा ने कहा, “उन्होंने पहले कहा कि वे उमरा के मेरे अनुभव के बारे में जानना चाहते हैं. मैंने उनसे कहा कि यह समय नहीं है, लेकिन जब उन्होंने जोर देकर कहा कि मैं उनके साथ बाहर जाऊं, तो मैं होटल से बाहर गया और मुझे हथकड़ी लगा दी गई. मेरा चेहरा ढक दिया गया और मुझे स्थानीय पुलिस स्टेशन ले जाया गया.”

रजा के मुताबिक, थाने में उन्हें वायरल तस्वीरें दिखाई गईं और उनकी राजनीतिक संबद्धता के बारे में पूछा गया.

उसने कहा, “पुलिस स्टेशन में मुझे पता चला कि मक्का में ऐसी तस्वीरें खींचना एक अपराध था और राजनीतिक गतिविधियों के लिए पवित्र स्थल का उपयोग करने के एंगल से मामले की जांच की जा रही थी. जब मैंने उन्हें बताया कि मुझे कानून के बारे में कोई जानकारी नहीं है, तो मुझसे (भारतीय) दूतावास से एक पत्र लाने और मेरे (ट्रैवल) एजेंट को आकर (मेरे चरित्र के बारे में) जमानत देने के लिए कहा गया.”

उसने आगे कहा, “हालांकि, जब मैंने अपने एजेंट से संपर्क करने की कोशिश की, तो वह कहीं नहीं मिला. मेरा पासपोर्ट और वीज़ा भी उसके पास था इसलिए मेरे पास अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए कुछ भी नहीं बचा था.”

कथित तौर पर दो दिनों तक पुलिस स्टेशन में हिरासत में रखे जाने के बाद, रज़ा ने कहा कि उन्हें जेद्दा के पास ढाहबान सेंट्रल जेल में ट्रांसफर कर दिया गया है.

मामले के बारे में पूछे जाने पर बीजेपी के आईटी सेल के मध्य प्रदेश प्रभारी अमन शुक्ला ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है और यह “संभावना नहीं” है कि रजा के खिलाफ आईटी सेल से शिकायत भेजी गई थी.

दिप्रिंट ने विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता अरिंदम बागची से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने इसपर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.


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रज़ा की रिहाई

भूरिया के अनुसार, रज़ा के कारावास की जानकारी मिलने पर उन्होंने देखरेख करने वाले युवा कांग्रेस नेटवर्क के माध्यम से उसके स्थान का पता लगाने की कोशिश की. इस बीच, रज़ा का परिवार भी उनकी रिहाई के लिए दर-दर भटकने लगा और नई दिल्ली में दिग्विजय सिंह, बी.वी. श्रीनिवास और यहां तक ​​कि राहुल गांधी सहित वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं तक पहुंच गया.

रज़ा के चाचा शहजाद खान ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने मामले को सिंह के संज्ञान में लाया, जिन्होंने भारतीय दूतावास को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप की मांग की.

शहजाद ने कहा, “हम सऊदी दूतावास और भारतीय दूतावास गए, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें एजेंट मिल जाए. एजेंट ने आने से इनकार कर दिया, जिससे पूरी प्रक्रिया में देरी हुई.”

सऊदी जेल में रज़ा को कथित तौर पर दो महीने से अधिक समय तक अलग-थलग रखा गया था. उसने कहा, “मैंने जेल अधिकारियों से मुझे कॉल करने की अनुमति देने का अनुरोध किया, जिसके बाद मुझे घर पर एक कॉल करने की अनुमति दी गई और मैंने अपने परिवार को सूचित किया कि मैं ठीक हूं. लेकिन एक अनुवादक के माध्यम से मुझसे नियमित रूप से पूछताछ की गई और मेरी राजनीतिक संबद्धता के बारे में पूछा गया. उन्होंने मुझसे यह भी पूछा कि क्या मैं अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक संगठनों से जुड़ा हूं. पूछताछ के माध्यम से मुझे पता चला कि मुझ पर राजनीतिक एजेंट होने का आरोप लगाया जा रहा था.”

रज़ा के अनुसार जेल में उसका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने पर उसे एक मनोचिकित्सक के पास ले जाया गया, जिनकी सलाह पर उसे अन्य कैदियों के साथ दूसरी कोठरी में ट्रांसफर कर दिया गया.

रज़ा ने कहा कि पांच महीने बाद एक सऊदी जांच अधिकारी ने उसे बताया कि बीजेपी के आईटी सेल के माध्यम से एक शिकायत भेजी गई थी जिसमें उसे “एक एजेंट के रूप में पेश किया गया था जो अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए मक्का आया था”.

3 अक्टूबर को निवाड़ी लौटे रज़ा ने कहा, “जांच अधिकारी ने मुझे आश्वासन दिया कि उन्होंने अपनी जांच पूरी कर ली है और मुझे जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा. यह पहली बार था कि किसी ने वास्तव में मुझसे कहा कि मैं फिर से आज़ाद हो जाऊंगा.”

घर वापस आने पर उनके परिवार ने उसका गर्मजोशी से स्वागत किया. निवाड़ी के कांग्रेस नेता रवींद्र घोष ने रज़ा को “एक सच्चा कांग्रेस कार्यकर्ता” बताया और कहा कि “हमने उनका भव्य स्वागत किया”.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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