नई दिल्ली: जैसा कि भारत कनाडा के साथ आपसी ताकत और रैंक में राजनयिक समानता चाहता है, दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक ओटावा में नई दिल्ली की तुलना में कम से कम तीन गुना अधिक मान्यता प्राप्त राजनयिक हैं.
कनाडा के भारत में भी चार मिशन हैं, जिनमें दिल्ली में उच्चायोग भी शामिल है, जबकि भारत में तीन हैं.
सूत्रों ने कहा कि कनाडा में मान्यता प्राप्त भारतीय राजनयिकों की संख्या लगभग 35 है. लेकिन भारत में कनाडाई मान्यता प्राप्त राजनयिकों की संख्या 100 से कुछ अधिक है.
इनमें एक उच्चायुक्त, दो उप उच्चायुक्त, तीन मंत्री, 18 पार्षद, लगभग तीन दर्जन प्रथम सचिव और कई द्वितीय सचिव और अटैची शामिल हैं.
हालांकि, जब पूरे स्टाफ की संख्या पर विचार किया जाता है – जैसे कि वे जो राजनयिक रूप से मान्यता प्राप्त नहीं हैं लेकिन फिर भी मिशन में काम कर रहे हैं – तो असमानता और अधिक स्पष्ट हो जाती है, सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट को इस बारे में जानकारी दी. उन आंकड़ों में परिवार के सदस्य भी जुड़े हुए हैं.
उन्होंने कहा कि कनाडा में तीन मिशनों में काम करने वाले भारतीयों की कुल संख्या लगभग 120 है, जबकि अकेले दिल्ली में कनाडाई कर्मचारी और परिवार इससे कहीं अधिक हैं, उन्होंने कहा कि तीन अन्य वाणिज्यिक दूतावासों में कनाडाई लोगों की महत्वपूर्ण संख्या है.
जबकि भारत में ओटावा में उच्चायोग और वैंकूवर और टोरंटो में वाणिज्यिक दूतावास हैं, वहीं नई दिल्ली में उच्चायोग के अलावा चंडीगढ़, मुंबई और बेंगलुरु में कनाडा के वाणिज्य दूतावास हैं.
दिप्रिंट ने कई पूर्व राजदूतों से बात की कि यहां से आगे चलकर द्विपक्षीय संबंधों में क्या हो सकता है, और उन्होंने कहा कि समानता पर तनाव के परिणामस्वरूप भारत में तीन कनाडाई वाणिज्य दूतावासों में से एक को बंद किया जा सकता है.
विदेश मंत्री (एमईए) के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को मीडिया को बताया कि भारत ने “हमारी पारस्परिक राजनयिक उपस्थिति में ताकत और रैंक में समानता” की मांग की थी.
उन्होंने कहा कि यहां उनकी संख्या “कनाडा में हमारी तुलना में बहुत अधिक है”. बागची ने कहा, ”इसके ब्यौरे पर काम किया जा रहा है, लेकिन मेरा मानना है कि कनाडा की ओर से इसमें कमी की जाएगी.”
विदेश मंत्रालय की प्रेस बैठक से पहले, कनाडाई उच्चायोग ने एक बयान जारी कर कहा कि देश “अत्यधिक सावधानी बरतते हुए” भारत में कर्मचारियों की उपस्थिति को अस्थायी रूप से समायोजित कर रहा है.
इस बारे में पूछे जाने पर बागची ने कहा, “यह भारतीय पक्ष के अनुरोध पर हो रहा है.”
राजनयिक सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि शुक्रवार दोपहर तक कनाडा के साथ चर्चा जारी थी और भारत ने देश में मौजूद कनाडाई राजनयिकों और कर्मचारियों की पूरी सूची मांगी थी. पता चला है कि सूची अभी उपलब्ध नहीं करायी गयी है.
कनाडा में जून में वांछित सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की मौत में भारत की भूमिका होने के बारे में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद सोमवार को दोनों देशों के बीच संबंध एक नए निचले स्तर पर पहुंच गए.
भारत ने इन आरोपों को “बेतुका और प्रेरित” बताकर खारिज कर दिया, और कनाडा में भारतीय नागरिकों और छात्रों के लिए एक ट्रैवेल एडवाइजरी जारी की.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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