नई दिल्ली: गाज़ियाबाद के पॉश कवि नगर इलाक़े में एक विशाल सफेद इमारत दूर से ही नज़र आ रही थी. छत पर झंडे लगे थे और बाहर पांच महंगी गाड़ियां खड़ी थीं, जिन पर ‘डिप्लोमैटिक रजिस्ट्रेशन प्लेट’ लगी थीं. गेट पर एक चमचमाती पट्टिका लगी थी जिस पर बड़े घुमावदार अक्षरों में लिखा था: ‘ग्रैंड डची ऑफ वेस्टआर्कटिका, एच.ई. (हिज़ एक्सीलेंसी) एच.वी. जैन, ऑनरेरी कॉन्सल.’
यह ‘सेबॉर्जिया, पॉलबिया, लोडोनिया और वेस्टआर्कटिका’ के दूतावास का स्वागत था. लेकिन ये देश असल में हैं ही नहीं — आधिकारिक तौर पर नहीं. इन्हें “माइक्रोनेशन” कहा जाता है. यहीं एक व्यापारी के बेटे ने लगभग आठ साल तक खुद को डिप्लोमैट बताकर पेश किया. आरोप है कि वह एजेंटों के ज़रिए विदेशों में नौकरी दिलाने के लिए कंपनियों और लोगों के लिए सौदे कर रहा था और शेल कंपनियों के ज़रिए हवाला रैकेट चला रहा था. किसी को कोई शक नहीं हुआ, जब तक कि एक गुप्त सूचना ने इस पूरे धोखाधड़ी के जाल का पर्दाफाश नहीं कर दिया.

इस हफ्ते की शुरुआत में उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने हर्षवर्धन जैन के किराए के बंगले नंबर केबी-35 पर छापा मारा, जब विदेश मंत्रालय से यह पुष्टि हो गई कि वहां कोई आधिकारिक दूतावास नहीं है. अब यह आलीशान दोमंजिला बंगला सूना पड़ा है, न वहां ‘डिप्लोमैटिक’ झंडे हैं और न ही लग्ज़री गाड़ियां.
रेड से पहले STF को हर्षवर्धन के भव्य जीवनशैली की जानकारी मिल रही थी, जिसमें एक मर्सिडीज एस 350 का इस्तेमाल शामिल था, जिस पर ‘डिप्लोमैटिक स्टीकर’ और गैर-मौजूद देशों के झंडे लगे थे.
STF को ‘दूतावास’ में 44.70 लाख रुपये नकद, हर्षवर्धन के नाम पर 12 फर्ज़ी पासपोर्ट (डिप्लोमैटिक समेत), विदेश मंत्रालय के नकली दस्तावेज़, महंगी घड़ियां, रबर स्टैम्प, गाड़ियों के नंबर प्लेट और पहचान पत्र मिले. इससे उनके अवैध धंधों की गहराई का अंदाज़ा होता है.
बाहर खड़ी सभी गाड़ियां सेकंड हैंड खरीदी गई थीं, वो भी भारी छूट पर, और उनके पास फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं था.
जांचकर्ताओं के मुताबिक, हर्षवर्धन की तस्वीर एक ऐसे इंसान की बनती है जिसे अहम महसूस करना अच्छा लगता था, जो अपने संपर्कों का दिखावा करता था, महंगी गाड़ियों में घूमता था और लोगों को अपने ‘दूतावास’ में बातचीत के लिए बुलाता था.

एक STF अधिकारी ने बताया, “वह रोज़ विदेश में काम दिलवाने के लिए एजेंटों के ज़रिए ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को बुलवाता था. उसे लोगों का ध्यान और सम्मान चाहिए था.”
एक अन्य STF अधिकारी ने कहा कि एजेंट जब व्यापारियों और नौकरी के इच्छुक लोगों को लाते थे, तो हर्षवर्धन अपने फ्लैट में मिले विदेश मंत्रालय के फर्ज़ी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल कर अपनी “पहुंच” दिखाता था. एक बार उसने गाज़ियाबाद में एक सम्मेलन में भी भाग लिया था, जहां वह खुद को एक माइक्रोनेशन का काउंसलर बताता था.
STF की शुरुआती पूछताछ में 47 वर्षीय हर्षवर्धन ने किसी भी तरह की धोखाधड़ी से इनकार किया और कहा कि वह सब कुछ “सम्मान और राजनयिक संस्थाओं के प्रति लगाव” के चलते कर रहा था.
उसने दावा किया कि “सेबॉर्जिया और वेस्टआर्कटिका के लोगों” से मिलने के बाद उसने भारत में उनका प्राइवेट दूतावास खोलने का फैसला किया ताकि लोगों को विदेशों में नौकरी दिलाई जा सके.
अब तक कोई भी व्यक्ति सामने नहीं आया है जिसने दावा किया हो कि हर्षवर्धन ने उसे ठगा है, और यूपी STF का कहना है कि इस कथित नौकरी रैकेट की पूरी सच्चाई सामने आनी बाकी है.
लेकिन कहानी और दिलचस्प हो जाती है. हर्षवर्धन, दिवंगत चंद्रास्वामी का पक्का अनुयायी था, जो एक विवादास्पद “गॉडमैन” थे और जिनका रिश्ता पूर्व प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव से बताया जाता था. STF जांचकर्ताओं ने यह भी कहा कि हर्षवर्धन का नाम यूएई स्थित दिवंगत अंतरराष्ट्रीय हथियार डीलर अदनान खशोगी से भी जोड़ा गया है.
एक बाबा, एक हथियार डीलर और एक सैटेलाइट फोन
जिस किराए के मकान में हर्षवर्धन की ‘वेस्टआर्कटिका की एंबेसी’ थी, उससे कुछ ही दूर उसके बुजुर्ग माता-पिता का घर है.
घर के बाहर लगे बोर्ड से पता चलता है कि वरिष्ठ जैन एक मानद पशु कल्याण अधिकारी हैं. इसी घर से हर्षवर्धन को उसके पिता ने इस साल की शुरुआत में उसकी “एंबेसी वाली हरकतों” के लिए निकाल दिया था.
अब ‘एंबेसी’ के असली मालिक खुद को एक मुसीबत में फंसा हुआ पा रहे हैं, जबकि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया. “वो 1 फरवरी को अपने काम के साथ वहां शिफ्ट हुआ था, 35,000 रुपये प्रति माह के एग्रीमेंट पर,” मकान मालिक के बेटे ने दिप्रिंट को अपने घर के बाहर बताया. “मैं सिर्फ कुछ सवाल साफ करने आया हूं, क्योंकि मेरा घर न्यूज चैनलों पर किसी धोखाधड़ी में शामिल बताया जा रहा था.”
पूछताछ के दौरान STF को हर्षवर्धन ने बताया कि उसने देश के बाहर काफी समय बिताया है और वहां संपर्क बनाए, जिनका इस्तेमाल उसने अपने कथित रैकेट को चलाने में किया.
उसने गाजियाबाद के आईटीएस कॉलेज से बीबीए किया और लंदन से एमबीए, जहां वह अपने पिता की कंपनियों के काम से बार-बार जाया करता था. उसके पिता जे.डी. जैन उत्तर प्रदेश में एक फैक्ट्री और राजस्थान में दो संगमरमर की खानें चलाते थे, और लंदन में संगमरमर का निर्यात करते थे.
STF के एक प्रवक्ता ने बुधवार को बताया कि लंदन की एक व्यापारिक यात्रा के दौरान, 2000 में हर्षवर्धन की मुलाकात ‘गॉडमैन’ चंद्रास्वामी से हुई. “चंद्रास्वामी ने उसे सऊदी अरब के हथियार डीलर अदनान खग्गोसी और सऊदी अरब निवासी अदनान रभई और लंदन में रहने वाले भारतीय व्यापारी अहसान अली सैयद से मिलवाया.”
प्रवक्ता ने बताया कि अली सैयद की मदद से उसने लंदन में दर्जनों कंसल्टेंसी कंपनियां रजिस्टर कराईं, जिनका इस्तेमाल उसने संपर्क और दलाली के लिए किया.
2006 में हर्षवर्धन भारत से दुबई चला गया और अपने चचेरे भाई की मदद से अपने ‘बिजनेस साम्राज्य’ का विस्तार किया.
“उसने और कंपनियां बनाईं जिनके जरिए वह लोगों को विदेशों में काम दिलाने के नाम पर दलाली करता था, जिससे हर्षवर्धन जैन को अच्छी खासी कमाई होने लगी,” UP STF प्रवक्ता ने कथित ‘डिप्लोमैट’ की शुरुआती पूछताछ के आधार पर बताया. “इस दौरान हर्षवर्धन जैन खाड़ी और अफ्रीकी देशों में भी गया और वहां दलाली का काम किया.”
हर्षवर्धन 2011 में भारत लौट आया. अगले साल, उसे उत्तर प्रदेश पुलिस ने सैटेलाइट फोन रखने के मामले में बुक किया, जो टेलीकॉम विभाग की इजाजत के बिना नहीं रखा जा सकता. हालांकि, उसे इस मामले में कभी गिरफ्तार नहीं किया गया.
STF के सदस्यों ने बताया कि भारत लौटने के बाद, उसने 2012 में ‘फर्जी एंबेसी’ का काम शुरू किया, जब उसने खुद को ‘सेबोर्जिया’ का सलाहकार ‘नियुक्त’ किया। इसके बाद, 2016 में उसने खुद को ‘वेस्टआर्कटिका के मानद राजदूत’ के रूप में ‘नियुक्त’ किया.
STF अधिकारी ने उसे उद्धृत करते हुए कहा, “सेबोर्जिया और वेस्टआर्कटिका के लोगों से मिलने के बाद, मैंने भारत में उनकी निजी एंबेसी स्थापित की और अपनी चार गाड़ियों पर राजनयिक नंबर प्लेट भी लगवा लीं, जिससे लोगों को प्रभावित करना आसान हो गया. विदेशों में लोगों को काम दिलवाने के लिए मुझे अच्छी रकम भी मिलती है.”

STF अधिकारी ने दर्ज शिकायत में लिखा, “पूछताछ के दौरान, हर्षवर्धन जैन ने बताया कि वह कई सालों से देश और विदेश में लोगों को काम दिलवाने के नाम पर दलाली करता आ रहा है.” यही शिकायत मंगलवार को कवि नगर थाने में दर्ज एफआईआर का आधार बनी.
‘यूके, यूएई, अफ्रीका में शेल कंपनियां’
एसटीएफ ने कथित तौर पर पाया है कि हर्षवर्धन ने यूके में ‘स्टेट ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन’, ‘ईस्ट इंडिया कंपनी यूके’, ‘यूएई आइलैंड जनरल ट्रेडिंग कंपनी एलएलसी’, मॉरिशस में ‘इंदिरा ओवरसीज लिमिटेड’ और कैमरून में ‘कैमरून इस्पात एसएआरएल’ जैसे नामों से कई शेल कंपनियां खोलीं. यह सब हैदराबाद में जन्मे लंदन के व्यापारी अहसान अली सैयद के साथ मिलकर किया गया.
अली सैयद को स्विट्ज़रलैंड की अदालत ने 25 मिलियन पाउंड की धोखाधड़ी के आरोप में दोषी ठहराया है. एसटीएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, सैयद फिलहाल तुर्की नागरिक हैं. उन्हें स्विस अधिकारियों के अनुरोध पर लंदन पुलिस ने गिरफ्तार किया था और जुलाई 2023 में उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी गई थी.
एसटीएफ ने मंगलवार की रेड के दौरान जब्त किए गए पैन कार्ड के आधार पर हर्षवर्धन के नाम से 10 विदेशी बैंक खाते भी पाए हैं — छह दुबई में, तीन यूके में और एक मॉरिशस में.
“वह 2006 से 2012 के बीच अली सैयद और स्वामी के साथ बड़े स्तर पर काम कर रहा था. वह एक तरह से बिचौलिया था और विदेशों में बनी शेल कंपनियों के बैंक खातों पर कमीशन लेता था. बाद में उसने माइग्रेट कर लिया और एंबेसी का बिज़नेस आक्रामक रूप से शुरू कर दिया,” एक यूपी पुलिस अधिकारी ने कहा.
सोशल मीडिया का खेल
पहले बताए गए एसटीएफ अधिकारी ने आगे आरोप लगाया कि हर्षवर्धन ने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य हाई-प्रोफाइल लोगों के साथ मॉर्फ की हुई तस्वीरें लगाईं, ताकि वह खुद को डिप्लोमैट साबित कर सके.
यूपी एसटीएफ प्रवक्ता ने कहा, “इन सबका इस्तेमाल कंपनियों और निजी लोगों को काम दिलाने के नाम पर दलाली और धोखाधड़ी में किया गया. उसने गाज़ियाबाद स्थित अपने घर पर अलग-अलग देशों के झंडे अवैध रूप से लगाए, डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी गाड़ियों का इस्तेमाल किया और यहीं से एंबेसी चलाते हुए धोखाधड़ी, दलाली और हवाला जैसे काम करता रहा.”
“कितने लोगों को विदेश भेजा गया, अगर भेजा गया हो, और कितने लोगों को इस तरह की बातों से ठगा गया, यह जांच का विषय है और वक्त के साथ सामने आएगा. उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की जाएगी,” एक यूपी पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया.
यूपी पुलिस सूत्रों ने आगे कहा कि जरूरत पड़ने पर उसकी पत्नी को भी जांच के दौरान समन किया जा सकता है.
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