नई दिल्ली: फेसबुक ने अपनी नीतियों का उल्लंघन करने वाले राजनीतिक पेजों को अपने प्लेटफॉर्म से हटाने की कार्रवाई के तहत सोमवार को करीब 200 भाजपा समर्थक पेजों या समूहों को हटा दिया. दिप्रिंट ने विभिन्न स्रोतों से इस बात की पुष्टि की है.
सोशल नेटवर्क कंपनी ने विभिन्न संगठनों द्वारा संचालित अनेक राजनीतिक पेजों को अपने प्लेटफॉर्म से हटाने की घोषणा करते हुए अन्य संगठनों के साथ-साथ डिजिटल मार्केटिंग कंपनी सिल्वर टच टेक्नोलोजीज़, गुजरात कांग्रेस के सूचना प्रकोष्ठ और पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज़ पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के नाम गिनाए थे. पर व्यक्ति विशेष द्वारा संचालित पेजों या समूहों के नाम नहीं लिए गए थे.
फेसबुक के अनुसार सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म से हटाने की कार्रवाई इन संगठनों के कथित ‘समन्वित अप्रामाणिक व्यवहार’ के कारण की गई. उपरोक्त तीनों में से सिल्वर टच गुजरात स्थित एक कंपनी है जिसके कि भारतीय जनता पार्टी से निकट संबंध हैं. उसके द्वारा संचालित 15 पेजों या समूहों को हटाया गया है, जिनमें सबसे प्रमुख है ‘द इंडियन आई’ जिसे 26 लाख यूजर्स फॉलो करते थे.
यह भी पढ़ें: बहुमत नहीं मिलने के डर से घबराए पीएम मोदी, चले वाजपेयी की राह
सिल्वर टच ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत ऐप ‘नमो’ को संभालता है. कंपनी ने ‘द इंडियन आई’ पेज के संचालन से इनकार किया है, हालांकि फेसबुक का कहना है कि इसे ‘सिल्वर टच से संबद्ध लोग’ चला रह थे. इस पेज को फेक न्यूज़ प्रसारित करने के लिए भी जाना जाता था.
आईएसपीआर और कांग्रेस की गुजरात आईटी सेल की तरह सिल्वर टच का भी नाम इसलिए जाहिर किया गया ताकि संगठनों को फेसबुक प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग को लेकर हतोत्साहित किया जा सके. इनके व्यवहार को कंपनी ने ‘समन्वित अप्रामाणिक व्यवहार’ (सीआईबी) का नाम दिया है. पर 200 अन्य पेजों को एक अन्य मानक के तहत हटाया गया है: व्यक्तियों द्वारा दुरुपयोग या ‘सिविक स्पैम’.
यदि सीआईबी को संगठित अपराध मानें, तो सिविक स्पैम को छोटा अपराध कहा जा सकता है. फेसबुक की जांच में इन पेजों के पीछे संगठनों की भूमिका नहीं पाई गई. कई स्रोतों ने बताया है कि हटाए गए इन 200 पेजों में लगभग सारे दक्षिणपंथी, भाजपा समर्थक पेज थे.
‘सिविक स्पैम’ कोटि के दुरुपयोगों में यूजर्स के अपने असल स्थान की जानकारी को छुपाने, हानिकारक सॉफ्टवेयर के लिंक पोस्ट करने, फर्जी या कई अकाउंट चलाने, दूसरे की पहचान का इस्तेमाल करने या पैसे बनाने के लिए विज्ञापनों पर क्लिक कराने जैसी बातें शामिल हैं. फेसबुक के एक दस्तावेज़ के अनुसार इनमें से कई कार्य आर्थिक फायदे के लिए की जाने वाली स्पैम गतिविधियों के तहत आते हैं, जो यूजर्स को धोखे से विभिन्न वेबसाइटों तक पहुंचाने के लिए की जाती हैं.
दक्षिणपंथी पेज ‘तबाह’ हुए
दिप्रिंट ने तीन अलग-अलग लोगों से बात की है जिनके पेज भी फेसबुक की कार्रवाई का निशाना बने हैं. तीनों ही दक्षिणपंथी, भाजपा समर्थक और हिंदुत्व समर्थक पेज संचालित कर रहे थे. हालांकि उन्होंने दावा किया कि उनका भाजपा या सरकार से कोई औपचारिक संबंध नहीं है. उनमें से दो का अलग-अलग अनुमान है कि उनके भाजपा समर्थक पेजों के यूजर्स की संख्या में 20 करोड़ की कमी हो गई है. इसके विपरीत, गुजरात कांग्रेस की आईटी सेल के 680 पेजों या समूहों की कुल पहुंच मात्र दो लाख यूजर्स तक ही थी.
संख्याओं के बारे दावों की पुष्टि का कोई तरीका नहीं है, पर इतना तो निश्चित है कि हटाए गए दक्षिणपंथी पेजों में से बहुतों के फॉलोअर्स की संख्या दसियों लाख में थी. प्रभावित व्यक्तियों में से एक ने कहा, ‘हम (दक्षिणपंथी फेसबुक पेज) तबाह हो गए हैं.’
यह भी पढ़ें: क्यों मायावती के प्रधानमंत्री बनने की संभावना सबसे कम है
प्रभावित पक्षों में से एक, चंडीगढ़ स्थित उद्यमी राजेश जिंदल ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारा भाजपा की आईटी सेल या किसी पार्टी से कोई संबंध नहीं है, पर निश्चय ही बड़ी मात्रा में हमारी सामग्री (कंटेंट) राष्ट्रवादी या दक्षिणपंथी थी. अमित मालवीय (भाजपा आईटी सेल के प्रमुख) का खुशी मनाना हास्यास्पद है क्योंकि हम कांग्रेस के मुकाबले कहीं ज़्यादा प्रभावित हुए हैं. वो ऐसा व्यवहार कर रहा है मानो उसने कांग्रेस पर कोई सर्जिकल स्ट्राइक कर डाली हो, जबकि जो हुआ उससे उसका कोई संबंध नहीं है.’
इन पेजों का भाजपा और हिंदुत्व के पक्ष में प्रचार के लिए इस्तेमाल हो रहा था, पर विज्ञापन चैनल के रूप में उनसे पैसे भी बनाए जा रहे थे. जिंदल ने बताया कि उनकी कंपनी जिंदल इन्फोमीडिया का राजस्व कम से कम 30 प्रतिशत कम हो जाएगा, क्योंकि फेसबुक ने उसके अनेक पेज हटा, या अप्रकाशित कर दिए हैं. इन पेजों में ‘थैंक यू अक्षय कुमार’, ‘अनमोल विचार’, और ‘इंडियन फोर्स फैन्स’ शामिल हैं. जिंदल का मुख्य फेसबुक पेज ‘हिंदुत्व डॉट इन्फो’ ताजा कार्रवाई से अभी अप्रभावित है.
‘सिविक स्पैम’ को लेकर फेसबुक की दंडात्मक कार्रवाई से प्रभावित एक अन्य व्यक्ति ने अपना नाम सार्वजनिक नहीं किए जान की शर्त पर कहा कि फेसबुक की कार्रवाई से उसे करोड़ों रुपये की चपत लगी है.
दिप्रिंट से उसने कहा, ‘एक लाख लाइक हासिल करने में 20 से 50 लाख रुपये का विज्ञापन खर्च आता है. मुझे उतना बड़ा (हटाया गया) यूजर बेस तैयार करने में दो करोड़ रुपये खर्च करने पडेंगे.’
हटाए गए उसके पेजों में ‘अटल मोदी’, ‘ग्रेट नरेंद्र मोदी’ और ‘एक नाम नरेंद्र मोदी’ शामिल हैं. उनके अनुसार अकेले ‘एक नाम नरेंद्र मोदी’ के 15 लाख फॉलोअर्स थे. उसका कहना है कि हटाए गए पेजों में 50 लाख यूजर्स वाले पेज भी शामिल हैं, पर ‘बेहद संवेदनशील’ मामला होने के कारण उसने ऐसे पेजों के नाम बताने से इनकार किया.
पटना स्थित एक ‘कंटेंट उद्यमी’ ने बताया कि उसके एक दोस्त द्वारा संचालित पेजों के कुल यूजर्स 5 करोड़ तक होंगे, जो कि एक अतिशयोक्तिपूर्ण दावा लगता है.
उसने दिप्रिंट को बताया, ‘आपको लगेगा कि इतना बड़ा यूजर बेस कैसे संभव है, पर ऐसा है. हमारे जैसे लोग 2010 से ही इस तरह के पेज संचालित कर रहे हैं. हमने इनमें अपनी ज़िंदगी खपा दी है. हमने शुरुआत तो वैचारिक कारणों से की थी, पर आगे चलकर पता चला कि हम पैसे भी बना सकते हैं.’
तीनों एडमिन ने कहा कि पेजों को ऐसे दुरुपयोगों के लिए भी हटाया जाता रहा है जिनके बारे में उन्हें पता भी नहीं होता था, मसलन मोनेटाइज़ (विज्ञापन हासिल कर रहे) वीडियो को अलग-अलग पेजों पर शेयर करना. फेसबुक ने हाल में पेजों पर अपलोड किए जाने वाले वीडियो का मोनेटाइज़ेशन शुरू किया है.
हटाए गए पेजों में से एक का संबंध समाचार वेबसाइट ‘माईनेशन’ से है. यह भाजपा सांसद राजीव चंद्रशेखर के स्वामित्व वाली वेबसाइट है, जिसे अभिजीत मजूमदार संपादित करते हैं.
फैक्टचेकिंग वेबसाइट अल्टन्यूज़ डॉट इन के संपादक प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद ज़ुबैर ने ट्विटर पर अन्य कई अन्य प्रभावित पेजों के नाम दिए हैं. इनमें 18 लाख फॉलोअर्स वाला ‘सपोर्ट4मोदी’ और 13 लाख फॉलोअर्स वाला ‘पोस्टकार्ड फैन्स’ शामिल हैं. अन्य पेजों में ‘दैनिक भारत’, ‘इंडिया रिपोर्ट कार्ड’, ‘नेशन वांट्स नमो’ और हैदराबाद के भाजपा विधायक राजा सिंह का आधिकारिक पेज शामिल बताए जाते हैं.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)