लखनऊ: उत्तर प्रदेश के गांव में बने प्राइमरी स्कूल व रैनबसेरों में बाहर से आए मजदूरों और श्रमिकों को क्वारेंटाइन किया गया है लेकिन आए दिन कहीं न कहीं से इनके भागने की खबरें आ रही हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए योगी सरकार ने 14 दिन का क्वारेंटाइन पीरियड पूरा कर चुके मजदूर व श्रमिकों को उनके घर भेजने का फैसला लिया है. सरकार की ओर से जारी प्रेस स्टेटमेंट में इसकी पुष्टि भी की गई है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि क्वारन्टीन सेंटर में निवासरत लोगों की सतत माॅनीटरिंग की जाए। 14 दिन का क्वारन्टीन पूरा कर चुके लोगों को उनके घरों को भेजने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि, ऐसे लोगों को आवश्यकतानुसार खाद्यान्न भी उपलब्ध कराया जाए।
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) April 14, 2020
अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी के मुताबिक, जो लोग 14 दिन का क्वारेंटाइन पूरा कर चुके हैं, उनको घर पहुंचाने के लिए बसें लगाई गई हैं. उनका हेल्थ चेकअप करके एवं खाद्यान्न का पैकेट देकर उनको घर भेजने की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है. लगभग 1 लाख 20 हजार लोग ऐसे हैं जो जिला स्तर के क्वारेंटाइन सेंटर्स में हैं, उनमें तीन श्रेणियां हैं. दूसरे राज्यों से आए श्रमिकों को भी भेजने की व्यवस्था की जा रही है.
सरकार से जुड़े सूत्रों की मानें तो यूपी सरकार मुंबई जैसी भीड़ यहां नहीं इकट्ठा होने देना चाहती है इसलिए सरकार इन श्रमिकों को सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए बस के जरिए इनके घर तक पहुंचाएगी.
बता दें कि मजदूरों की क्वारेंटाइन सेंटर्स से लगातार भागने की खबरें भी आ रही थीं. रायबरेली, हरदोई, सुल्तानपुर समेत तमाम जिलों में इनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई हैं. इन सेंटर में किसी को खेती की चिंता सता रही है तो कोई अव्यवस्था झेल रहा है तो किसी को पान, तंबाकू तलब परेशान कर रही है. क्वारेंटाइन सेंटर्स में इन्हें रोके रखना अधिकारियों के लिए भी चैलेंज बनता जा रहा है.
छुपकर भाग रहे मजदूर
बीते रविवार बुलंदशहर के एक क्वारेंटाइन सेंटर से 16 लोग भाग गए. इनका आरोप था कि इन्हें ठीक से भोजन मुहैया नहीं कराया जा रहा. हालांकि देर रात पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद इन्हें पकड़ लिया और लाकर फिर क्वारेंटाइन सेंटर छोड़ दिया.
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दिप्रिंट से बातचीत में बुलंदशहर के एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि क्वारेंटाइन सेंटर से भागने के तमाम कारण हैं. किसी को तंबाकू, शराब की तलब मचती है तो किसी को घर की याद सताती है. बहुत से लोगों को ये लगता है कि उनका 14 दिन का क्वारेंटाइन पूरा हो गया तो उन्हें क्यों रखा हुआ है. हम ऊपर से अगले निर्देश मिलने तक इन्हें छोड़ नहीं सकते. हमारे लिए इन्हें यहां रखना चैलेंज बनता जा रहा है.
चादर की रस्सी बनाकर कूदकर भागे
सुल्तानपुर में तो चादर की रस्सी बनाकर क्वारेंटाइन सेंटर से 25 लोग भाग निकले. कमला नेहरू इंस्टिट्यूट के हॉस्टल में बने क्वारेंटाइन सेंटर से पिछले सप्ताह 25 लोग चादर की रस्सी के सहारे दूसरी मंजिल से उतरकर फरार हो गए. बाद में इन्हें पकड़ा गया. सुल्तानपुर की डीएम सी. इंदुमती ने दिप्रिंट को बताया कि क्वारेंटाइन सेंटर में लोगों के भागने की तमाम शिकायतें मिल रही थी. हमने इनकी काउंसलिंग करके काफी समझाया. अब जो लोग 14 दिन का क्वारेंटाइन पूरा कर चुके हैं उन्हें घर तक भेजा जाएगा.
खेत बर्बाद होने की सता रही चिंता
सीतापुर के सिधौली में एक प्राइमरी स्कूल में बनें क्वारेंटाइन सेंटर में दिप्रिंट से बातचीत में बिहार के कई मजदूरों ने अपना दर्द साझा किया. मोतिहारी जिले के श्याम कुमार का कहना था कि अगर वे कुछ दिनों में अपने घर नहीं पहुंचे तो फसल बर्बाद हो जाएगी. इसी तरह पटना के तेज कुमार बताते हैं कि उनका 14 दिन क्वारेंटाइन सेंटर में पूरा होने वाला है लेकिन फिर भी उन्हें नहीं बताया गया है कि कब तक यहां रुकना है. अगर वह घर नहीं जाएंगे तो खेतों का क्या होगा. वह पैदल भी बिहार जाने को तैयार हैं.
शराब और तंबाकू की लग रही तलब
दिप्रिंट से बातचीत में बुलंदशहर के एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने भी माना की क्वारेंटाइन किए गए कई मजदूर तंबाकू-शराब की तलाश में रोजाना भागने की कोशिश करते हैं. उन्हें काफी समझाया भी जाता है लेकिन वे कई बार बिना बताए ही निकल लेते हैं. हम इन पर बल का प्रयोग भी नहीं कर सकते. ऐसे में इनको हैंडल करना वाकई बड़ा चैलेंज है.
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कई जगह न मास्क है न सैनेटाइजर, मच्छर भी कर रहे परेशान
क्वारेंटाइन सेंटर में सुविधाओं की कमी भी एक बड़ा मुद्दा है. सीतापुर के सिधौली तहसील में स्थित एक प्राइमरी स्कूल में जब दिप्रिंट की टीम पहुंची तो अधिकतर लोग बिना मास्क और सैनेटाइजर के दिखे. उनका कहना था कि शुरुआत में कुछ मास्क बांटे गए थे लेकिन गंदे होने के बाद उन्होंने पहनना बंद कर दिया. वहीं लखनऊ के मोहनलालगंज में बने एक क्वारेंटाइन सेंटर का भी ऐसा ही हाल दिखा. नाम न छापने की शर्त पर एक मदूर ने बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग का यहां पालन होता नहीं दिख रहा. वहीं मच्छर भी परेशान करते हैं. वह चाहते हैं जल्द इससे छुटकारा मिले.