नई दिल्ली: मणिपुर में सुरक्षा बलों के अभियानों में महिलाओं के नेतृत्व वाली भीड़ मुश्किल पैदा कर रही है. इससे पहले राज्य में सुरक्षाबलों को अपने काम करने के दौरान इस तरह की कई घटनाएं सामने आने के बाद भारतीय सेना ने कहा कि सुरक्षा कर्मियों की आवाजाही को “अवरुद्ध” करना न केवल अवैध है, बल्कि कानून और व्यवस्था बहाल करने के उनके प्रयासों के लिए खतरनाक भी है.
सोमवार को एक ट्वीट में भारतीय सेना की स्पीयर कोर ने एक वीडियो पोस्ट कर इसकी जानकारी दी. इस वीडियो में महिला एक्टिविस्ट द्वारा सुरक्षा बलों के अभियानों में “जानबूझकर” हस्तक्षेप करने, उनके मार्ग को “अवरुद्ध” करने से लेकर “सशस्त्र दंगाइयों का साथ देने” की कई घटनाएं दिखाई गईं.
Women activists in #Manipur are deliberately blocking routes and interfering in Operations of Security Forces. Such unwarranted interference is detrimental to the timely response by Security Forces during critical situations to save lives and property.
🔴 Indian Army appeals to… pic.twitter.com/Md9nw6h7Fx— SpearCorps.IndianArmy (@Spearcorps) June 26, 2023
भारतीय सेना ने अपनी अपील में लिखा, “मणिपुर में महिला एक्टिविस्ट जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रही हैं और सुरक्षा बलों के संचालन में हस्तक्षेप कर रही हैं. इस तरह का अनुचित हस्तक्षेप जीवन और संपत्ति को बचाने के लिए सुरक्षाबलों की कार्यवाई में मुश्किल पैदा करती है. भारतीय सेना सभी वर्गों से समर्थन करने की अपील करती है ताकि राज्य में जल्द से जल्द शांति बहाल हो सके.”
हाल में ऐसा ही एक उदाहरण पिछले हफ्ते देखा गया जब सुरक्षा बलों को प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन के 12 कैडरों को “रिहा” करना पड़ा, जिसमें स्वयंभू लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरांगथेम तम्बा भी शामिल थे, जो 2015 के 6 डोगरा हमले का मास्टरमाइंड है, जिसमें सेना के 18 लोगों की जान चली गई थी.
24 जून के ऑपरेशन में, कांगलेई यावोल कन्ना लूप (केवाईकेएल) के 12 कैडरों को हथियारों, गोला-बारूद और अन्य युद्ध सामग्री के साथ पकड़ा गया था.
सेना ने कहा कि महिलाओं और स्थानीय नेताओं के नेतृत्व में लगभग 1200 से 1500 लोगों की भीड़ ने तुरंत सेना के काफिले को घेर लिया और सुरक्षा बलों को आगे जाने से रोक दिया, जिसके बाद वहां मौजूद अधिकारियों ने सभी 12 कैडरों को स्थानीय नेताओं को सौंपने का निर्णय लिया.
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