नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने अनुसूचित जनजातियों और अन्य वंचित वर्गों के लिए राजग की इस शीर्ष पद की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू से ‘बहुत ज्यादा’ काम किया है।
सिन्हा ने झारखंड की राज्यपाल समेत अनेक पदों पर रहते हुए मुर्मू के कल्याणकारी कार्यों के रिकॉर्ड पर सवाल भी उठाया।
वर्ष 2018 से पहले लंबे समय तक भाजपा में रहने के बावजूद सिन्हा के साथ विपक्ष के समर्थन को लेकर कुछ हलकों में उठ रहे सवालों के बारे में पूछे जाने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली पार्टी का सदस्य रहने के दौरान अपने रिकॉर्ड पर गर्व है।
उन्होंने कहा कि आज की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) वाजपेयी की भाजपा से भिन्न है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में लोकतांत्रिक मूल्य खतरे में हैं।
सिन्हा (84) ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि इस बार राष्ट्रपति चुनाव पहचान की नहीं बल्कि विचारधारा की लड़ाई है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह पहचान का प्रश्न नहीं है कि कौन मुर्मू हैं या कौन सिन्हा हैं। यह प्रश्न है कि वह हमारे राजतंत्र में किस विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती हैं और मैं किस विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता हूं।’’
सिन्हा ने कहा कि वह भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण के लिए खड़े हुए हैं।
सत्तारूढ़ गठबंधन के अनेक नेताओं द्वारा मुर्मू की साधारण पृष्ठभूमि और आदिवासी पहचान का जगह-जगह उल्लेख किये जाने और उनकी प्रशंसा किये जाने के संदर्भ में सिन्हा ने कहा, ‘‘वह आदिवासी समुदाय से आती हैं। लेकिन उन्होंने क्या किया है? वह झारखंड की राज्यपाल रहीं। उन्होंने आदिवासियों की हालत सुधारने के लिए क्या कदम उठाये? किसी समुदाय में जन्म लेने भर से आप समुदाय के पैरोकार नहीं बन जाते।’’
भाषा वैभव अविनाश
अविनाश
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