नई दिल्ली: भारत सरकार ने कोविड- 19 पर ताज़ा जानकारी देते हुए दावा किया कि लॉकडाउन की वजह से काफ़ी लोगों की जानें बचाई गईं. अगर लॉकडाउन नहीं होता तो लाख़ों लोग संक्रमित होते, जिससे हज़ारों जानें जातीं. फिलहाल ये महामारी कुछ ख़ास इलाक़ों में सिमट कर रह गई है.
लॉकडाउन के फ़ायदे से जुड़े दावे करते हुए नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा, ’26 मार्च से 15 मई के बीच कोरोना संक्रमण के मामलों की ग्रोथ से काफ़ी कुछ पता चलता है.’ वह आगे कहते हैं, ‘3 अप्रैल तक 22.06 प्रतिशत तक की रफ्तार से केस बढ़ रहे थे. बाद में देश में ये बढ़ोतरी 5.5 प्रतिशत पर आ गई. मामले 3.5 दिनों में डबल हो रहे थे, अब 13.5 दिन में दुगुने हो रहे हैं.’
संक्रमण के होते 70 लाख मामले जातीं 78,000 जानें
लॉकडाउन के फ़ायदे गिनाते हुए पॉल ने कहा, ‘बगैर लॉकडाउन के क्या हो सकता था इसका अंदाज़ा लगाने के लिए हमने सार्वजनिक तौर पर मौजूूद डेटा एक्सपर्ट्स को दिया.’ इनमें से एक बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के मुताबिक अगर लॉकडाउन नहीं होता तो संक्रमण के कम से कम 36 लाख़ से 70 लाख़ मामले हो सकते थे.
बता दें कि सरकार ने कई डेटा एक्सपर्ट से लॉकडाउन के फायदे और हो सकने वाली हानी को लेकर सर्वे कराया है. जिसमें निजी कंपनियों से लेकर विदेश के कंसल्टिंग समूह भी शामिल रहे हैं.
उन्होंने ये भी बताया कि पब्लिक हेल्थ फॉउंडेशन इंडिया के मुताबिक बिना लॉकडाउन के 78,000 से ऊपर जानें जा सकती थीं. दो स्वतंत्र अर्थशासत्रियों द्वारा लगाए गए अनुमान को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि बिना लॉकडाउन के 23 लाख़ मामले हो सकते थे और 68,000 जानें जा सकती थीं.
साधारण मॉडल्स के हवाले से उन्होंने कहा कि बिना लॉकडाउन 14-29 लाख़ मामले हो सकते थे और 37,000 से 71,000 जानें जा सकती थीं. पॉल ने कहा कि 80 प्रतिशत मामले सिर्फ़ 5 राज्यों और 90 प्रतिशत 10 राज्यों में सिमटे हुए हैं.
पॉल ने यह भी कहा कि संक्रमण के 60 प्रतिशत मामले 5 शहरों और 70 प्रतिशत 10 शहरों में सिमटे हुए हैं. यही नहीं ये जो मौतें हैं उसका 80 फीसदी मौतें 5 शहरों में हुई हैं जबकि 95 फीसदी 10 शहरों में हो रही हैं.’ उन्होंने दावा किया कि लॉकडाउन का सहारा लेकर भारत सरकार ने बहुत कम समय में हेल्थ का पूरा इंफ्रास्ट्रकर तैयार किया है.
वीके पॉल ने यह भी कहा कि दो महीने से कम समय में देश में 1093 कोविड डेडिकेटेड फैसिलिटी, 1,85,306 बेड हैं. वहीं, 2402 फैसिलिटी ऐसी हैं जहां 1,38,652 ऑक्सीजन फैसिलिटी वाले बेड हैं. हल्के लक्ष्ण वाले मरीज़ों के लिए 6.5 लाख़ से अधिक बेड हैं.
27 लाख लोगों का हुआ टेस्ट
उन्होंने ये जानकारी भी दी कि राज्यों को 43 लाख़ एन- 95 मास्क दिए जा चुके हैं और मौजूदा आंकड़ों से पता चल रहा है कि भारत में कोविड के मरीज़ों को वेंटिलेटर की उतनी ज़रूरत नहीं है. उन्होंने कहा, ‘आने वाले दिनों में हम हर रोज़ 5 लाख़ टेस्ट किट बनाने लगेंगे.’
स्वास्थ्य मंत्रालय के उप सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि देश में ठीक होने वालों की संख्या 48,533 हो गई है. कुल मामलों की एक्टिव संख्या 66,330 है और अब तक कुल 3538 लोगों की मौत कोविड से हुई है. रिकवरी रेट 41 प्रतिशत हो गया है और फेटिलिटी रेट 3.02 प्रतिशत है.
इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने बताया कि भारत में अब तक कुल 27,55,714 टेस्ट हुए हैं. पिछले चार दिनों से देश रोज़ 1 लाख़ से ज़्यादा टेस्ट कर रहा है. शुक्रवार को दोपहर 1 बजे तक 1,03,829 टेस्ट किए गए हैं.
फिर तो पाकिस्तान तो पूरा कोविद १९ का शिकार होता। नेपाल और बांग्ला देश की हालत कैसे होते।
हम हमेसा अपने को श्रेष्ट समझने की कोशिश में रहते है।
यदि ३०/०१/२०२० को सरकार जाग जाती तब आकड़े क्या होते।