लखनऊ: किसान आंदोलन के बीच योगी सरकार किसानों को लुभाने के लिए अब रोल मॉडल किसानों की तलाश में है. सरकार की ओर से 6 जनवरी से मिशन किसान कल्याण कैंपेन की शुरुआत हो रही है जिसमें हर जिले के 100 प्रगतिशील किसानों का चयन सरकार की ओर से किया जाएगा. इन किसानों को सरकार सम्मानित करेगी और इनके सेमिनार ब्लॉक स्तर तक कराएगी ताकि दूसरे किसान भी प्रेरित हों.
यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री व प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि खेती के नए तौर-तरीकों के जरिए किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रगतिशील किसानों की मदद लेगी. सरकार की ओर से हर जिले में 100 प्रगतिशील किसानों को ढूढ़कर उन्हें सम्मानित करेगी और रोल मॉडल के तौर पर पेश करेगी. उनकी वर्कशॉप आयोजित कराई जाएंगी. सिद्धार्थनाथ के मुताबिक, यूपी में कई किसान इनोवेटिव टेक्नोलॉजी को जोड़ते हुए अपनी खेती को आगे बढ़ा रहे हैं. यूपी के हर जिले में ऐसे सैंकड़ो किसान हैं बस उन्हें एक प्लेटफॉर्म की जरूरत है जिससे वे दूसरों को भी अवेयर कर सकें. ऐसे किसानों को सरकार रोल मॉडल के तौर पर पेश करना चाहती है.
कृषि विभाग को इस कैंपेन की जिम्मेदारी दी गई है. विभाग की ओर से पंचायत स्तर पर जाकर ऐसे किसानों के बारे में डाटाबेस इकट्ठा कर इन्हें बुलाया जाएगा. सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, स्थानीय स्तर पर होने वाले किसान मेलों और सेमिनारों में हर जिले के ‘100 प्रगतिशील किसान’ बाकी किसानों को अपनी सफलता के बारे में बताएंगे. एक अधिकारी के मुताबिक, सरकार को उम्मीद है कि उनकी कहानी से प्रेरणा लेकर अन्य किसान भी बेहतर करके खुशहाल होंगे. इसके लिए कृषि विभाग हर जिले से रोल मॉडल के रूप में 100 प्रगतिशील किसानों का चयन करेगा.
इस कैंपेन से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि हर जिलों में कृषि विभाग के अधिकारी 100 प्रोग्रेसिव किसानों का चयन करेंगे. इसमें पंचायत समिति व प्रधानों की भी मदद ली जाएगी. नई टेक्नोलॉजी का प्रयोग और बेहतर इनकम, इन दो फैक्टर्स को ध्यान रखा जाएगा. आखिर में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (डीएम) द्वारा जिले के 100 किसानों की लिस्ट अप्रूव कर सरकार को भेज दी जाएगी.
कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 6 जनवरी से 350 ब्लाकों में आयोजित होने वाले किसान कल्याण मिशन के कार्यकमों में इस बात की घोषणा की जाएगी. वहीं जिन किसानों का चयन अब तक विभाग द्वारा किया जा चुका है उन्हें अपनी बात रखने के लिए इनको मंच देने के साथ सम्मानित भी किया जाएगा. सरकार इन सबका डाटाबेस भी तैयार करेगी.
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मॉनिटरिंग के लिए माइक्रो साइट, बनेंगे व्हाट्सएप ग्रुप
इस कैंपेन को मॉनिटर करने के लिए एक माइक्रो साइट भी तैयार होगी जिसमें इससे जुड़ी सारी जानकारी होंगी. इसे कृषि विभाग के पोर्टल पर भी अप्लोड किया जाएगा. विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, मॉनिटरिंग के लिए जिलेवार ये सूचना भी एकत्र की जाएगी कि अभियान के दौरान कितने किसानों से संपर्क किया गया, कितनों से वार्ता हुई. संबंधित किसानों के मोबाइल/व्हाट्सएप नंबर भी इकट्ठा किए जाएंगे. उनके व्हाट्सएप ग्रुप्स भी बनाए जाएंगे. इस अभियान के संचालन के लिए शासन स्तर पर कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति गठित होगी. इसमें आयोजन से जुड़े सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव इसके संयोजक होंगे.
जिला स्तर पर सेमिनार आयोजित किया जाएगा जहां ये प्रगतिशील किसान दूसरे किसानों को खेती के नए तरीके व अपने सक्सेस मॉडल के बारे में बताएंगे. कृषि विज्ञान केंद्र के एक्सपर्ट भी इन सेमिनार में शामिल होंगे. इसके अलावा खेती-किसानी में महिलाओं की भागीदारी के अनुसार एक्सपोजर न मिलने के मद्देनजर मिशन किसान कल्याण में महिलाओं की भी पर्याप्त भागीदारी सुनिश्चित कराई जाएगी. इसको लेकर मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी की ओर से सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए जा चुके हैं.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू ने इस कैंपेन को आइवॉश बताते हुए कहा कि जो किसान दिल्ली बाॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं उनमें पश्चिम यूपी के भी हजारों लोग हैं लेकिन सरकार को उनकी कोई फिक्र है क्या. किसान का कल्याण तब होगा जब सरकार इन आंदोलनरत किसानों की सुनेगी. उनके रोजगार का कुछ इंतजाम करेगी. केवल ‘किसान कल्याण’ शब्द गाने से कुछ नहीं होने वाला.