लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार दूसरे राज्यों से वापस आए श्रमिकों के लिए घर का इंतजान करने की तैयारी कर रही है. नगर विकास डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव की ओर से आदेश जारी किया गया है.
नगर विकास विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री आवास योजना की तरह की ही ये योजना है जिसका मुख्य लक्ष्य उन श्रमिकों को छत देना है जो वापस यूपी तो लौट आए लेकिन उनके पास कोई आशियाना नहीं है. उन्हें शहरी क्षेत्र में रोजगार मिले इसके लिए भी सरकार का प्रयास है.
इस शासनादेश के अनुसार, प्रवासी श्रमिकों के लिए किफायती रेंटल आवास (कम किराये वाले मकान) और कॉम्प्लेक्स (मल्टी स्टोरी बिल्डिंग) तैयार करने के लिए प्रदेश की सभी नगर निकायों में सरकारी भूमि पर भवन का निर्माण कराया जाए. इसके लिए शहरी क्षेत्र के पास जो ग्राम सभा की जमीनें हैं उन्हें चिन्हित कर उसकी सूची तैयार की जाए.
इसके अलावा उन संस्थाओं को चिन्हित किया जाए जो अपनी निजी भूमि पर कॉम्प्लेक्स का निर्माण कर किफायती दर पर किराये पर दे सकें और उसका संचालन भी कर सके.
आदेशानुसार ग्राम समाज की जमीन पर नगर विकास और स्टेट अर्बन डेव्लेपमेंट एजेंसी (सूडा) पीपीपी माॅडल पर घर तैयार करेगी. नगर विकास विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पीपीपी माॅडल अपनाने की तमाम वजह हैं जिसमें निजी संस्थाओं के इन्वाॅल्वमेंट से सरकार का खर्चा व मेनपाॅवर कम लगेगा. निजी संस्थाएं शहर किनारे सरकार की जमीन पर काॅम्लेक्स बनाएंगी जिसमें 1 और 2 बीएचके के आवास होंगे जिनमें कम किराया देकर श्रमिक रह सकेंगे.
लॉकडाउन के कारण श्रमिकों के वापस लौटने के बाद योगी सरकार ने मनरेगा के तहत उन्हें रोजगार देना का ऐलान भी किया था.
स्ट्रीट वेंडर्स को लोन देने के आदेश
सरकार की ओर से स्ट्रीट वेंडरों को 10 हजार रुपये तक का लोन देने का ऐलान भी किया गया. इसके लिए प्रमुख सचिव नगर विकास की ओर से जिलों के डीएम और मंडलायुक्त को पत्र लिखकर नगर निगम और डूडा (डिस्ट्रिक्ट अर्बन डेवलेप्मेंट एजेंसी) से वेंडरों की सूची मांगी है. इनको कैपिटल के तौर पर 10 हजार रुपये दिए जाएंगे.
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प्रवासी श्रमिकों की चल रही स्किल मैपिंग
प्रदेश सरकार के मुताबिक, 25 लाख प्रवासी श्रमिक व मजदूर यूपी में आ चुके हैं. इन सभी के लिए कामगार/ श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) कल्याण आयोग के जरिए रोजगार दिलाने की योजना बनाई गई है.
सरकार के मुताबिक, अब तक 14.75 लाख प्रवासी श्रमिकों और कामगारों की स्किल मैपिंग का काम पूरा हो चुका है. स्किल मैपिंग में सबसे बड़ी संख्या लगभग 1 लाख 51 हजार रीयल स्टेट डेवलपर/वर्करों की सामने आई है. इसके अलावा फर्नीचर एवं फिटिंग के 26,989 टेक्नीशियन, बिल्डिंग डेकोरेटर 26,041, होम केयरटेकर्स की संख्या 12,633, ड्राइवर 10,000 हैं. वहीं आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स के 4,680 टेक्नीशियन हैं जिन्हें उसी फील्ड से जुड़ा काम यहां दिया जा सके, इसकी तैयारी की जा रही है.