नयी दिल्ली, 28 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी द्वारा अपलोड की गई एक क्लिप की पृष्ठभूमि में सुनाई गई कविता के शब्द वैमनस्य या घृणा को बढ़ावा नहीं देते बल्कि लोगों को हिंसा का सहारा लेने से बचने और प्रेम के साथ अन्याय का सामना करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष एक हलफनामे में कांग्रेस नेता ने कहा कि चैटजीपीटी पर खोजों सहित सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के आधार पर, विवादित कविता या तो फैज अहमद फैज या हबीब जालिब की थी।
वीडियो में कांग्रेस सांसद द्वारा सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपलोड की गई एक कविता का पाठ किया गया था और आरोप है कि इसमें धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के अलावा समुदायों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने वाले शब्द थे।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि कविता का धर्म, जाति, समुदाय या किसी विशेष समूह से कोई लेना-देना नहीं है।
पीठ ने कहा, ‘‘कविता के शब्द वैमनस्य, घृणा या दुर्भावना की भावना उत्पन्न नहीं करते या बढ़ावा नहीं देते। यह केवल शासक द्वारा किए गए अन्याय को चुनौती देने का प्रयास करता है। यह कहना असंभव है कि अपीलकर्ता द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द सार्वजनिक शांति को भंग करते हैं या भंग करने की संभावना रखते हैं।’
अदालत ने आगे कहा, ‘किसी भी तरह से यह विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा नहीं देता है। हम यह समझने में विफल हैं कि इसमें दिए गए बयान राष्ट्रीय एकता के लिए कैसे हानिकारक हैं और ये बयान राष्ट्रीय एकता को कैसे प्रभावित करेंगे। स्पष्टतः यह कविता किसी की धार्मिक भावनाओं को प्रभावित करने का दावा नहीं करती है।’
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 196 का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि प्रावधान का न तो खंड (ए) और न ही खंड (बी) लागू होता है।
कांग्रेस नेता ने गुजरात उच्च न्यायालय के 17 जनवरी के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है।
प्रतापगढ़ी पर तीन जनवरी को जामनगर में आयोजित एक सामूहिक विवाह समारोह के दौरान कथित भड़काऊ गीत गाने के लिए मामला दर्ज किया गया था।
अन्य धाराओं के अलावा कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रतापगढ़ी पर भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
भाषा
शुभम संतोष
संतोष
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