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Friday, 29 March, 2024
होमदेशओलंपिक में ‘गोल्डन थ्रो’ के साथ सूबेदार नीरज चोपड़ा को सेना में मिल सकता है प्रमोशन

ओलंपिक में ‘गोल्डन थ्रो’ के साथ सूबेदार नीरज चोपड़ा को सेना में मिल सकता है प्रमोशन

नीरज चोपड़ा, जो 4 राजपूताना राइफल्स का हिस्सा हैं, ने शुरू में तो जेवलिन थ्रो को वजन घटाने के लिए अपनाया था. अब, उन्होंने एथलेटिक्स में भारत का पहला ओलंपिक गोल्ड मेडल दिलाकर इतिहास रच दिया है.

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नई दिल्ली: टोक्यो गेम्स में शनिवार को जेवलिन थ्रो में ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच देने वाले राजपूताना राइफल्स के सूबेदार नीरज चोपड़ा को सेना में प्रमोशन मिलना तय है. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.

एकदम शानदार ढंग से 87.58 मीटर दूरी तक भाला फेंकने के साथ चोपड़ा ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण जीतने वाले दूसरे भारतीय बन गए. उन्होंने एथलेटिक्स में ओलंपिक पदक के लिए देश के 121 साल के इंतजार को भी खत्म करा दिया.
सेना के सूत्रों ने बताया कि नियम-कायदों के मुताबिक चोपड़ा की रैंक में पदोन्नति की जाएगी.

एक सूत्र ने कहा, ‘खिलाड़ियों के संबंध में नियम-कानून थोड़े अलग हैं. उन्हें निश्चित तौर पर पदोन्नति मिलेगी. स्वाभाविक तौर पर उनकी रैंक एक पद ऊपर हो जाएगी लेकिन इस पर कोई अंतिम निर्णय आने वाले दिनों में लिया जाएगा. उन्होंने हमें एथलेटिक्स में पहला स्वर्ण दिलाया है और इसलिए उन्हें सम्मानित करने के लिए हरसंभव कदम उठाया जाएगा.

चोपड़ा 2016 में बतौर नायब सूबेदार सेना में शामिल हुए थे. उस वर्ष राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतने के बाद नवंबर 2018 में उन्हें सूबेदार के तौर पर आउट-ऑफ-टर्न प्रमोशन दिया गया था.

वैसे तो चोपड़ा ने भाला फेंकने के इस खेल को शुरू में किसी विशेष आत्मीयता की वजह से नहीं बल्कि वजन घटाने के लिए अपनाया था. पर बाद में उन्हें इस खेल से प्यार हो गया.

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सेना के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को कहा कि ओलंपिक में गोल्ड हासिल करने तक की उनकी यात्रा कड़े अभ्यास, मजबूत दृढ़ संकल्प और सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने का नतीजा है.

सेना के रिकॉर्ड के अनुसार, किसान पिता सतीश कुमार और सामान्य गृहिणी मां सरोज देवी के घर जन्मे 23 वर्षीय नीरज चोपड़ा हरियाणा के पानीपत स्थित एक छोटे से गांव खंडार के रहने वाले हैं. एक दूसरे सैन्य अधिकारी ने बताया कि वह दो बहनों के साथ पले-बढ़े हैं और शुरू में वजन घटाने के लिए यह खेल (भाला फेंकना) अपनाने के बाद जल्दी ही यह उनकी पसंद बन गया. उसके आगे तो अब एक इतिहास बन चुका है.’

सेना में शामिल

सूबेदार चोपड़ा को 15 मई 2016 को 4 राजपूताना राइफल्स में सीधे नायब सूबेदार के पद पर शामिल किया गया था.

सेना की वर्दी में नीरज चोपड़ा | फोटो :विशेष व्यवस्था द्वारा

सीधे भर्ती की यह योजना उन खिलाड़ियों के लिए होती है जो अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं या ऐसा करने की क्षमता रखते हैं.

उन्हें 2016 में पुणे में मिशन ओलंपिक विंग और आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण के लिए चुना गया था.
मिशन ओलंपिक विंग सेना की एक पहल है जिसके तहत विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उत्कृष्टता हासिल करने के उद्देश्य से पांच मिशन ओलंपिक नोड्स में 11 चयनित क्षेत्रों में विशिष्ट खिलाड़ियों की पहचान की जाती है और उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है.

सेना की ओर से जारी बयान के मुताबिक, ‘मिशन ओलंपिक विंग ने देश को निशानेबाजी में दो ओलंपिक रजत पदक दिलाए हैं और ऐसी अन्य उपलब्धियां हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है. सूबेदार नीरज चोपड़ा का पदक मिशन ओलंपिक विंग की कड़ी मेहनत और प्रयासों को रेखांकित करता है. सूबेदार नीरज को खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 2018 में अर्जुन पुरस्कार और 2020 में विशिष्ट सेवा पदक (वीएसएम) से सम्मानित किया जा चुका है.’

खेल में कैरियर

सेना की तरफ से जारी एक प्रोफाइल में बताया गया है कि चोपड़ा ने 2016 में पोलैंड में वर्ल्ड अंडर-20 चैम्पियनशिप में ही अपने प्रदर्शन का लोहा मनवा दिया था, जहां उन्होंने 86.48 मीटर के थ्रो के साथ एक नया जूनियर विश्व रिकॉर्ड बनाया था.
2017 में उन्होंने 85.23 मीटर के थ्रो के साथ भुवनेश्वर में एशियाई चैम्पियनशिप जीती.

जर्मनी के उवे हान के नेतृत्व में प्रशिक्षण शुरू करके वह लगातार अपनी मंजिल की ओर बढ़ते रहे, राष्ट्रमंडल खेल 2018 में 86.47 मीटर थ्रो के साथ स्वर्ण जीता. उसी वर्ष डायमंड लीग के दोहा लेग में उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 87.43 मीटर था.

उन्होंने उसी साल 88.06 मीटर के थ्रो के साथ एशियाई खेल में भी जीत हासिल की. हालांकि, 2019 में चोपड़ा को एक चुनौती का सामना करना पड़ा क्योंकि उन्हें कंधे की सर्जरी करानी पड़ी, जिसने ओलंपिक में उनके प्रदर्शन की उनकी तैयारियों को प्रभावित किया जो मूलत: 2020 में होने वाले थे.

ऊपर उद्धृत अधिकारी ने कहा, ‘हालांकि, वह इससे उबरने और कठिन अभ्यास करने में सक्षम रहे. ओलंपिक एक साल टल जाने की वजह से भी उन्हें पूरी तरह ठीक होने के लिए अतिरिक्त समय मिल गया.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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