नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने एक रिपोर्ट में बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में अधिकतर स्थानों पर यमुना नदी का नवीनतम मासिक मूल्यांकन पानी के बुनियादी गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में विफल रहा।
पल्ला, वजीराबाद, आईटीओ, निजामुद्दीन, ओखला और असगरपुर सहित आठ निगरानी केदों से एक मई को पानी के नमूने एकत्र किए गए थे, जिसमें जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी), रासायनिक ऑक्सीजन मांग (सीओडी) और ‘फेकल कोलीफॉर्म’ नाम के बैक्टीरिया की उच्च सांद्रता पाई गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, बीओडी, सीओडी व ‘फेकल कोलीफॉर्म’ की उच्च सांद्रता गंभीर कार्बनिक और जीवाणु संदूषण का संकेत देती है।
समिति ने बताया कि पानी में कार्बनिक पदार्थों के विघटन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा को दर्शाने वाला बीओडी पल्ला में 4.0 मिलीग्राम प्रति लीटर से लेकर ओखला में 64.0 मिलीग्राम प्रति लीटर तक के अत्यधिक उच्च स्तर पर दर्ज किया गया।
‘सी’ श्रेणी वाले पानी (नहाने के लिए निर्दिष्ट) के लिए स्वीकार्य बीओडी स्तर केवल तीन मिलीग्राम प्रति लीटर है।
रिपोर्ट में बताया गया कि ऑक्सीकरण योग्य प्रदूषकों की उपस्थिति को इंगित करने वाला सीओडी स्तर आईटीओ पुल पर 171 मिलीग्राम प्रति लीटर पर पहुंच गया।
सीवेज संदूषण का संकेतक ‘फेकल कोलीफॉर्म’ का स्तर आईटीओ पुल पर प्रति 100 मिलीलीटर नमूने में बैक्टीरिया की संख्या 92,000 तक पहुंच गयी, जो 100 मिलीलीटर में 2,500 की अधिकतम स्वीकार्य सीमा से लगभग 37 गुना अधिक है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अन्य स्थानों पर भी ‘कोलीफॉर्म’ का स्तर बढ़ा हुआ पाया गया, जो व्यापक रूप से सीवेज से निकलने वाली गंदगी और नदी में अनुपचारित अपशिष्ट की ओर इशारा करता है।
रिपोर्ट में बताया गया कि एकमात्र अपेक्षाकृत स्वच्छ स्थान पल्ला है, जहां से यमुना नदी शहर में प्रवेश करती है।
भाषा जितेंद्र अविनाश
अविनाश
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