लखनऊ: श्रम कानूनों में हाल ही में किए गए बदलाव से जहां उत्तर प्रदेश के लेबर एसोसिएशन नाराज हैं तो दूसरी तरफ सरकारी कर्मचारी संगठन भी सरकार के खिलाफ मुखर हो गए हैं. योगी आदित्यनाथ सरकार ने बीते मंगलवार को सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह से छह तरह के भत्ते समाप्त करने का फैसला लिया है.
कर्मचारी संगठनों के मुताबिक इससे सरकार के राजस्व में 1500 करोड़ रुपये महीना बचाने की तैयारी है तो वहीं यूपी के करीब 16 लाख कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है.
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘100 से ज्यादा कर्मचारी संगठनों के समूह राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की ओर से सीएम व मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भत्ते खत्म करने का विरोध किया गया. साथ ही आंदोलन करने की चेतावनी भी दी गई जिसके बाद बुधवार को मुख्य सचिव ने मीटिंग बुलाई जो कि बेनतीजा साबित हुई’.
उन्होंने कहा, ‘ऐसे में सभी कर्मचारी संगठनों से बातचीत कर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी और हालात सामान्य होने पर आंदोलन भी किया जाएगा’.
छह भत्ते किए समाप्त
यूपी सरकार की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, कोरोनावायरस के कारण प्रदेश के राजस्व पर पड़े असर का हवाला देते हुए कर्मचारियों के छह भत्तों को समाप्त कर दिए गया है.
आदेश के मुताबिक इस माह से नगर प्रतिकर भत्ता, सचिवालय भत्ता, पुलिस से जुड़े कर्मियों का विशेष भत्ता, सभी विभागों के अवर अभियंताओं का विशेष भत्ता, लोक निर्माण विभाग के कर्मियों को मिलने वाला रिसर्च भत्ता, अर्दली भता व डिजाइन भत्ता, सिंचाई विभाग के कर्मियों को मिलने वाला इन्वेस्टिगेशन एंड प्लानिंग भत्ता को समाप्त कर दिया गया है.
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वहीं सचिवालय के सभी भागों में ई- गवर्नेंस के विकास के लिए विशेष सचिव व संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों को चिन्हित कर प्रोत्साहन राशि दी जाती थी उसे भी सरकार ने समाप्त कर दिया है.
पिछले महीने योगी सरकार ने राज्य कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को 1.5 साल तक बढ़ाने पर रोक लगाने का फैसला किया था तो साथ ही इन छह भत्तों को पहली अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक स्थगित करने का निर्णय किया.
लेकिन सरकार ने आदेश जारी कर अब इन भत्तों को खत्म कर दिया है जिससे कर्मचारियों में रोष है.
आंदोलन की तैयारी
सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘महामारी के इस दौर में ये हैरानी वाला फैसला है. कोरोना के भय के बावजूद कर्मचारी काम कर रहे हैं लेकिन उनकी सैलरी काटी जाएगी. ऐसी आपदा के वक्त जब सभी कर्मी जी-जान से मेहनत कर रहे हैं, उस समय राज्य सरकार द्वारा ऐसा निर्णय हतोत्साहित करने वाला है. इसके विरोध में आंदोलन की तैयारी है’.
हरिकिशोर तिवारी का कहना है कि कोरोना के दौर में जब प्राइवेट ऑफिस बंद हुए तो भी जरूरी सेवाओं से जुड़े सरकारी कर्मचारी काम कर रहे थे. फिर भी पैसा सरकारी कर्मचारियों का काटा जा रहा है जो कि सरासर नाइंसाफी है. पहले महंगाई भत्ते पर रोक लगाई फिर छह भत्ते ही खत्म कर दिए. हम संकट के दौर में सरकार के साथ हैं फिर भी नाइंसाफी हो रही है. अगर मांगे नहीं मानी गईं तो सारे कर्मचारी एकजुट होकर जल्द ही आंदोलन की रूपरेखा तय करेंगे.
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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू ने कर्मचारियों के भत्ते खत्म करने पर कड़ा एतराज जताया है. लल्लू के मुताबिक कोरोना के दौर में भी कई कर्मचारी विशेषकर पुलिस, डाॅक्टर, नर्स, शिक्षक, टेक्नीशियन आदि अपना अहम योगदान दे रहे हैं तो सरकार इसके बदले इन्हें एक के बाद एक झटके दे रही है. कर्मचारियों के भत्ते को खत्म करना अमानवीय, अव्यवहारिक और तुगलकी फरमान है. प्रदेश के कर्मचारियों पर दो गुना काम का बोझ है. ऐसे वक्त में उनके भत्तों को खत्म करना उन्हें हतोत्साहित करना होगा.
यूपी सरकार की ओर से फिलहाल इस पर कोई भी बयान नहीं आया है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि राज्य कर्मचारियों को ग्रेड पे के अनुसार 250 रुपये से लेकर 900 रुपये और सचिवालय कर्मचारियों को 2000 रुपये तक नुकसान होने की संभावना है जो कि सरकार की नज़र में बड़ी राशि नहीं है. ऐसे में राजस्व को लगातार हो रहे नुकसान को देखते हुए ये फैसला लिया गया है.