नई दिल्ली : नीति आयोग एक राष्ट्रव्यापी सूचकांक के साथ आने के लिए पूरी तरह तैयार है. यह सूचकांक निष्पक्ष रूप से आकलन करेगा और यह राज्यों को लैंगिक समानता के संदर्भ में रैंकिंग देगा, साथ ही यह भी बताएगा कि लैंगिक समानता के मामले में राज्य कितने निष्पक्ष हैं. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
लिंग सूचकांक, ‘वुमेन इन सोशियो-इकोनॉमिक’ (डब्ल्यूआईएसई) सूचकांक हाल ही में सरकार द्वारा जारी गुड गवर्नेंस इंडेक्स की तर्ज पर होगा.
इसके कुछ मानदंडों में महिलाओं की स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच, घरेलू बुनियादी ढांचे जैसे शौचालय और रसोई गैस सिलेंडर, इसके अलावा शिक्षा और पेशा, परिवार के भीतर निर्णय लेने की क्षमता और आर्थिक सशक्तीकरण आदि शामिल हैं.
थिंक-टैंक के सूत्रों ने कहा कि महिला और बाल विकास, स्वास्थ्य और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को आधिकारिक तौर पर पिछले हफ्ते हफ्ते बताया गया था और उन्हें तीन महीने में अपने इनपुट भेजने को कहा गया है.
यह भारत में तैयार होने वाला विशेष रूप से पहला लिंग आधारित सूचकांक है. जबकि नीति आयोग का आर्थिक सर्वेक्षण और सतत विकास लक्ष्य सूचकांक लिंग पर बड़े पैमाने पर आधारित है. खासतौर पर देश में महिला सशक्तीकरण का आकलन करने के लिए कोई भी सूचकांक नहीं रहा है.
शुरुआत में सूचकांक को मौजूदा डेटा पर भरोसा करना पड़ेगा
यह सूचकांक पहले से मौजूद सरकारी आंकड़ों जैसे कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) पर निर्भर करेगा.
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एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘अभी के लिए कोई नया डेटा संकलित नहीं किया जा रहा है और मंत्रालय को तय मानदंडों पर मौजूदा डेटा भेजने की आवश्यकता है. सभी राज्यों को उस डेटा के आधार पर रैंक किया जाएगा.’
इस विचार की नीति आयोग ने इस वर्ष की शुरुआत में सिफारिश की थी, जिसमें यह प्रस्तावित था कि लिंग-आधारित डेटा बनाया जायेगा और राज्यों को प्रमुख संकेतकों के आधार पर स्थान दिया जायेगा.
इस दस्तावेज़ में, यह प्रस्तावित किया गया था कि इस उद्देश्य के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय के भीतर एक इकाई स्थापित की जाए.
इसमें यह भी कहा गया कि इकाई को डेटा एकत्र करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, स्पष्ट रूप से परिभाषित लिंग लक्ष्य पर अन्य मंत्रालयों के साथ नियमित रूप से समीक्षा करना चाहिए (जैसे कि पोषण अभियान के तहत, 15-49 वर्ष की आयु में किशोर लड़कियों और महिलाओं के बीच एनीमिया की दर को कम से कम 2022-23 तक एक तिहाई कम करना), महिलाओं के कल्याण के लिए बजटीय संसाधनों को सुनिश्चित करना और लिंग आधारित बजट की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना है.
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