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Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशसीजेआई को क्लीन चिट मिलने पर महिला बोली- वह बिखर गई है, निराश है

सीजेआई को क्लीन चिट मिलने पर महिला बोली- वह बिखर गई है, निराश है

महिला ने रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था लेकिन सोमवार को सीजेआई को 3-जजों के एससी पैनल ने सभी आरोपों से बरी कर दिया.

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नई दिल्लीः भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की एक कर्मी ने सोमवार को कहा कि एक इन-हाउस पैनल द्वारा सीजेआई को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है, जिससे वह ‘बिखर’ गई हैं निराश हैं.

उसने कहा, ‘वह यह जानकर बेहद निराश कि इनहाउस कमेटी ने उसकी शिकायत में कोई सच्चाई नहीं पाई है, बल्कि उसे लगता है कि भारत की एक महिला नागरिक के साथ घोर अन्याय हुआ है’

35 वर्षीय महिला ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा, ‘मुझे अब बहुत डर लग रहा है और घबराहट हो रही है क्योंकि इन-हाउस कमेटी ने सभी चीजें उन्हें मुहैया कराए जाने के बावजूद उनकी सुरक्षा को लेकर कोई न्याय नहीं दिया है. महिला ने आगे यह भी कहा कि मैंने और मेरे परिवार ने इसको लेकर जो दुर्भावना और अपमान झेला है उस पर भी कमेटी ने कुछ भी नहीं कहा है.


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एससी पैनल जस्टिस एसए बोबडे, इंदिरा बनर्जी और इंदु मल्होत्रा द्वारा सीजेआई को पर यौन उत्पीड़न के आरोपों को मुक्त किए जाने के घंटों बाद उसका बयान आया. रविवार को प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में पैनल ने आरोपों में ‘कोई सच्चाई नहीं’ पाई.

महिला ने इसको लेकर अपने बयान में कहा गया है, ‘आज मेरी सबसे बुरी आशंका सच हो गई है और देश की सर्वोच्च अदालत से न्याय और निवारण की सभी उम्मीदें चकनाचूर हो गई हैं.’

शिकायतकर्ता ने कहा है कि वो अपने वक़ील से सलाह कर आगे की करवाई के बारे में सोचेंगी. अभी तो उनको न्याय के विचार पर भी विश्वास नहीं रहा. उसको इस बात का भी डर है कि उसके परिवार पर हमले बढ़ेंगे और बदले की कार्यवाही होगी.

वरिष्ठ वक़ील प्रशांत भूषण ने कहा है हम उसको नौकरी से निकाले जाने के आरोप के आदेश को चुनौती देंगे. अपना ऐफ़िडेविट फ़ाइल करने के पहले उक्त महिला ने भूषण से सलाह मशविरा किया था.


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‘ज़रूरत से ज्यादा दबाव’

शिकायतकर्ता का कहना था कि तनाव के कारण वो एक कान से ठीक से सुन भी नहीं पा रहीं.

इसका नतीजा ये हुआ कि मैं कई बार सुन नहीं पाई की जस्टिस बोबडे अदालत के अधिकारी को मेरे वक्तव्य का रिकार्ड क्या बता रहे हैं. समिति ने मेरे वक्तव्य की वीडियो रिकार्डिंग से भी इंकार किया था. मुझे साफ तौर पर कहा गया कि ‘कोई वकील या सहायता के लिए कर्मी मेरी सुनवाई में शामिल नहीं हो सकता. मुझे मौखिक रूप से निर्देश दिया गया है कि मैं कमिटि की सुनवाई का कोई ब्यौरा मीडिया को न दूं और इसकी जानकारी अपनी वकील व्रिंदा ग्रोवर को भी न बताऊं.’

उस महिला का ये भी दावा है कि समिति कि सुनवाई के बाद ‘दो लोग मोटरसाइकलों से उसका पीछा कर रहे थे जिनकी गाड़ी का आधा नंबर ही वो नोट कर पाईं.’

वे बार बार कह रहीं थी कि इस प्रक्रिया को औपचारिक सुनवाई के रूप में देखा जाए, एक विभागीय जांच की तरह नहीं. पर उनकी गुज़ारिश को अभी तक माना नहीं गया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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