नयी दिल्ली, 22 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह 126 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध से जुड़े मामले में दायर नई याचिका पर नोटिस जारी नहीं करेगा, क्योंकि सभी व्यापक मुद्दे पहले से ही मुख्य मामले में समाहित हैं और वह उन पर विचार करेगा।
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी क्योंकि तमिलनाडु के वकील ने शीर्ष अदालत से बुधवार को इस पर विचार करने का अनुरोध किया और कहा कि उन्हें कुछ दस्तावेजों के संबंध में निर्देश लेने होंगे जो दूसरे पक्ष द्वारा दायर किए गए थे।
उच्चतम न्यायालय 1895 में केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर बने बांध से जुड़े मुद्दे उठाने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
पीठ को बताया गया कि मामले में एक नई याचिका दायर की गई है और यह मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
इस पर पीठ ने कहा कि नई याचिका मुख्य मामले के साथ सूचीबद्ध की जाएगी।
पीठ में न्यायमूर्ति ए. एस. ओका और न्यायमूर्ति सी.टी. रवि कुमार भी शामिल हैं।
उसने कहा, “हम इस मामले से जुड़े किसी भी पहलु को लेकर अभी कोई नोटिस नहीं जारी कर रहे हैं। सभी प्रमुख मुद्दे मुख्य मामले में समाहित हैं। हम इन पर मुख्य मामले के साथ ही विचार करेंगे।”
तमिलनाडु सरकार ने पिछले महीने उच्चतम न्यायालय से कहा था कि उसके द्वारा पहले दिए गए आदेश के तहत बांध की सुरक्षा को मजबूत करने के उपाय लागू किए जाने से पहले बांध की सुरक्षा की नए सिरे से समीक्षा करना ‘उचित नहीं’ है।
राज्य सरकार ने केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) और पर्यवेक्षी समिति द्वारा जनवरी में दायर एक स्थिति रिपोर्ट के जवाब में यह दलील दी थी, जिसमें कहा गया था कि बांध की सुरक्षा की नए सिरे से समीक्षा करने की जरूरत है।
तमिलनाडु सरकार ने केरल को एक समयबद्ध तरीके से सहयोग करने और सभी जरूरी सहायता प्रदान करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
भाषा
पारुल देवेंद्र
देवेंद्र
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.