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Saturday, 21 December, 2024
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रेसलर दिव्या काकरन ने केजरीवाल पर लगाया मदद न करने का आरोप, कहा- न कल मेरे लिए कुछ किया गया था और न अब

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में कांस्य पदक जीतने वाली दिव्या काकरन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पर मदद न करने का आरोप लगाया है.

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नई दिल्लीः जहां एक तरफ कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की लगातार जीत की बधाइयां दी जा रही हैं वहीं पर कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला के 68 किलोग्राम की कैटेगरी में कांस्य पदक जीतने वाली फ्री स्टाइल रेसलर दिव्या काकरन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पर आर्थिक सहायता न दिए जाने का आरोप लगाया है. फ्री स्टाइल रेसलर दिव्या काकरन ने कहा कि, ‘मेडल की बधाई देने पर दिल्ली के माननीय मुख्यमंत्री जी को तहे दिल से धन्यवाद मेरा आपसे एक निवेदन है की मै पिछले 20 साल से दिल्ली मे रह रही हूं और यहीं अपने खेल कुश्ती का अभ्यास कर रही हूं परंतु अब तक मुझे राज्य सरकार से किसी तरह की कोई इनाम राशि नही दी गई न कोई मदद दी गई.’

आगे उन्होंने कहा कि ‘मैं आपसे इतना निवेदन करती हूं की जिस तरह आप अन्य खिलाड़ियों को सम्मानित करते हैं जो दिल्ली के होकर किसी ओर स्टेट से भी खेलते है उसी तरह मुझे भी सम्मानित किया जाये.’


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दिव्या काकरन पहले भी लगा चुकी हैं गुहार

दिव्या काकरन ने दिल्ली राज्य चैंपियनशिप में 17 गोल्ड मेडल सहित 60 मेडल जीते हैं. इसके अलावा भारत केसरी टाइटिल भी आठ बार जीता है. यह पहली बार नहीं है कि जब उन्होंने दिल्ली सरकार पर इस तरह के आरोप लगाए हैं बल्कि साल 2018 में एशियन गेम्स के समय में भी उन्होंने ऐसे ही आरोप लगाए थे कि उनकी खराब आर्थिक स्थिति से अवगत कराए जाने के बावजूद दिल्ली सरकार ने कोई सहायता नहीं की थी. उन्होंने 5 सितंबर 2018 के एक ट्वीट को टैग करते हुए लिखा कि लगता है कि, ‘समय ने खुद को दोहराया है सब कुछ पहले जैसा ही है न कल मेरे लिए कुछ किया गया था और न अब ही.’

इस वीडियो में दिव्या कहती हुई दिख रही हैं कि, ’19 साल की उम्र में एशियन और कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक दिया है और दिल्ली को 12 गोल्ड मेडल जीत के दिया है.’ उन्होंने कहा कि, ‘जब एशियन गेम्स में जब गोल्ड मेडल आया था तब भी कुछ नहीं किया गया था मेरे लिए लेकिन जिस वक्त हमें ज्यादा जरूरत रहती है उस वक्त हमारी सहायता कोई नहीं करता है. जब हमें ज्यादा जरूरत रहती है तब हमारे लिए कोई कुछ नहीं करता है.’

वह कहती हैं कि, ‘एशियन गेम्स के लिए हेल्प करने का आश्वासन दिया गया था. मैंने लिख के भी दिया लेकिन बाद में मेरा फोन भी नहीं उठाया गया.’ उन्होंने कहा कि जो गरीब बच्चे निकल के आ रहे हैं उनकी सहायता करने की जरूरत है.

तंग आकर यूपी से खेलना शुरू किया

बार-बार दिल्ली सरकार से सहायता की गुहार लगाए जाने के बाद तंग आकर काकरन ने दिल्ली के बजाय यूपी से खेलने का फैसला किया. क्योंकि साल 2016 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उन्हें नौकरी देने का वादा किया था लेकिन इस बारे में कुछ नहीं किया गया. इसके बाद निराश होकर काकरन ने दिल्ली के बजाय यूपी से खेलना शुरू कर दिया. दिव्या के पिता सूरज मूल रूप से यूपी के मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले हैं.

पिता सूरज बेचते हैं लंगोट

दिव्या के पिता सूरज उनके मां के हाथों की सिली हुई लंगोट बेचते हैं. साल 2017 में दिव्या ने जब अपना पहला सीनियर नेशनल मेडल जीता था. पिता अपनी बेटी को जीतते हुए अपनी आंखों से नहीं देख पाते क्योंकि जब रेफरी जीत के बाद उनके हाथों को उठाकर जीत की घोषणा कर रहा होता है तो वे बाहर लंगोट बेच रहे होते हैं. उनके पिता ने इसके पहले मीडिया को बताया कि दिव्या ही उनका घर चलाती है. वह जीतती है उससे पैसे मिलते हैं और उसी से उनका घर चलता है.

बता दें कि दिव्या काकरन को अर्जुन अवॉर्ड, रानी लक्ष्मीबाई अवॉर्ड मिल चुका है. इसके अलावा वह कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं.


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