(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 11 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि बजरंग पुनिया, विनेश फोगट, साक्षी मलिक एवं अन्य पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निलंबन को रद्द करने के केंद्र के फैसले को चुनौती दे सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने 2023 में डब्ल्यूएफआई के हुए चुनाव के खिलाफ पहलवानों द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहे एकल न्यायाधीश से इसे शीघ्र पूरा करने का भी अनुरोध किया।
केंद्र ने डब्ल्यूएफआई को निलंबित करने के 24 दिसंबर, 2023 के अपने आदेश को 10 मार्च को रद्द कर दिया था और राष्ट्रीय खेल महासंघ के रूप में इसका दर्जा बहाल कर दिया था।
उसी साल 21 दिसंबर को निर्वाचित हुए नए निकाय (डब्ल्यूएफआई) को शासन और प्रक्रियागत शुचिता में खामियों के कारण निलंबित कर दिया गया था।
पीठ ने ‘भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की तदर्थ समिति को उसके कामकाज के संचालन के वास्ते बहाल करने के एकल न्यायाधीश के आदेश के विरूद्ध डब्ल्यूएफआई की अपील पर अपनी सुनवाई समाप्त की और कहा कि समिति को केवल केंद्र के निलंबन के प्रभावी रहने तक ही काम करना था।
केंद्र सरकार के 10 मार्च के निर्णय का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि डब्ल्यूएफआई की अपील में अब फैसला करने हेतु कुछ भी शेष नहीं बचा है।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘ यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि यदि कोई पक्ष खेल मंत्रालय के 10 मार्च के आदेश से असंतुष्ट है तो वह उसे उचित न्यायालय में चुनौती दे सकता है।’’
सुनवाई के दौरान पहलवानों की ओर से पेश अधिवक्ता ने देश में खिलाड़ियों के साथ किए जा रहे व्यवहार पर हैरानी जताई और डब्ल्यूएफआई के इस दावे पर आपत्ति जताई कि उसकी मान्यता न होने के कारण खिलाड़ी पूर्व में छह टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले पाए।
अधिवक्ता ने कहा, ‘‘उन्होंने जो कुछ भी किया है, वह वही है जिसकी मैं पिछली बार भी भविष्यवाणी कर रहा था।’’
उन्होंने कहा कि मौके पर किए गए निरीक्षण की जो रिपोर्ट (निलंबन को) रद्द करने का आधार बनी, उन्हें उपलब्ध नहीं करायी गयी।
पीठ ने दोहराया कि वह जॉर्डन में आगामी एशियाई चैम्पियनशिप में भारतीय टीम की भागीदारी सुनिश्चित करना चाहती है। उसने कहा कि केंद्र के फैसले को उसके समक्ष चुनौती नहीं दी गई है।
पीठ ने कहा कि पहलवान निलंबन रद्द करने से संबंधित ‘समर्थक दस्तावेजों’ के लिए उचित कार्यवाही शुरू कर सकते हैं।
केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि 10 मार्च को डब्ल्यूएफआई का निलंबन वापस लेने का निर्णय लिया गया था और महासंघ को ‘निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के दायित्व को बनाये रखने’ के लिए कुछ निर्देश जारी किए गए थे।
उन्होंने कहा कि यदि पुनिया और अन्य लोग असंतुष्ट हैं तो उनके लिए समाधान उपलब्ध हैं।
तब आईओए ने अपनी अपील वापस ले ली।
निलंबन रद्द करने के आदेश में केंद्रीय खेल मंत्रालय ने कहा कि चूंकि डब्ल्यूएफआई ने अनुपालन संबंधी कदम उठाए हैं, इसलिए खेल और एथलीटों के व्यापक हित में निलंबन वापस लेने का निर्णय लिया गया।
मशहूर पहलवान पुनिया, फोगट, मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान ने सात महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के लिए डब्ल्यूएफआई के तत्कालीन प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग की थी और महासंघ के पदाधिकारियों के निर्वाचन के लिए हुए चुनाव को रद्द करने एवं अवैध घोषित करने के लिए 2024 में उच्च न्यायालय का रुख किया था।
एकल न्यायाधीश ने 16 अगस्त, 2024 को अपने अंतरिम आदेश में डब्ल्यूएफआई के लिए आईओए की तदर्थ समिति के क्षेत्राधिकार को बहाल कर दिया और कहा कि जब तक खेल मंत्रालय का निलंबन आदेश वापस नहीं लिया जाता, तब तक समिति के लिए महासंघ के मामलों का प्रबंधन करना आवश्यक है।
भाषा
राजकुमार धीरज
धीरज
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