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Thursday, 26 December, 2024
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आवारा पशुओं की समस्या पर ढाई साल में कुछ नहीं कर पाई योगी सरकार: कांग्रेस

लल्लू के मुताबिक, यूपी की योगी सरकार को कांग्रेस के शासन वाले राज्य छत्तीसगढ़, राजस्थान व मध्य प्रदेश से प्रेरणा लेनी चाहिए और गौ वंश के संरक्षण और आवारा पशुओं से फसलों की बर्बादी को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने ही चाहिए.

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लखनऊ: मिर्जापुर में प्रस्तावित सीएम योगी आदित्यनाथ के दौरे से पहले नौ अभियंताओं को आवारा पशु पकड़ने की लगाई गई ड्यूटी की ऑर्डर काॅपी सोशल मीडिया पर वायरल होते ही यूपी सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा. इस ऑर्डर को तो निरस्त कर दिया गया लेकिन इसने विपक्ष को फिर से इस मुद्दे पर मुखर कर दिया है. कांग्रेस के यूपी चीफ अजय लल्लू ने कहा है कि ढाई साल में इस मुद्दे को सुलझाने में योगी सरकार पूरी तरह से फ्लाॅप हुई है.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय लल्लू ने इस मुद्दे पर प्रेस नोट जारी कर कहा, ‘योगी सरकार ने किसानों की फसलों को आवारा पशुओं से बचाने के लिए जो योजना बनायी और बजट का जो प्रावधान किया है वह बहुत नाकाफी है क्योंकि उसके मुकाबले में प्रदेश का क्षेत्रफल और छुट्टा जानवरों की तादाद सरकार के अनुमान से कहीं बहुत ज्यादा है.’

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अजय लल्लू के मुताबिक, ‘आज स्थिति यहां तक आ गयी है कि आवारा पशु कई जनपदों में किसानों की मौत का कारण बन चुके हैं. गोंडा में एक किसान को छुट्टा सांड़ ने पटक-पटक कर मार डाला और इस प्रकार की घटनाएं आये दिन समाचारपत्रों की सुर्खियां बन रही हैं. परेशान किसान सरकारी स्कूलों और कार्यालयों में छुट्टा जानवरों को कैद कर धरना-प्रदर्शन करने पर मज़बूर हैं क्योंकि सरकार छुट्टा जानवरों से अपनी फसलों को बचाने के लिए तार के बाड़ लगाने की अनुमति नहीं दे रही है.’

लल्लू के मुताबिक, यूपी की योगी सरकार को कांग्रेस के शासन वाले राज्य छत्तीसगढ़, राजस्थान व मध्य प्रदेश से प्रेरणा लेनी चाहिए और गौ वंश के संरक्षण और आवारा पशुओं से फसलों की बर्बादी को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने ही चाहिए.

कांग्रेस की यूपी इंचार्ज प्रियंका गांधी ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट कर लिखा है, ‘पूरे उत्तर प्रदेश में किसान आवारा पशुओं की समस्या से परेशान हैं. मुख्यमंत्री जी के कार्यक्रम में व्यवधान न हो इसलिए इंजीनियर रस्सी लेकर खड़े हैं. अरे एक रस्सी लाकर अपनी जिम्मेदारी को भी उससे बांध लीजिए. आखिर किसानों की फसल बर्बादी की जिम्मेदारी तो सरकार को लेनी ही पड़ेगी.’

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