नयी दिल्ली, 14 जून (भाषा) केरल तट के पास सिंगापुर के ध्वज वाले मालवाहक जहाज में आग लगने की घटना के पांच दिन बाद, भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) के आठ जहाजों के साथ शनिवार को भी लगातार आग बुझाने का काम जारी रहा। एक कंटेनर में विस्फोट के बाद जहाज में आग लग गई थी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने कहा कि इसके अतिरिक्त, आईसीजी का एक गश्ती पोत ऑपरेशन को जारी रखने के लिए एक बचाव नौका में बीच समुद्र में ईंधन भर रहा है।
आईसीजी ने शुक्रवार को कहा कि उसने मालवाहक जहाज एमवी वान हाई 503 पर लगी आग को बुझाने के लिए ऑपरेशन में एक ‘‘बड़ी उपलब्धि’’ हासिल की है, जो नौ जून को एक कंटेनर में विस्फोट के बाद लगी थी, जब जहाज को तट से दूर रखने के लिए ले जाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी।
शनिवार को भी लगातार आग बुझाने का अभियान जारी रहा।
तटरक्षक के प्रवक्ता कमांडेंट अमित उनियाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘आईसीजी के आठ जहाज- सचेत, समर्थ, सक्षम, समुद्र प्रहरी, विक्रम, राजदूत, कस्तूरबा गांधी और अर्नवेश आग बुझाने के अभियान में हिस्सा ले रहे हैं।’’
यह घटना भारतीय समयानुसार सुबह लगभग 9.20 बजे, केरल के कन्नूर जिले में अझिक्कल से लगभग 44 समुद्री मील दूर और कोच्चि से 130 समुद्री मील उत्तर-पश्चिम में घटित हुई।
भारतीय नौसेना ने शनिवार को कुछ विवरण साझा किए, जिसे उसने एक दिन पहले जहाज पर बचाव दल के ‘‘साहसिक कार्य’’ के रूप में वर्णित किया।
नौसेना के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘त्वरित प्रतिक्रिया में बचाव दल के सदस्यों को कोच्चि स्थित आईएनएस गरुड़ पर एक हेलीकॉप्टर पर चढ़ाया गया। नौसेना के हेलीकॉप्टर ने चुनौतीपूर्ण मौसम और समुद्री परिस्थितियों तथा जहाज पर लगी आग के बीच सफलतापूर्वक दल को जहाज पर चढ़ाया।’’
अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में भारतीय नौसेना के ‘आईएनएस शारदा और ओएसवी एमवी ट्राइटन लिबर्टी’ भारतीय तटरक्षक बल और अन्य समुद्री एजेंसियों के साथ समन्वय में बचाव अभियान में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना द्वारा बचाव दल को तेजी से जहाज में प्रवेश कराने और निकालने से बचाव प्रयासों को काफी बल मिला है।
सिंगापुर के झंडे वाले जहाज के 22 चालक दल के सदस्यों में से 18 को सोमवार को नौसेना, तटरक्षक और अन्य एजेंसियों द्वारा बचा लिया गया।
रक्षा सूत्रों ने बुधवार को बताया था कि सिंगापुर ध्वज वाले कंटेनर जहाज में लगी आग पर कुछ हद तक काबू पा लिया गया है, हालांकि यह अभी भी पूरी तरह से काबू में नहीं आ पाई है।
भाषा आशीष रंजन
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