नयी दिल्ली, आठ मार्च (भाषा) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा ने मंगलवार को कहा कि महिलाओं के साथ घर और कार्यालय में समान व्यवहार किए जाने की जरूरत है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अपने संदेश में मिश्रा ने कहा कि कानून अकेले एक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत समाज सुनिश्चित नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह जरूरी है कि समाज के सभी वर्ग विशेष रूप से महिलाएं, जो दुनिया भर में मानव संसाधन का लगभग आधा हिस्सा हैं, राष्ट्रों के सतत विकास को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं, उन्हें समान अवसर मिले और बुनियादी मानवाधिकारों तक उनकी पहुंच हो।’’
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने ‘‘लैंगिक समानता के आज के लिए एक सतत कल’’ की दिशा में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के आयोजन में राष्ट्रीय और वैश्विक बिरादरी के साथ हाथ मिलाया है। अपने लिखित संदेश में एनएचआरसी अध्यक्ष ने कहा, ‘‘एनएचआरसी ने महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कानूनों में कोई कमी होने पर उन्हें पूरा करने के लिए रचनात्मक सुझाव देना जारी रखा है, जिसमें समानता और सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार भी शामिल है। हालांकि, हमें घर से लेकर दफ्तर तक महिलाओं के साथ समान भागीदार के रूप में व्यवहार करना होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज को सुनिश्चित करने के लिए केवल कानून ही अकेले नतीजे नहीं दे सकते। महिलाएं हर लिहाज से बराबर हैं यहां तक कि उत्तराधिकार के मामले में वे बेटों के बराबर हैं। यह आवश्यक है कि वे बड़े सपने देखें और उसे हासिल करने का प्रयास करें।’’ एनएचआरसी अध्यक्ष ने कहा कि भारत में महिलाएं ऊंचे पद को हासिल करती हैं, वे घर और राष्ट्र की निर्माता हैं।
भाषा सुरभि माधव
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