पुंछ: जम्मू प्रांत के पुंछ शहर में लगातार चौथे दिन बिजली गुल रही, सायरन बजने के साथ रात शुरू हुई और फिर पूरा अंधेरा छा गया. पहाड़ियों से घिरे शहर में सन्नाटा पसरा रहा. एक जोरदार धमाके की आवाज़ हवा में गूंजने लगी. फिर, शाम 7 बजे के करीब, उम्मीद से पहले ही भारी गोलेबारी और तोपों की गोलाबारी शुरू हो गई.
अचानक से घबराए लोगों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं और अपने घरों की ओर भागने लगे. मोहम्मद शफकत ने कहा, “आज वह जल्दी ही आ गए हैं. मैं अपनी बाइक लेने आया हूं, जो मैंने कड़ी मेहनत से कमाई है. मैं नहीं चाहता कि गोलाबारी से इसे नुकसान पहुंचे.”
पुंछ शहर भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच गोलीबारी में फंसा हुआ है. करीब 80 फीसदी आबादी पहले ही पलायन कर चुकी है. शटर बंद हैं और संपत्तियां क्षतिग्रस्त हैं. लगातार हो रही गोलाबारी में एक सैन्यकर्मी समेत 15 लोगों की जान जा चुकी है.
गोलाबारी पुंछ शहर के मकानों को निशाना बना रही है. अबरार ने अपनी दुकान बंद करते हुए कहा, “यह पहली बार है जब पाकिस्तान ने पुंछ शहर पर हमला किया है. इससे पहले, हमले होते थे, लेकिन केवल सीमा पर. शहर के नागरिकों को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं थी.”
दो दिन पहले, भारी गोलाबारी ने पुंछ में एक गुरुद्वारे को क्षतिग्रस्त कर दिया था. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शुक्रवार को अपनी ब्रीफिंग में दो बार गुरुद्वारे का ज़िक्र किया और सिख नागरिकों की हत्या के बारे में भी जानकारी दी. मारे गए 15 लोगों में मुस्लिम, सिख और हिंदू शामिल हैं.
पिछले चार दिनों से जारी ब्लैकआउट ने पुंछ में जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. दुकानें समय से पहले बंद हो रही हैं, लोग सुरक्षित कोनों की तलाश कर रहे हैं और बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं.
स्थानीय पुलिस के अनुसार, लगभग 80 प्रतिशत निवासी जम्मू प्रांत के विभिन्न जिलों में रिश्तेदारों के पास शरण लेने के लिए पुंछ शहर छोड़ चुके हैं.
नाम न बताने की शर्त पर जम्मू-कश्मीर के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “यहां स्थिति काफी नाजुक है. व्यक्तिगत स्तर पर, हम लोगों से अपने रिश्तेदारों या दोस्तों के पास शरण लेने के लिए कह रहे हैं.”
भारत-पाकिस्तान तनाव ने पुंछ में जीवन को किस तरह से प्रभावित किया है, इस पर बात करते हुए अधिकारी ने कहा, “आप कभी नहीं जानते कि कब गोला गिरेगा, कब कोई मिसाइल दागेगा. सायरन बजाकर हम केवल लोगों को सचेत कर रहे हैं. बेहतर होगा कि आप अपनी जान बचाकर कहीं और चले जाएं.”
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