नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि निकटतम पड़ोसी के रूप में भारत अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर ‘बहुत चिंतित’ है और 15 अगस्त को काबुल में जो हुआ वह वास्तव में ‘भरोसे का टूटना’ था. तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान में सत्ता पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था.
‘फिक्की’ में एक संवाद सत्र में विदेश मंत्री ने कहा कि विश्व समुदाय अफगान लोगों को मानवीय सहायता देने पर एक बुनियादी सहमति पर पहुंच गया है तथा एक अधिक समावेशी सरकार के लिए भी दबाव बना रहा है.
विदेश मंत्री ने पिछले 25 वर्षों में भारत द्वारा हस्ताक्षरित मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर भी बात की और कहा कि उनमें से कुछ ने भारतीय व्यवसायों को पर्याप्त लाभ नहीं दिया.
पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध के संबंध में जयशंकर ने कहा कि गतिरोध चीन द्वारा ‘समझौतों’ का पालन नहीं करने और ‘समझौते का उल्लंघन करने वाले’ के तौर पर कार्य करने का परिणाम था.
अफगानिस्तान के बारे में बात करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के दूसरे कार्यकाल के बाद से यह स्पष्ट हो गया कि अमेरिका युद्धग्रस्त देश से पीछे हट जाएगा.
यह भी पढ़ें: मोदी-शी शिखर सम्मेलन भारत-चीन के बीच ‘रणनीतिक अविश्वास’ को नहीं रोक सका- पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव