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Thursday, 26 December, 2024
होमदेशसिलाई, बुनाई और ब्यूटी पार्लर नहीं, वेल्डर और मैकेनिक बनना पसंद कर रही हैं महिलाएं

सिलाई, बुनाई और ब्यूटी पार्लर नहीं, वेल्डर और मैकेनिक बनना पसंद कर रही हैं महिलाएं

देश के युवाओं को स्किल ट्रेनिंग देने वाले कौशल विकास मंत्रालय के आंकड़ें बताते हैं कि भारत की महिलाएं नए काम सीखने और उन्हें करने के लिए महत्वाकांक्षी होती जा रही हैं.

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नई दिल्ली: ब्यूटी और वेलनेस के पाठ्यक्रमों में वर्चस्व रखने वाली महिलाएं अब हार्डवेयर के कामों जैसे इलेक्ट्रिशियन और वेल्डिंग जैसे कामों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं. देश के युवाओं को स्किल ट्रेनिंग देने वाले कौशल विकास मंत्रालय द्वारा दिप्रिंट को मिले आंकड़ें बताते हैं कि भारत की महिलाएं नए काम सीखने और उन्हें करने के लिए महत्वाकांक्षी होती जा रही हैं.

दिप्रिंट के साथ साझा की गई जानकारी के मुताबिक कौशल विकास मंत्रालय की अधिकतर योजानाओं की लाभार्थी महिलाएं हैं. मंत्रालय के आंकड़ें बताते हैं कि मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (2016-2020) की कुल 73 लाख लाभान्वित उम्मीदवारों में से 40 फीसदी महिलाओं की हिस्सेदारी है. इसके अलावा जन शिक्षण संस्थान में सालाना 4 लाख महिलाएं प्रशिक्षित होती हैं जो कुल लाभार्थियों का 90 फीसदी है.

ट्रेनिंग लेने वाली महिलाओं की संख्या में हुई अप्रत्याशित वृद्धि  

डायरेक्टरेट जनरल के तहत आने वाले आईटीआई में सरकार ने महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण सुरक्षित रखा हुआ है. मंत्रालय द्वारा दिप्रिंट को मिले आंकड़ों के मुताबिक 2014 की तुलना में 2018-19 में कौशल प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने वालों की संख्या में करीब 97% वृद्धि हुई है. आईटीआई में ट्रेनिंग लेने वाली लड़कियों की संख्या 87,799 से बढ़कर 173,105 हो गई है.

इसके अलावा देशभर में चलाए जा रहे 33 राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों में 13 संस्थान महिलाओं को विशेष रूप से स्किल ट्रेनिंग दे रहे हैं. चेन्नई की 21 वर्षीय तस्लीम मोइदीन स्किल हेल्थ केयर के अंतर्गत वर्ल्डस्किल्स ट्रेनर हैं. दिप्रिंट से अपना अनुभव साझा करते हुए वो कहती हैं, ‘मैं वर्ल्ड स्किल्स की कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती हूं. मैं वहां देखती हूं कि वेल्डिंग या अन्य हार्डवेयर कामों में महिला प्रतियोगी अपने पुरुष प्रतियोगी के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करती हैं.’ तस्लीम इसे महिलाओं के सशक्तिकरण से जोड़कर देखती हैं.

न्यू एज स्किल्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी

मंत्रालय ने बताया कि उद्योग 4.0 से जुड़ी नई नौकरियों में महिलाओं की भागेदारी बढ़ी है. उदाहरण के तौर पर आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस, 3 डी प्रिंटिंग, डेटा एनालिसिस, वेल्डिंग, ऑटोमोबाइल और मैकेनिक के क्षेत्रों में महिलाएं सक्रिय हुई हैं.


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सरकारी आंकड़ें बताते हैं कि ट्रेडिशनल जॉब्स के साथ-साथ महिलाओं की रूचि नॉन ट्रेडिशनल जॉब्स में भी बढ़ी है. अब वो ब्यूटी एंड वेलनेस के अलावा हार्डवेयर के कामों में दिलचस्पी दिखा रही हैं.

पुणे की 22 वर्षीय दिव्या गोडसे ट्रेनी इंजीनियर हैं. दिप्रिंट से बात करते हुए वो कहती हैं, ‘अब महिलाएं भी इस तरह के फील्ड में आकर वैल्यू एडिशन का काम कर रही हैं. वो पुरुषों वाले काम भी उतनी मेहनत से कर रही हैं जितनी मेहनत से वो ब्यूटिशियन जैसी सॉफ्ट स्किलिंग में करती हैं. मेरा खुद का काम भी इलेक्ट्रोनिक पार्ट्स के डेवलपमेंट से जुड़ा हुआ है. मुझे लगता है कि आने वाले समय में न्यू एज स्किल्स में महिलाओं का योगदान रहने वाला है.’

ग्रामीण महिलाओं को राजमिस्त्री बनने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है

आमतौर पर राजमिस्त्री जैसे प्रोफेशन में पुरुषों का वर्चस्व रहता है. इसे महिलाओं के लिए एक उपयुक्त जॉब के तौर पर कम ही देखा जाता है. लेकिन कौशल विकास मंत्रालय ने टॉयलेट बनाने और गोबर गैस (जैव इंधन) जैसे पारंपरिक कामों में राजमिस्त्री की भूमिका के महिलाओं को भी प्रशिक्षण देने की शुरुआत की है. मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली संस्था निस्बड ने देशभर में कौशल ग्रुप्स भी तैयार किए हैं. इन ग्रुप्स के जरिए कम से कम 10,000 महिलाओं को आजीविका व्यापार ऊष्मायन (एलबी) का प्रशिक्षण देने का लक्ष्य लखा गया है.

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