नयी दिल्ली, 15 फरवरी (भाषा) अंग्रेजी लेखकों विकास स्वरूप, विक्रम संपत, और रोहित मनचंदा और हिंदी लेखक प्रभात रंजन, मनीषा कुलश्रेष्ठ और अनंत विजय को शनिवार को यहां एक समारोह में चौथा कलिंग साहित्य महोत्सव पुस्तक पुरस्कार प्रदान किया गया।
वार्षिक केएलएफ पुस्तक पुरस्कार अंग्रेजी में सात और हिंदी में छह श्रेणियों में दिए जाते हैं, जिसमें कथा, कथेतर, कविता, बाल साहित्य, व्यवसाय, अनुवाद श्रेणियां शामिल हैं।
प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार, एक प्रशस्ति पत्र, एक ट्रॉफी और एक पारंपरिक शॉल प्रदान की गई।
पर्यटन और संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं पुरस्कार पाने वाले लेखकों को अपनी ओर हार्दिक बधाई देता हूं, जिन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और साहित्यिक प्रतिभा से भारत की सदियों पुरानी साहित्यिक परंपरा को कायम रखते हुए ये उत्कृष्ट कृतियां लिखीं। मैं उन्हें हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का संरक्षक मानता हूं।”
संपत को ‘टीपू सुल्तान: द सागा ऑफ मैसूर इंटररेग्नम (1760-1799)’ के लिए और नंदिनी पुरंदरे व दीपा बलसावर को ‘द शेरपा ट्रेल: स्टोरीज फ्रॉम दार्जिलिंग एंड बियॉन्ड’ के लिए अंग्रेजी में कथेतर (नॉन फिक्शन) श्रेणी में पुरस्कृत किया गया।
विकास स्वरूप को उनके उपन्यास “द गर्ल विद द सेवन लाइव्स” व रोहित मनचंदा को उनकी पुस्तक ‘द एन्क्लेव: ए शार्प एंड हिलेरियस पोर्ट्रेट ऑफ वुमनहुड इन इंडिया’ के लिए अंग्रेजी में कथा श्रेणी में पुरस्कार प्रदान किया गया।
जीत थायिल को उनकी अंग्रेजी कविता कृति ‘आई विल हैव इट हियर’ के लिए पुरस्कार दिया गया, जबकि हिंदी कवि शिरीष कुमार मौर्य को उनकी कृति ‘धर्म वह नाव नहीं’ के लिए पुरस्कार दिया गया।
हिंदी कथा श्रेणी में पुरस्कार संयुक्त रूप से मनीषा कुलश्रेष्ठ को ‘वन्या’ के लिए और प्रभात रंजन को ‘किस्साग्राम’ के लिए दिया गया।
हिंदी में, कथेतर श्रेणी में अनंत विजय को ‘ओवर द टॉप: ओट का मायाजाल’ के लिए पुरस्कार से नवाजा गया।
शिव बालक मिश्रा को हिंदी में ‘गांव से बीस पोस्टकार्ड’ और सरिता मिश्रा को अंग्रेजी में ‘संबलपुरी इकट्स: द मास्टरपीस’ के लिए विशेष प्रशस्ति पत्र दिया गया।
समारोह में केएलएफ के सीईओ और संरक्षक अशोक कुमार बल ने कहा, ”2025 में पुरस्कृत पुस्तकें सिर्फ़ साहित्यिक कृतियां नहीं हैं-वे बौद्धिक विमर्श को आकार देने वाली आवाज़ें हैं।…ये रचनाएं विश्वदृष्टि को व्यापक बनाएंगी और दुनिया भर के पाठकों पर एक अमिट छाप छोड़ेंगी।’
भाषा जोहेब पवनेश
पवनेश
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