कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजधानी में पुलिस केवल यही सुनिश्चित नहीं कर रही है कि कोरोनावायरस लॉकडाउन का उल्लंघन नहीं किया जाए, बल्कि वे शहर के वृद्धों को कम से कम कठिनाई हो इसके लिए वे सब कुछ कर रहे हैं.
डायलिसिस अपॉइंटमेंट और आवश्यक सामान देने तक कोलकाता पुलिस अपने पैर की उंगलियों पर खड़ी है. अकेले रहने वाले बुजुर्गों के परेशानी को कम करने की कोशिश कर रही है.
वरिष्ठ नागरिकों की सहायता के लिए कोलकाता पुलिस की एक पहल ‘प्रणाम’ के अनुसार शहर के बुजुर्ग या कोलकाता के बाहर रहने वाले उनके चिंतित बच्चे केवल पुलिस हेल्पलाइन या सोशल मीडिया पर एक संदेश छोड़ सकते हैं और मदद उन तक पहुंचेगी.
कोलकाता के पुलिस आयुक्त अनुज शर्मा ने कहा, ‘मैं आज यह देखकर खुश हूं कि मेरा पुलिस बल मल्टीटास्किंग का विशेषज्ञ बन गया है. हमने एक विशेष कॉल सेंटर की स्थापना की है और वरिष्ठ नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक विशेष संख्या है.
उन्होंने कहा, ‘प्रणाम पहल के साथ पंजीकृत 25,000 सदस्यों के अलावा हम सभी अपंजीकृत लोगों की भी सेवा कर रहे हैं. बस हमें एक फोन कॉल या सोशल मीडिया संदेश के माध्यम से उस तक पहुंचने की जरूरत है. संबंधित थाने के लोग उनकी मदद के लिए मौजूद रहेंगे.’
बेबस छोड़ दिया
2015 की एक रिपोर्ट के अनुसार 2011 के जनगणना आंकड़ों के आधार पर कोलकाता में किसी भी अन्य महानगरीय शहर की तुलना में 60 से अधिक वर्ष के लोगों की अधिक हिस्सेदारी है. कई युवा शहर छोड़कर भारत या विदेश में नौकरी तलाशने के लिए जाते हैं. जिससे बड़ी आबादी अकेले शहर में रहती है.
कोरोनावायरस के प्रसार की जांच करने के लिए 25 मार्च को हुए देशव्यापी लॉकडाउन के बाद से कुछ दुकानों को खुला छोड़ दिया गया था. सार्वजनिक परिवहन को बंद कर दिया था और घरेलू मदद के लिए होने वाले मूवमेंट को प्रतिबंधित कर दिया है, जिससे बुजुर्गों के लिए सभी तरह की समस्याएं हैं.
दक्षिण कोलकाता के 78 वर्षीय निवासी रणधीर मजूमदार ने कहा, ‘हम अकेले हैं. हमारी सुध लेने वाला कोई नहीं है. हम लॉकडाउन के बीच असहाय हैं.’ मजूमदार अपनी 70 वर्षीय पत्नी के साथ रहते हैं. दंपति के दो बेटे मुंबई में काम करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास आया (सहायक) और घरेलू मदद के लिए थी. हालांकि, जब से लॉकडाउन की घोषणा की गई थी, दोनों में से कोई भी नहीं आ रहा है. हम खुद अपना खाना बना रहे हैं. मेरी पत्नी खाना बनाती है और मैं बर्तन धोता हूं. हम दोनों अपने कपड़े एक साथ धोते हैं … इस उम्र में, हमारे लिए इस तरह से जीना मुश्किल है, लेकिन कोई विकल्प नहीं बचा है.’
हालांकि, दंपति कोलकाता पुलिस के सहायक के लिए आभारी हैं, पुलिसकर्मी उनके लिए किराने का सामान, दवाएं और सब्जियां लाते हैं.
दिप्रिंट से बात करते हुए, मजूमदार ने कहा कि उन्होंने पुलिस को फोन किया जब उन्हें एहसास हुआ कि उनकी रोज खाने वाली दवाएं ख़त्म हो गयी हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमने कोलकाता पुलिस के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया और आपूर्ति का अनुरोध किया. हमारे पास कुछ भी नहीं बचा था, हमें अपनी दवाइयों की भी ज़रूरत थी और हम रोज़ लेते हैं. तबसे, गरियाहाट पुलिस स्टेशन के कर्मचारी हमारी जरूरत की हर चीज पहुंचाते हैं. वे नियमित रूप से जांच भी करते हैं.’
मध्य कोलकाता के पार्क स्ट्रीट के पास अकेले रहने वाली 75 वर्षीय मालती डे ने कहा कि जब सभी खाद्य पदार्थों- किराने और सब्जी ख़त्म हो गया तो पुलिस से संपर्क किया. उन्होंने पुलिस को कॉल किया दो पुलिस कर्मियों की एक टीम ने उनसे बात की और आवश्यक वस्तुओं को पहुंचाया.
पुलिस कमिश्नर शर्मा ने इस पहल को ‘सबसे बड़ी कामयाबी’ बताया है, जिसमें कहा गया है कि अभ्यास में पुलिस कर्मियों की भागीदारी स्वैच्छिक थी और जबर्दस्ती नहीं है.
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