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Saturday, 20 April, 2024
होमदेशचुनाव नजदीक आ रहे और पंजाब में केवल 40% वयस्कों को ही टीके की दोनों खुराक मिली हैं, यह आंकड़ा देश में सबसे कम

चुनाव नजदीक आ रहे और पंजाब में केवल 40% वयस्कों को ही टीके की दोनों खुराक मिली हैं, यह आंकड़ा देश में सबसे कम

27 दिसंबर को राष्ट्रीय औसत 62 फीसदी था. ‘वैक्सीन को लेकर उदासीनता’, स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल को टीकाकरण की गति धीमी होने के कारण बताया जा रहा है.

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नई दिल्ली: पंजाब में अगले साल के शुरू में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं और अन्य राज्यों की तुलना में पूरी तरह टीकाकरण वाले वयस्कों के आंकड़े के मामले में यह सबसे पीछे हैं. यह जानकारी टीकाकरण का डेटा दर्शाने वाले सरकारी वेब पोर्टल कोविन से सामने आई है.

27 दिसंबर तक राज्य में लगभग 89 लाख लोगों को कोविड-19 के टीके की दूसरी खुराक मिल चुकी थी. 2021 की जनगणना आबादी अनुमानों के मुताबिक, पंजाब की अनुमानित वयस्क आबादी 2.27 करोड़ है, जिसका अर्थ है कि कुल वयस्कों में लगभग 40 प्रतिशत को ही टीके की दोनों खुराक मिली हैं.

मौजूदा समय में भारत में उन टीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिनके पूरी क्षमता के साथ सक्रिय होने के लिए एक निर्धारित अंतराल पर दो खुराक की आवश्यकता होती है. पंजाब के अलावा केवल दो अन्य बड़े राज्यों-उत्तर प्रदेश (47 प्रतिशत) और झारखंड (43 प्रतिशत)- में ही आधी से कम आबादी का पूर्ण टीकाकरण हुआ है.

हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, मध्य प्रदेश, गुजरात, केरल, उत्तराखंड, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और दिल्ली में वयस्क आबादी में से कम से कम दो-तिहाई लोगों को टीके की दोनों खुराक मिल चुकी हैं.

औसतन, भारत के अनुमानित 94 करोड़ वयस्कों में से लगभग 62 प्रतिशत का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है.

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इस साल जून में भारत सरकार ने 2021 के अंत तक पूरे देश में टीकाकरण का लक्ष्य निर्धारित किया था. देश की एक-तिहाई से अधिक आबादी को अलग-अलग तारीखों पर दूसरी डोज दी जानी है, हालांकि यह लक्ष्य हासिल होना असंभव लगता है.

पंजाब के स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि राज्य में लोग ‘वैक्सीन के प्रति उदासीन’ हो गए हैं, यानी उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्हें टीका लगाया गया है या नहीं.

एक सूत्र ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल जिसमें आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) कार्यकर्ता और नर्स भी शामिल हैं, ने टीकाकरण की गति को प्रभावित किया है.


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‘चिंताजनक स्थिति’

दिप्रिंट ने इस साल अक्टूबर में देश के विभिन्न राज्यों में टीकाकरण की स्थिति का आकलन किया था, जिससे पता चला कि उस समय, पंजाब की लगभग 70 प्रतिशत वयस्क आबादी को टीके का कम से कम एक शॉट मिल चुका था और केवल 26 प्रतिशत का ही पूरी तरह टीकाकरण हो पाया था.

दो महीने बाद 27 दिसंबर को पंजाब की केवल 75 प्रतिशत वयस्क आबादी को कम से कम एक शॉट मिला है और लगभग 40 प्रतिशत को पूरी तरह से टीका लगाया जा चुका है.

केरल के एक स्वास्थ्य अर्थशास्त्री रिजो एम. जॉन ने कहा, ‘अन्य राज्यों की तुलना में पंजाब की टीकाकरण दर बहुत कम है. टीकाकरण के मामले में पीछे रहे उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्य भी अब पंजाब से आगे निकल गए हैं.’
उन्होंने कहा कि राज्य में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में पूर्ण टीकाकरण में पिछड़ने से यहां कोविड लहर का खतरा गहराने लगा है.’

रिजो का कहना है, ‘आगामी चुनाव और ओमीक्रॉन जैसे नए वेरिएंट से बढ़ता खतरा पंजाब के मामले को स्थिति को ज्यादा चिंताजनक बनाता है. चुनावों तक ओमीक्रॉन के तेजी से फैलने के आसार और टीकाकरण की गति धीमी होने का मतलब है कि अन्य बेहतर टीकाकरण वाले राज्यों की तुलना में पंजाब में कोविड के प्रतिकूल नतीजों का खतरा ज्यादा है.’

सितंबर के पहले 27 दिनों में, जब टीकाकरण की गति चरम पर थी, पंजाब प्रतिदिन लगभग 2 लाख खुराक (1.5 लाख पहली खुराक, 50,000 दूसरी खुराक) प्रदान कर रहा था. कोविन के आंकड़ों के मुताबिक, इस समय राज्य में टीकाकरण की गति लगभग एक तिहाई ही है—प्रतिदिन 68,000 खुराक (16,000 पहली खुराक, 52,000 दूसरी खुराक).

धीमे टीकाकरण से कमजोर पड़ेगी कोविड के खिलाफ जंग

पंजाब, झारखंड और उत्तर प्रदेश के अलावा, छत्तीसगढ़ (60 प्रतिशत), तमिलनाडु (57 प्रतिशत), महाराष्ट्र (57 प्रतिशत), बिहार (54 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल (52 प्रतिशत) और पूर्वोत्तर राज्यों (असम को छोड़कर) को एक साथ मिलाकर (55 प्रतिशत) में टीकाकरण की औसत दर राष्ट्रीय आंकड़े की तुलना में कम है.

इन सभी क्षेत्रों को एक साथ मिला दें तो यहां भारत की लगभग 55 प्रतिशत वयस्क आबादी रहती है और उनमें से केवल आधे से कुछ अधिक का ही पूरी तरह टीकाकरण हो पाया है.

थोड़ी-बहुत उम्मीद बस इसी बात से है कि इनमें से अधिकांश राज्यों में 84 प्रतिशत वयस्कों को कम से कम एक खुराक मिल चुकी है, जिसका मतलब है कि अगले साल मार्च तक उन सभी का टीकाकरण पूरा हो जाए.
फिर भी डेल्टा वैरिएंट के कहर के बाद एक साल से भी कम समय में एक नए वैरिएंट ओमीक्रॉन के सामने आने से नई चिंताएं उत्पन्न हुई हैं.

हरियाणा के सोनीपत स्थित अशोका यूनिवर्सिटी में भौतिकी और जीव विज्ञान के प्रोफेसर गौतम मेनन ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह तो तय है कि कुछ ही समय में कोविड-19 का ओमिक्रॉन वैरिएंट अपना असर दिखाने लगेगा और यह भी स्पष्ट है कि यह इम्युनिटी को प्रभावित करने में सक्षम है. लेकिन टीकाकरण किसी संक्रमण का असर कम करने में मददगार होता है.’

उन्होंने कहा कि पंजाब में टीकाकरण की कम दर के कारण हाई लेवल की कोमोर्बिडिटी भी चिंता का विषय बनी हुई है.

मेनन ने कहा, ‘निश्चित तौर पर राज्य ने पिछले आईसीएमआर सीरोसर्वे में अपेक्षाकृत उच्च स्तर की जो सेरोपॉजिटिविटी दर्ज की है, वह व्यापक स्तर पर जनता की इम्युनिटी के लिए कारगर है. हालांकि, इसे अधिक व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम के साथ और बढ़ाया जा सकता था. राज्य में हाई लेवल की कोमोर्बिडिटी थोड़ी चिंता का विषय है, जो किसी संक्रमित व्यक्ति की स्थिति को ज्यादा गंभीर बना सकती है. हालांकि, युद्धस्तर पर टीकाकरण शुरू करने के लिए अभी देर नहीं हुई है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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