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Sunday, 29 September, 2024
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60 सेकंड में आपकी उम्र, लिंग, इस्तेमाल किए गए ऐप्स का अंदाजा लगा सकता है आपका स्मार्टफोन: स्टडी

जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के एक स्नातक शोधकर्ता द्वारा किए गए इस अध्ययन के अनुसार, एकत्रित की गई जानकारी का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों, जैसे कि उपयोगकर्ताओं की पसंद/नापसंद मालूम करना और ऊनपर लक्षित विज्ञापनों के लिए किया जा सकता है.

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नई दिल्ली: 60 सेकंड. सिर्फ इतना ही समय लगता है एक स्मार्टफोन को किसी व्यक्ति की निजी जानकारी, जिसमें आयु सीमा, लिंग और वे किस सोशल मीडिया ऐप का उपयोग करते हैं शामिल है, के बारे में अंदाजा लगाने के लिए.

किसी डायस्टोपियन साई-फाई सीरीज से सीधे उठाया गया लगने वाला यह निष्कर्ष ‘इन्फार्मेशन वि कैन एक्सट्रेक्ट अबाउट ए यूजर फ्रॉम वन मिनट मोबाइल एप्लिकेशन यूजेज’ शीर्षक वाले एक शोध पत्र में वर्णित किसी मोबाइल एप्लिकेशन को आपके स्मार्टफोन के इनबिल्ट सेंसर तक पहुंचने की अनुमति देने के खतरों को प्रदर्शित करता है.

अमेरिका के अटलांटा राज्य में स्थित जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के स्नातक स्तर के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन में स्मार्टफोन सेंसर से जुटाए गए डेटा पर मशीन लर्निंग (एमएल) एल्गोरिदम का उपयोग करना और फिर इसके आधार पर उपयोगकर्ताओं के बारे में भविष्यवाणियां करना शामिल था, जो इस प्रकिया द्वारा ‘गोपनीयता भंग’ किये जाने की संभावना को उजागर करता है.

इस शोध पत्र के लेखक सरवन अली ने दिप्रिंट को बताया, ‘मेरे शोध से पता चलता है कि केवल सेंसर डेटा का उपयोग करके, हम किसी व्यक्ति के बारे में कोई विवरण जाने बिना भी उसके बारे में बहुत कुछ अनुमान लगा सकते हैं. यानी लोगों की प्राइवेसी (गोपनीयता) पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है. इसलिए हमें ऐसे ऐप्स का उपयोग करते समय बहुत सावधान रहने की ज़रूरत है, जिन्हें हमारे स्मार्टफोन में काम करने के लिए सेंसर परमिशन की आवश्यकता होती है.’

मशीन लर्निंग एल्गोरिथम एक ऐसी विधि है जो एक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) वाली प्रणाली अपने कार्य को संचालित करने के लिए उपयोग करती है, इसके तहत वह आमतौर पर इसे प्रदान किये गए गए इनपुट डेटा से आउटपुट वैल्यूज की भविष्यवाणी करती है.

एमएल एल्गोरिथम एक सैंपल डेटा – जिसे ट्रेनिंग डेटा के रूप में जाना जाता है – के आधार पर एक ऐसे मॉडल का निर्माण करते हैं जिसके जरिये वे भविष्यवाणियां या निर्णय लेने के लिया प्रोग्राम किये बिना ऐसा करते हैं.

इस अध्ययन में, एमएल एल्गोरिथम ने एंड्रॉइड स्मार्टफोन के तीन सेंसर्स से प्राप्त इनपुट का उपयोग सटीक रूप से यह भविष्यवाणी करने के लिए किया कि उपयोगकर्ता वर्तमान में किस प्रकार का सोशल मीडिया ऐप (चार विकल्पों में से – फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और ट्विटर) का प्रयोग कर रहा था, व्यक्ति का लिंग, आयु वर्ग क्या है, वे बाएं हाथ से काम करते हैं या दाएं हाथ से, और क्या महिलाओं और पुरुषों के मामले में ‘अलग-अलग बेहेवियर पैटर्न्स (करने के तौर-तरीके) हैं.

शोध पत्र में कहा गया है कि इस प्रकार एकत्रित की गई जानकारी के कई संभावित उपयोग हैं, जैसे किसी भी मोबाइल एप्लिकेशन को डिजाइन करते समय उपयोगकर्ता अनुभव को और अच्छा करना, ‘लोगों की पसंद/नापसंद प्राप्त करने के लिए, लक्षित विज्ञापन के लिए, अचानक से गिरने की संभावना का पता लगाने के लिए (विशेष रूप से वृद्ध लोगों के मामले में), और उपयोगकर्ता के सेंसर डेटा से पता लगाए गए पैटर्न के आधार पर निजी जानकारी हासिल करने के लिए.’


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कैसे किया गया यह अध्ययन?

यह शोध 29 सब्जेक्ट्स (प्रतिभागियों) पर केंद्रित था, जिनमें से 17 पुरुष और 12 महिलाएं थीं.

पहला कदम एक एंड्रॉइड मोबाइल एप्लिकेशन को डिजाइन करना था, जिसका उपयोग सब्जेक्ट्स द्वारा कुछ बुनियादी जानकारी दर्ज करने के लिए किया गया जैसे कि सोशल मीडिया एप्लिकेशन जिसका वे उपयोग करना चाहते हैं, उनका लिंग, आयु और जिस हाथ में वे अपना स्मार्टफोन रखते हैं. फिर इस डेटा का उपयोग मशीन लर्निंग एल्गोरिथम को प्रशिक्षित करने के लिए किया गया.

इसके बाद, परीक्षण में शामिल प्रतिभागियों को ऐप के स्टार्ट बटन पर क्लिक करने और इसे बैकग्राउंड में चलने देने के लिए कहा गया और इसके साथ ही उन्होंने 60 सेकंड के लिए अपनी पसंद के सोशल मीडिया एप्लिकेशन का उपयोग किया.

उन 60 सेकंड में, अध्ययन के लिए डिज़ाइन किया गया ऐप ने स्मार्टफोन के तीन अलग-अलग सेंसर – एक्सेलेरोमीटर, मैग्नेटोमीटर और जायरोस्कोप – से सिग्नल एकत्र किये.

एक्सेलेरोमीटर का उपयोग आमतौर पर गति, गति की दिशा और फोन की गति की रफ़्तार – जो इसके उपयोगकर्ता की रफ़्तार भी होगी – को भांपने के लिए किया जाता है.

जाइरोस्कोप का उपयोग फोन के स्थिति निर्धारण (ओरिएंटेशन) को समझने के लिए किया जाता है, जैसे कि यह तिरछा रखा हुआ है या नहीं. एक मैग्नेटोमीटर यह इंगित करने में मदद करता है कि उत्तर की दिशा किस ओर है.

इसके बाद तीनों सेंसर्स द्वारा एकत्र किए गए रॉ डेटा को एल्गोरिथम से गुजारा गया.

अली ने स्पष्ट किया कि एल्गोरिथम को प्रशिक्षित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला डेटा सेंसर से एकत्र किए गए रॉ डेटा से बिल्कुल अलग था.

शोध पत्र में आगे कहा गया है, ‘अध्ययन के परिणामों से पता चला कि यह एल्गोरिथम स्वतंत्र रूप से काम करते हुए 98 प्रतिशत से अधिक की सटीकता के साथ किसी भी प्रतिभागी के लिंग का अनुमान लगा सकता है. यह 92 प्रतिशत से अधिक सटीकता के साथ उनका आयु वर्ग बता सकता है, 52 प्रतिशत से अधिक सटीकता के साथ यह बता सकता है कि वे किस सोशल मीडिया ऐप का उपयोग कर रहे थे, और प्रतिभागी द्वारा अपने बाएं या दाएं हाथ का उपयोग करने के अनुमान के मामले में सटीकता का प्रतिशत 43 था.’

शोध पत्र कहता है, ‘इस सहसंबंध-आधारित विश्लेषण का उपयोग करके, हम उपयोगकर्ता के बारे में उन गुमशुदा विशेषताओं की भी भविष्यवाणी कर सकते हैं, जो शुरू में एमएल मॉडल को ज्ञात नहीं थे. साथ ही, इसका कहना है कि इसके निष्कर्ष यह बताते हैं कि यह एक संभावित गोपनीयता संबंधी चिंता हो सकती है, जिसके कारण अधिकारियों द्वारा लोगों के डेटा की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए और कदम उठाये जाने की आवश्यकता है.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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