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Monday, 6 May, 2024
होमदेशउत्तर प्रदेश के श्रम बल में महिलाओं की हिस्सेदारी 17.9 प्रतिशत बढ़कर 32.10% तक हुई 

उत्तर प्रदेश के श्रम बल में महिलाओं की हिस्सेदारी 17.9 प्रतिशत बढ़कर 32.10% तक हुई 

पीरियॉडिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के ताजा निष्कर्षों के अनुसार, राज्य की महिला श्रम बल में भागीदारी दर 2017-18 में मात्र 14.2 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में प्रभावशाली 32.10 प्रतिशत हो गई.

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लखनऊ : एक हालिया अध्ययन के अनुसार, उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप, पिछले छह वर्षों में राज्य की श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी में 17.9 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है.

पीरियॉडिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के ताजा निष्कर्षों के अनुसार, राज्य की महिला श्रम बल में भागीदारी दर 2017-18 में मात्र 14.2 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में प्रभावशाली 32.10 प्रतिशत हो गई.

इसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य में महिलाओं के उत्थान के लिए समर्पित प्रयास किए गए, जिसके परिणामस्वरूप यह वृद्धि हुई है.

इन पहलों पर आदित्यनाथ की निजी तौर पर निगरानी ने एक ऐसा माहौल तैयार किया है जहां महिलाएं सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर रही हैं, जो उन्हें अभूतपूर्व गति से आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित करती है.

रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में महिला श्रम बल भागीदारी दर 39.80 प्रतिशत दर्ज की, जबकि उत्तर प्रदेश ने 32.10 प्रतिशत की दर दर्ज की. इसके विपरीत, वित्तीय वर्ष 2017-18 में, भारत की महिला श्रम बल भागीदारी दर 25.3 प्रतिशत थी, जबकि यूपी 14.2 प्रतिशत के साथ काफी पीछे था.

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राष्ट्रीय स्तर पर महिला सशक्तीकरण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोकस और उत्तर प्रदेश में महिलाओं की आत्मनिर्भरता पर सीएम योगी आदित्यनाथ के जोर ने देशभर में कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

योगी सरकार के सक्रिय नजरिए से, उत्तर प्रदेश में महिलाएं केंद्र और राज्य दोनों योजनाओं से पूरी तरह लाभान्वित होने के साथ-साथ अपने पेशेवर जीवन में आगे बढ़ने के विभिन्न अवसरों का लाभ उठा रही हैं. उल्लेखनीय पहलों में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान शामिल है, जिससे उत्तर प्रदेश की 1.90 करोड़ बेटियों में जागरूकता बढ़ी है और मिशन शक्ति अभियान, जिससे 8.99 करोड़ महिलाओं को लाभ हुआ है.

इसके अतिरिक्त, 1,89,789 आंगनवाड़ी केंद्रों को मंजूरी दी गई है जबकि 1,89,014 केंद्र वर्तमान में कार्यरत हैं. 10 लाख स्वयं सहायता समूहों के नेटवर्क ने एक करोड़ महिलाओं को जोड़ा है, जबकि 2 लाख से अधिक महिलाओं को पीएम स्वनिधि योजना से लाभ हुआ है.

इसके अलावा, 57,000 से अधिक ग्राम पंचायतों में बीसी सखी की नियुक्ति की गई है, और 1.5 लाख से अधिक महिलाओं ने उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरियां हासिल की हैं. इन पहलों ने महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक संसाधन और सहायता प्रदान की है, जिससे यह सुनिश्चित हुआ है कि उन्हें कई सरकारी कार्यक्रमों से अधिकतम लाभ मिले.


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