लखनऊ: ड्रग-आतंकवाद नेटवर्क में कथित संलिप्तता वाले सबसे कुख्यात गिरोहों में से एक के नेता, लॉरेंस बिश्नोई ने उत्तर प्रदेश में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है, चाहे वह छोटे अपराधियों के बीच हो या उत्तरी राज्य के बाहुबलियों के बीच.
बिश्नोई सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड का भी मुख्य आरोपी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने तिहाड़ जेल के अंदर से इसकी योजना बनाई थी.
जून में मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, खालिस्तानी संगठनों की फंडिंग से जुड़े एक मामले में बिश्नोई ने खुद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को बताया था कि उसका यूपी, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के गैंगस्टरों के साथ गठजोड़ है और राजनेता और व्यवसायी उसे धमकी भरे कॉल करने के लिए पैसे देते हैं, ताकि उन्हें स्थानीय पुलिस से सुरक्षा कवर लेने में मदद मिल सके.
हरियाणा पुलिस ने यह भी कहा है कि गिरोह के यूपी के कथित हथियार आपूर्तिकर्ताओं के साथ मजबूत संबंध हैं.
इतना ही नहीं, यूपी के युवा – कथित तौर पर लॉरेंस बिश्नोई-गोल्डी बरार गिरोह का हिस्सा – पंजाब और हरियाणा में गंभीर अपराधों में भी शामिल पाए गए हैं, जैसे मई 2022 में पंजाब पुलिस के इंटेलीजेन्स हेडक्वार्टर पर रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी) से हमला.
दिप्रिंट यूपी में गिरोह के लोगों और राज्य के हथियार डीलर्स के साथ इसके संबंधों पर नज़र डाल रहा है.
जाल में यूपी के युवा
बिश्नोई के सहयोगियों में से एक विकास सिंह (जो लगभग 40 वर्ष का है) भी अयोध्या के महाराजगंज पुलिस स्टेशन का हिस्ट्रीशीटर है, उसे इस साल 20 जून को एनआईए ने कथित तौर पर दीपक सुरखपुर उर्फ रंगा और दिव्यांशु को अपने गांव देवगढ़ और लखनऊ में शरण देने के आरोप में गिरफ्तार किया था. उनके ऊपर मोहाली आरपीजी हमले का आरोप है.
जहां हरियाणा के झज्जर जिले के रंगा को जनवरी 2023 में गोरखपुर से गिरफ्तार किया गया था, वहीं अयोध्या के मूल निवासी दिव्यांशु को दिल्ली पुलिस ने पिछले साल अक्टूबर में गिरफ्तार किया था. दिव्यांशु ने मोहाली अदालत में इस बात की भी गुहार लगाई कि वह किशोर है इसलिए उसके ऊपर किशोर के रूप में मुकदमा चलाया जाए. हालांकि, वहां के किशोर न्याय बोर्ड के निर्देश पर उस पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया जा रहा है.
विकास की गिरफ्तारी के तुरंत बाद एक बयान में, एनआईए ने कहा कि उसकी जांच से पता चला है कि विकास ने दिव्यांशु को लॉरेंस बिश्नोई सिंडिकेट से जोड़ा था और दोनों कई टारगेटेड/कॉन्ट्रैक्ट हत्याओं में भी शामिल थे, जिनमें नांदेड़ के व्यवसायी संजय बियानी और पंजाब के गैंगस्टर राणा कंधोवालिया की हत्याएं भी शामिल थीं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, विकास ने कथित तौर पर 19 दिसंबर, 2019 को हिंदुस्तान स्टूडेंट्स एसोसिएशन से जुड़े चंडीगढ़ के छात्र अजय शर्मा और विनीत सिंह की दोहरी हत्या में शामिल बिश्नोई गिरोह के कई शूटर्स को लखनऊ में शरण दी थी.
एनआईए ने विकास की गिरफ्तारी को “भारत और विदेश में स्थित लॉरेंस बिश्नोई आपराधिक सिंडिकेट/गिरोह के सदस्यों द्वारा दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने और युवाओं की भर्ती करने के लिए रची गई आतंकवादी-गैंगस्टर साजिश” से संबंधित बताया.”
अंसारी परिवार
गैंग के लिए गुंडों की भर्ती के अलावा बिश्नोई गैंग का यूपी के हथियार सप्लायर्स से भी गहरा संबंध है.
उनमें से एक है बुलन्दशहर का रहने वाला शाहबाज़ अंसारी, जिसकी उम्र लगभग 20 साल के आसपास है, जिसे एनआईए ने दिसंबर 2022 में सिद्धू मूसेवाला की हत्या के लिए बिश्नोई गिरोह को हथियार मुहैया कराने के आरोप में गिरफ्तार किया था, जिसकी कथित तौर पर एके-47 राइफल और 9mm की पिस्तौल से हत्या कर दी गई थी.
हाल ही में, हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट से पता चला है कि एनआईए द्वारा अदालत में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों के अनुसार, शाहबाज एक पाकिस्तानी नागरिक के संपर्क में आया था, जो दुबई में हवाला ऑपरेटर के रूप में काम करता है और उसने उसे एक अन्य पाकिस्तानी नागरिक और हथियार तस्कर हामिद से परिचित करवाया.
इसमें एनआईए के दस्तावेजों के हवाले से कहा गया है कि उनकी मुलाकात के दौरान, हामिद ने अंसारी को बताया था कि वे मूसेवाला की हत्या के लिए गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को असॉल्ट राइफल और अन्य हथियारों की आपूर्ति करने जा रहे थे और हामिद ने उसे यह भी बताया था कि वह कैसे कनाडा-बेस्ड गोल्डी बराड़ के संपर्क में था और उसने कई बार उसे हथियारों की आपूर्ति की थी.”
दिप्रिंट से बात करते हुए, यूपी पुलिस अधिकारियों ने पुष्टि की कि शाहबाज़ को पहली बार गिरफ्तार किया गया था, उसके पिता मोहम्मद कुर्बान अंसारी और चाचा मोहम्मद रेहान अंसारी को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 2006 में 1 करोड़ की कीमत वाले 10 विदेशी निर्मित अत्याधुनिक हथियारों और 157 कारतूसों के साथ गिरफ्तार किया था. इन हथियारों में जर्मन वाल्थर और अमेरिकी सिग सॉयर सहित जर्मन, अमेरिकी, चीनी और रूसी मूल के हथियार शामिल थे.
रिपोर्ट के अनुसार, स्पेशल सेल ने तब पाया था कि कुर्बान और उसके रिश्तेदार नेपाल के रास्ते पाकिस्तान से अवैध विदेशी हथियारों के आयात और तस्करी व दिल्ली-एनसीआर में उनकी आपूर्ति में शामिल थे.
दिप्रिंट से बात करते हुए, यूपी पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि परिवार के पास कुछ साल पहले तक बुलंदशहर के खुर्जा में बिजली के सामान की एक फैक्ट्री थी और कुर्बान की कोविड महामारी के दौरान 2020 में मौत हो गई थी.
शाहबाज़ के रिश्तेदार ज़ुएब अंसारी ने दिप्रिंट को बताया, “उसे पहली बार गिरफ्तार किया गया था. मीडिया में जो कुछ कहा जा रहा है, इसकी हमें कोई जानकारी नहीं है. मेरे भाई ने एनआईए अधिकारियों से मुलाकात की क्योंकि वे उसके घर पहुंचे थे. क़ुर्बान अब ज़िंदा नहीं है. हाल ही में यूपी एसटीएफ की एक टीम भी आई थी और हमारी उनसे भी मुलाकात हुई.’
बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) श्लोक कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि शाहबाज़ का वहां कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. उन्होंने कहा, “हमने आरोपी के विवरण की जांच की लेकिन पाया कि उसके खिलाफ यहां कोई मामला दर्ज नहीं है. उसका कार्यक्षेत्र यहां नहीं है लेकिन अन्य स्थानों के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता,”
यह भी पढ़ेंः कौन हैं प्रभाकर चौधरी? कांवड़ियों पर लाठीचार्ज करने वाले इस IPS को 8 साल में मिला 18वां ट्रांसफर
शशांक पाण्डेय
20 साल का एक अन्य व्यक्ति गोरखपुर का शशांक पाण्डेय कथित तौर पर बिश्नोई गिरोह के लिए एक और हथियार आपूर्तिकर्ता है. पाण्डेय के खिलाफ हरियाणा के अंबाला में कई मामले दर्ज हैं और पुलिस को डर है कि वह विदेश भाग गया होगा.
पिछले साल जुलाई में, अंबाला पुलिस ने कथित तौर पर पाण्डेय सहित लॉरेंस बिश्नोई-गोल्डी बराड़ गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया था और उनके कब्जे से हथियार और गोला-बारूद बरामद किया था.
अंबाला एसपी जशनदीप सिंह ने मीडिया से कहा, “चारों अपराधी बिश्नोई-बराड़ गिरोह से जुड़े हैं. वे उनके साथ नियमित संपर्क में थे और हमने उनके पास से तीन हथियार बरामद किए हैं.’ मुख्य आरोपी पाण्डेय पड़ाव इलाके में डकैती में शामिल था…वह जयपुर में भी अपराध में शामिल रहा है,”
दिप्रिंट से बात करते हुए, एसपी सिंह ने पुष्टि की कि पाण्डेय, बिश्नोई-बराड़ गिरोह के साथ काम कर रहा था और जुलाई में गिरफ्तारी के बाद जमानत पर बाहर आने के तुरंत बाद, उस पर अंबाला स्थित एक व्यवसायी को जबरन वसूली की धमकी देने का मामला फिर से दर्ज किया गया था.
उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश के अलावा, देश-निर्मित हथियारों का मुख्य स्रोत पश्चिम यूपी का शामली है. पाकिस्तान से हथियार लाने का सबसे आसान तरीका जम्मू-कश्मीर और पंजाब में ड्रोन गिराना है.”
गोरखपुर पुलिस के सूत्रों ने कहा कि पाण्डेय का परिवार बिहार के चंपारण का रहने वाला है और लगभग एक दशक पहले वहां आया था.
यह बताते हुए कि पाण्डेय का स्थानीय पुलिस में कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, गोरखपुर के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “उसने अपने दोस्तों को बताया कि उसे अंबाला में नौकरी मिल गई थी लेकिन वह बिश्नोई गिरोह से जुड़ गया.”
दिप्रिंट से बात करते हुए, गोरखपुर के एसपी (सिटी) कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा कि पाण्डेय गोरखपुर में कोई जाना-माना अपराधी नहीं है और न ही उनके रडार पर है.
उन्होंने कहा, “यह संभव है कि वह यहां था और फिर क्षेत्र छोड़ दिया हो, लेकिन हमें उसके आपराधिक रिकॉर्ड की जांच करनी होगी.”
बाहुबलियों की लड़ाई में बिश्नोई का नाम आता है
2022 के विधानसभा चुनाव से पहले गोसाईंगंज विधानसभा क्षेत्र के विधायक अभय सिंह ने अयोध्या एसएसपी, डीजीपी और प्रमुख सचिव (गृह) को पत्र लिखकर गैंगस्टर और पूर्व विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह और विकास सिंह पर आरोप लगाया कि वे उनकी हत्या कराने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कथित तौर पर आरोप लगाया कि कुछ हथियारबंद लोग अयोध्या में डेरा डाले हुए थे और उन्हें इस बात की जानकारी थी कि वे लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के थे, जिन्हें “खब्बू और धनंजय” द्वारा उन्हें खत्म करने की व्यवस्था की गई थी.
यह आरोप लगाते हुए कि दिव्यांशु (मोहाली आरपीजी हमले के मामले में गिरफ्तार) को बिश्नोई गिरोह द्वारा एके -47, स्नाइपर राइफल और रॉकेट लॉन्चर चलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था, उन्होंने उन पर “स्थानीय युवाओं को अपराधियों में बदलने” का आरोप लगाया.
पिछले महीने दिप्रिंट से बात करते हुए, अभय ने कहा था कि लॉरेंस के चचेरे भाई सचिन बिश्नोई, कपिल पंडित और मनप्रीत उर्फ मणि सहित आरोपी, जिन्हें कथित तौर पर उसे खत्म करने की व्यवस्था की गई थी, ने कुछ अन्य अज्ञात संदिग्धों के साथ विकास के देवगढ़ घर पर डेरा डाला था और उनके लखनऊ स्थित फ्लैट पर रुके.
विधानसभा चुनाव से पहले, नकाबपोशों की तिकड़ी कथित तौर पर खब्बू की पत्नी आरती तिवारी की चुनावी रैलियों में मौजूद थी, जिन्होंने अभय के खिलाफ गोसाईंगंज चुनाव लड़ा था. जो तस्वीरें वायरल हुईं, वे दिप्रिंट के पास हैं.
इसके अलावा, लखनऊ के अंबेडकर मेमोरियल पार्क और बड़ा इमामबाड़ा में तीनों की अनडेटेड तस्वीरें भी सामने आईं, जिनके बारे में यूपी पुलिस के सूत्रों ने कहा कि ये उनकी गिरफ्तारी से पहले की हैं. वे भी दिप्रिंट के पास हैं.
राजस्थान के चुरू के मूल निवासी कपिल को पिछले सितंबर में सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. पंजाब पुलिस की जांच में पता चला कि उसने अभिनेता सलमान खान के घर की भी रेकी की थी. इस बीच, सचिन बिश्नोई को अजरबैजान से प्रत्यर्पित करके पिछले मंगलवार को वापस लाया गया है.
विधायक अभय सिंह ने बिश्नोई गिरोह और गैंगस्टर से नेता बने धनंजय सिंह के बीच वित्तीय संबंधों का भी आरोप लगाया है.
उन्होंने कहा, “जौनपुर और यूपी के कुछ हिस्सों में एक टोल प्लाजा तेलंगाना के सूर्य नारायण रेड्डी और धनंजय सिंह से जुड़े लोगों द्वारा संचालित किया जा रहा है. लॉरेंस बिश्नोई भी उत्तरार्द्ध से जुड़े हुए हैं और प्लाजा में उनकी रुचि है,”
आरोपों से इनकार करते हुए धनंजय ने कहा कि अभय खुद अपराधी है और मुख्तार अंसारी गिरोह से जुड़ा हुआ है.
धनंजय ने कहा, “उसके खिलाफ 50 मामले हैं. उसने 2002 में मुझ पर एके-47 से हमला करवाया था. मेरा गनर, कुछ अन्य लोग और मैं घायल हो गये. उस मामले में जल्द ही फैसला सुनाया जाने वाला है, यही कारण है कि वह सुर्खियों में आने के लिए यह सब कह रहे हैं…उनकी खब्बू तिवारी से प्रतिद्वंद्विता है और वह मुझे बदनाम करने के लिए लगातार नई नई कहानियां गढ़ता रहता है.
प्रतिद्वंद्वी समूह का यूपी से भी लिंक है
बिश्नोई के प्रतिद्वंद्वी बंबीहा गिरोह को भी कथित तौर पर यूपी में उनके संपर्क व्यक्तियों से मदद मिल रही है.
ऐसे तीन कथित सहयोगियों – बुलंदशहर के हरविंदर उर्फ फौजी और यूपी के पीलीभीत के भाई सिमरनजीत सिंह उर्फ जुझार और यादविंदर सिंह उर्फ आजाद को पंजाब पुलिस ने 14 मार्च 2022 को जालंधर के मल्लियां गांव में अंतर्राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी संदीप नांगल अंबियान की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया था.
दिप्रिंट से बात करते हुए, जालंधर के एसपी मनप्रीत सिंह ने कहा कि दोनों भाई सुक्खा दुनेके से जुड़े थे जो बंबीहा समूह का हिस्सा है.
उन्होंने कहा, “फौजी बुलंदशहर के सबसे कुख्यात अपराधियों में से एक है, जिसने पहले भी कई हत्याएं, डकैतियां की हैं. जुझार और आज़ाद बंबीहा गिरोह के गैंगस्टर सुक्खा दुनेके से जुड़े थे और उनके कहने पर शूटरों को आश्रय प्रदान करते थे.”
(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
यह भी पढ़ेंः ‘न्याय के लिए जरूरी’: इलाहाबाद HC ने ASI सर्वे के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद समिति की अपील की खारिज